तो चलिए वार्षिक संगीतमाला 2009 की तीसरी पॉयदान पर आज विशुद्ध बॉलीवुड रोमांटिक मेलोडी का स्वाद चखने। ये गाना पिछले साल के अंत में आया और हर जगह छा गया और आज भी इसे सुनने पर एक मीठा मीठा सा अहसास मन में तारी रहता है और आप इसे गुनगुनाने का लोभ संवरण नहीं कर सकते। तारीफ करनी होगी संगीतकार प्रीतम की जिन्होंने एक बेहतरीन धुन के साथ आलिशा चिनॉय और आतिफ असलम को इस गीत को गाने को चुना।
गीत शुरु होता है अंग्रेजी जुबान में। प्रीतम अपने गीतों में अंग्रेजी की पंक्तियाँ, हिंदी अंतरों के बीच में पहले भी डालते आए हैं। वर्ष 2006 में उन्होंने फिल्म 'प्यार के साइड एफेक्टस' के लिए एक गीत रचा था जाने क्या चाहे मन बावरा.. जिसे मैं उनकी बेहतरीन कम्पोशीसन में से एक मानता हूँ। वहाँ भी अंग्रेजी का एक अंतरा ठीक इसी तरह लगाया था उन्होंने!
मन सोचता है कि क्या इसकी जरूरत थी? शायद आज के अंग्रेजीदाँ युवा वर्ग को गीत से जोड़ना उनका मकसद रहा हो। कई जगह संगीतप्रेमियों द्वारा इसकी आलोचना भी पढ़ी। पर मेरा मत तो यही है कि ये अगर ना भी करते तो भी चलता और अगर किया भी है तो वो अंतरा इस गीत के साथ भावनात्मक तौर पर जुड़ा ही दिखता है।
खैर, आशीष पंडित के लिखे इस गीत में अपनी शहद सी आवाज़ का जादू बिखेरा है अलीशा चिनॉय ने। अलीशा की बात करने पर उन पुराने दिनों की याद करना लाज़िमी हो जाता है जब हम स्कूल की दहलीज़ पार कर कॉलेज में जाने को तैयार हो रहे थे। वो वक़्त 'मेड इन इंडिया' की लोकप्रियता के पहले का था। हिंदी पॉप जगत में उन दिनों बेबी डॉल के नाम से मशहूर अलीशा इंडियन मेडोना की छवि को बनाने में व्यस्त थीं। अपनी जेबखर्च से मैंने पहला कैसेट उन्हीं का खरीदा था पर उसके बाद उनका पॉप संगीत मुझे विशेष रास नहीं आया। पर फिल्मी गीतों में अलीशा बीच बीच में सुनाई देती रहीं। 'मेरा दिल गाए जा जूबी जूबी जूबी...' से लेकर 'कजरारे कजरारे...' तक संगीत जगत तीन दशकों का सफ़र पूरा करने वाली अलीशा की इस बात पर दाद देनी होगी कि इतने लंबे समय में भी उनकी आवाज़ में वही खनक बरकरार है जो तीस साल पहले थी।
वैसे उनके बारे में एक रोचक तथ्य ये है जिसे आप अलीशा के नाम से जानते हैं, उनका वास्तविक नाम 'सुजाता' था जिसे बाद में उन्होंने अपनी भतीजी के नाम पर बदल कर अलीशा कर लिया। इस गीत के रोमांटिक मूड को पुख्ता करने में भी अलीशा की आवाज़ का महती योगदान है। रहे आतिफ साहब तो उनकी आवाज़ और लोकप्रियता के बारे में मैं पहले ही यहाँ चर्चा कर चुका हूँ।
तो आइए एक बार फिर सराबोर हो लें इस गीत की रूमानियत में..
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean
come and feel me, girl feel me
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean
come and heal me, girl heal me
thinking abt the love we making n the life we sharing
come and feel me, girl feel me
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean
come and feel me, comon heal me
हुआ जो तुम्हें मेरा मेरा
तेरा जो इकरार हुआ
तो क्यूँ ना मैं भी कह दूँ कह दूँ
हुआ मुझे भी प्यार हुआ
तेरा होने लगा हूँ खोने लगा हूँ
जब से मिला हूँ
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean
come and feel me, girl feel me
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean
come and heal me, girl heal me
वैसे तो मन मेरा,
पहले भी रातों में
अक्सर ही चाहत के हाँ
सपने सँजोता था
पहले भी धड़कन ये
धुन कोई गाती थी
पर अब जो होता है वो
पहले ना होता था
हुआ है तुझे जो भी जो भी
मुझे भी इस बार हुआ
तो क्यूँ ना मैं भी कह दूँ कह दूँ
हुआ मुझे भी प्यार हुआ
तेरा होने लगा हूँ खोने लगा हूँ...
आँखों से छू लूँ
कि बाहें तरसती हैं
दिल ने पुकारा है हाँ
अब तो चले आओ
आओ कि शबनम की बूँदे बरसती हैं
मौसम इशारा है हाँ
अब तो चले आओ
बाँहों में डाले बाँहें बाँहें
बाँहों का जैसे हार हुआ
हाँ माना मैंने माना माना
हुआ मुझे भी प्यार हुआ
तेरा होने लगा हूँ खोने लगा हूँ...
shining in the sand n sun like a pearl upon the ocean...
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6 टिप्पणियाँ:
मैं सोच ही रहा था कि ये गीत कब आयेगा...मेरा फ़ेवरिट जबसे सुना था और वैसे भी अलिशा की आवाज, उसकी गले खसक पे जाने कब से मरता हूँ।
गीत के बोल टाइप करने में तनिक टंकन-त्रुटि हो गयी है शायद..
come and feel me, girl feel me
thinking abt the love we making n the life we sharing come n feel me, girl feel me...
जानते हैं मनीष जी, मैं गेस कर रहा था कि ये गीत टाप थ्री में आयेगा आपकी फ़ेहरिश्त में। so i was real close...
शुक्रिया। मैंने पंक्तियाँ बदल दी हैं। गेस कर लिया आपने, जान कर खुशी हुई वैसे दूसरी पॉयदान का गीत हो सकता है आपको उतना ना पसंद आए।
आनन्द आ गया. बहुत बढ़िया.
ट्रैक मे यह चेंज भी सुखद रहा..हालाँकि पहली बार सुनने पर शाय्द मैं कुछ मिस कर गया था सो यह गीत उतना प्रभावी नही लगा..मगर कुछ वक्त बाद सुनने पर इसका जादू असर किया..और फिर इसे सुनना एक शगल बन गया..सो यहाँ देख कर अच्छा लगा..
मनीष... इतनी पुरकशिश और संजीदा कोशिश के लिए तो हमारी हर शाम आपकी संगीत माला के नाम....सुर और रागिनी की ऐसी पाकीज़ा आबो हवा अब मयस्सर कहाँ ?? ??
हर बार तो जोहते रहते थे इसके घटते पायदानों की गिनतियां ! कुछ दिन की अनुपस्थिति में दो पायदान चढ़ गयी श्रृंखला !
खूब सुना है यह गीत ! इसकी पोजीशन का कुछ अंदाज तो था ही ! आभार ।
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