खासकर तब, जब वो सोती नहीं वरन जागती आँखों से देखें जाएँ ......
कम से कम अपनी कहूँ तो बचपन से आज तक ऍसे कई सपने मेरे मन के साक्षी रहे हैं।
बच्चे थे तो सोचते कि अगर अपनी कैडबरी चॉकलेट की पूरी दुकान होती तो कितना अच्छा होता !
थोड़े बड़े हुए तो रेडिओ पर आने वाली क्रिकेट कमेंट्री का बुखार ऍसा चढ़ा कि हर किसी से यही कहते की मुझे तो सुशील दोशी जैसा कमेंट्री करने वाला बनना है।
किशोरावस्था की दहलीज पर पहुँचे तो अपने आफिसर्स हॉस्टल वाले घर की बॉलकोनी से दिखने वाली परम सुंदरियों का सानिध्य सुख प्राप्त करने के ख्वाब देखने लगे।
उम्र बढती गई पर स्वप्न बदलते गए। कुछ सपने पूरे हुए तो कुछ अधूरे ही रह गए। पर जागती आँखों से देखे जाने वाले इन सपनों का सिलसिला चलता रहा। सपने टूटते हैं तो दर्द सहने की शक्ति देते हैं और जगते है तो जिंदगी जीने का मकसद भी।
इसलिए जब पहली बार वर्ष २००५ के बेहतरीन गानों की सूची तैयार करते समय स्वानंद किरकिरे का लिखा और गाया, सपनों से जुड़ा ये गीत सुनने को मिला तो एक बार में ही ये गीत हृदय में स्थान बना गया। स्वानंद जी ने इस गीत को रंगमंच से जुड़े रहते हुए ही लिख लिया था। 'हजारों ख्वाहिशों ऐसी' बनाते समय जब सुधीर मिश्रा ने इसे सुना तो इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरत इसे अपनी फिल्म मे प्रयोग करने का मन बना लिया। शांतनु मोएत्रा के संगीत निर्देशन में बना ये गीत स्वानंद को फिल्म जगत में एक अलग पहचान दिलाने में कामयाब रहा।
दो तीन दिन पहले एक पाठक ने मुझसे पूछा कि क्या नोकिया की एड में पार्श्व में बजने वाले गीत के बारे में आपको कुछ पता है तो मुझे अपने रोमन ब्लॉग पर लिखी इस पुरानी पोस्ट की याद आई और मैंने सोचा क्यूँ ना इसे आप से फिर से बाँटा जाए..
बावरा मन देखने चला एक सपना
बावरा मन देखने चला एक सपना
बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरी सी धड़कने हैं बावरी हैं साँसें
बावरी सी करवटों से निंदिया दूर भागे
बावरे से नैन चाहें बावरे झरोखों से
बावरे नज़ारों को तकना
बावरा मन देखने चला एक सपना.....
बावरे से इस ज़हाँ में बावरा एक साथ हो
इस सयानी भीड़ में बस हाथों में तेरा हाथ हो
बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
ओ बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
बावरे से पैर चाहें बावारे तरानों के
बावरे से बोल पे थिरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना.......
बावरा सा हो अंधेरा बावरी ख़ामोशियाँ
बावरा सा हो अंधेरा बावरी ख़ामोशियाँ
थरथराती लौ हो मद्धम बावरी मदहोशियाँ
बावरा एक घूँघटा चाहे हौले हौले बिन बताये
बावरे से मुखड़े से सरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना.........
बावरा मन देखने चला एक सपना.........
तो अगर आप भी खुली पलकों से स्वप्न लोक में विचरण करने की ख्वाहिश रखते हों तो सुनना ना भूलिएगा इस बावरे से नग्मे को...
'एक शाम मेरे नाम' पर गीतकार स्वानंद किरकिरे से जुड़ी अन्य प्रविष्टियाँ
- रात हमारी तो चाँद की सहेली है.., संगीत -शान्तनु मोइत्रा, चलचित्र - परिणिता, गायक - चित्रा और स्वानंद
- हम तो ऐसे हैं भैया.. ..., संगीत- शान्तनु मोइत्रा चलचित्र - लागा चुनरी में दाग गायिका - सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल
- चंदा रे चंदा रे धीरे से मुसका.., संगीत- शान्तनु मोइत्रा चलचित्र - एकलव्य दि रॉयल गार्ड, गायिका - हमसिका अय्यर
- क्यूँ खोये खोये चाँद की फिराक़ में, तलाश में, उदास है दिल.... संगीत- शान्तनु मोइत्रा, चलचित्र - खोया खोया चाँद, गायक- स्वानंद किरकिरे
22 टिप्पणियाँ:
बहुत खूबसूरत गीत है ये...आजकल एक विज्ञापन में भी आता है!पूरा कभी नहीं सुना था!और हाँ....एक चॉकलेट की दूकान हो, ये सपना मैं भी देखा करती थी!
मनीष जी,
ये गीत मेरा पसंदीदा है | इसे एक बार सुनना शुरू करता हूँ तो बार बार सुनता हूँ | बहुत आभार,
इसके अलावा ये फ़िल्म भी पिछले ४-५ वर्षों में आयी बेहतरीन फ़िल्म है,
काश कभी किसी को फ़िल्म के किरदार विक्रम मल्होत्रा की हद तक प्रेम कर सकें |
बचपन के सपने तो बहुत हसीं होते हैं ..यह गाना बहुत ही अच्छा है :) एड में तो और भी अच्छा लगा है
मनीष जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया इस गीत को सुनवाने का । ये गीत नोकिया के ad मे आता है और हम सोच ही रहे थे इसे esnip पर ढूँढने की। क्यूंकि हमे ये गीत और इसकी tune बहुत अच्छी लगी थी।
आप यकीन नही मानेगे मनीष जी दो दिन से सोच रहा हूँ की शायद एयरटेल ने इसे अपनी collar tune भी बनाया हो ,जैसा उन्होंने ए.र रहमान की धुन को बनाया था लेकिन उनके हेल्लो tune में देर तक घूमने के बाद भी ये धुन नही मिली.....पल्लवी.....अब उम्मीद करता हूँ आपको अपनी पसंद की collar tune मिल जायेगी
मनीष भाई, बहुत बहुत धन्यवाद इतनी अच्छी पोस्ट और म्हणत के लिए. यह गीत भी मेरा पसंदीदा है और फ़िल्म भी. इस फ़िल्म को अपने आसपास काफी ढूँढा और अंततः शिकागो से लाया. सचमुच स्वानंद किरकिरे बधाई के पात्र हैं. (और आप भी)
बहुत खुबसूरत गीत है... फ़िल्म भी लाजवाब थी. खूब सुना है ये गीत... 'सैंया गैलन कलकतवा ऐ सजनी भी ' इस फ़िल्म का एक अच्छा गीत है.
लाजवाब गीत सुनवाया। सपनों की बातों में बचपन का भोलापन। शुक्रिया।
बेहद सुरीला गीत सुनवाया आपने मनीष भाई शुक्रिया !
-लावण्या
Manishbhai
I have never heard this song. Nice one. What is that Nokia ad....!!!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
sundar geet hai....baar baar sun ney jaisa...shukriyaa MANISH
बहुत खुश कित्ता गुरु ... मस्त कित्ता. बहुत सुंदर.
बहुत खूबसूरत गीत है..शुक्रिया !!
मस्त गीत है भाई, और स्वानंद की आवाज़ भी कमाल है....
पहली बात तो ये जि इस तरह की हर आवाज़ न जाने क्यों मुझे बहुत मोहती है...फिर गीत के बोल वाह
बावरे से इस ज़हाँ में बावरा एक साथ हो
इस सयानी भीड़ में बस हाथों में तेरा हाथ हो
बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
ओ बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
बावरे से पैर चाहें बावारे तरानों के
बावरे से बोल पे थिरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना.......
नोकिया के ऐड में मैने भी सुना है ये गीत, लेकिन मुझे बताया गया कि sixty ft under जैसी किसी फिल्म का गीत है और सीन भी वही है...क्या करूँ मानना पड़ा :)
शुक्रिया आॡका सही जानकारी देने का।
अपनी बेटी के और आपके कारण इन गीतों (स्वानन्द किरकिरे के) को सुन पाया और पसन्द किया। धन्यवाद।
वाह बहुत खूब मनीष जी. आनंद आ गया. आपकी पसंद बहुत अच्छी है. बस यूँ ही ब्लाग जगत पर मिठास बिखेरते रहें. सस्नेह.
wow
बावरा मन देखने चला एक सपना.....
अतिसुन्दर गीत , शब्द और गायकी....
मजा आ गया मनिषजी....
:-) Chocolate ki sapne wali baat bahut hi achi lagi.. geet bhi bahut sundar hai....
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I don’t want to love you… but I do....
शुक्रिया आप सब का इस गीत से जुड़ी अपनी भावनाओं और विचारों को बाँटने के लिए।
'हजारों ख्वाहिशों ऐसी' फिल्म के सारे गीत बढिया हैं।
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