वैसे तो मानसून केरल में धूम मचा रहा है पर थोड़ी थोड़ी ही सही बारिश की कभी हल्की और कभी तेज़ फुहारें यहाँ भी मन को गुदगुदा जरूर रही हैं। शायद इसी मौसम का असर है कि इधर कुछ दिनों से में लता जी का फिल्म परख के लिए गाया ये अत्यंत मधुर गीत बारहा होठों पर आ रहा है। आज सोचा क्यूँ ना बारिश की लड़ियों से भींगे गीत की सोंधी महक से आपको भी सराबोर करूँ।
तो ये थी साधना की इस फिल्म के लिए सादगी से भरे सौंदर्य की प्रतिमूर्ति वाली छवि की कहानी। इस फिल्म को देखनेवाले जब भी इस गीत की बात करते हैं उनके मन में साधना की ये प्यारी छवि भी जरूर उभरती है। आप भी देखिए ..
'एक शाम मेरे नाम' पर मौसम 'बारिशाना'
लता जी के गाए गीत को सुनने के बाद बस दिल में एक भावना रह जाती है..कुछ अद्भुत सा महसूस कर लेने की। गीतकार शैलैंद्र के शब्द बारिश की रूमानियत में विकल होती तरुणी के मन को बड़ी खूबसूरती से पढ़ते हैं। वैसे भी बारिश की फुहारें जब हमारे आस पास की प्रकृति को अपने स्वच्छ जल से धो कर हरा भरा करने लगती हैं तो उन्हें देख कर हरे भरे पेड़ों की तरह अपनी ही मस्ती में किसी का दिल भी झूमने लगे तो उसमें उसका क्या दोष। और फिर, ये हृदय तो एक विरहणी का है तो वो तो जलेगा ही... साजन के प्रेम को आतुर अँखिया तो तरसेंगी ही..
यहाँ ये बताना जरूरी होगा कि इस गीत को साधना पर फिल्माया गया था। जिस साल फिल्म 'परख' रिलीज हुई उसी साल साधना की फिल्म 'लव इन शिमला' भी रिलीज हुई। इसी फिल्म में निर्देशक आर के नैयर ने साधना की चौड़ी पेशानी छुपाने के लिए साधना कट की शुरुआत की। पर जब इसी रूप में साधना विमल राय के पास परख फिल्म के लिए रोल माँगने गयीं तो एक बड़ा मज़ेदार वाक़या हुआ। दैनिक भास्कर में नियमित रूप से रविवारीय स्तंभ लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केसवानी इस किस्से को कुछ यूँ बयाँ करते हैं।
जब साधना इसी हेयर स्टाइल के साथ फिल्म ‘परख’ के शूट पर पहुंची तो बिमल दा काफी खफा हो गए। गांव की गोरी ऐसी ग्लेमरस लड़की कैसे हो सकती थी। मौके की नज़ाकत को भाँपकर साधना ने मेकअप रूम में जाकर बालों को फिर से सँवारा और सीधी मांग निकालकर दादा के सामने हाजि़र हो गई। दादा ने एहतियातन एक और टेस्ट लिया। टेस्ट से ख़ुश दादा ने मुस्कराकर साधना से कहा ‘ओ के’। इसके बाद जिस समर्पण भाव के साथ साधना ने बिमल दा के साथ काम किया वे उससे इतने मुत्तासिर हुए कि उन्हें साधना में महान अभिनेत्री नूतन के गुण दिखाए देने लगे।
तो ये थी साधना की इस फिल्म के लिए सादगी से भरे सौंदर्य की प्रतिमूर्ति वाली छवि की कहानी। इस फिल्म को देखनेवाले जब भी इस गीत की बात करते हैं उनके मन में साधना की ये प्यारी छवि भी जरूर उभरती है। आप भी देखिए ..
ओ सजना बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई
रस की फुहार लाई, अँखियों मे प्यार लाई
ओ सजना बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई, अँखियों मे प्यार लाई
ओ सजना ...
तुमको पुकारे मेरे मन का पपिहरा
तुमको पुकारे मेरे मन का पपिहरा
मीठी मीठी अगनी में, जले मोरा जियरा
ओ सजना ...
ऐसी रिमझिम में ओ सजन, प्यासे प्यासे मेरे नयन
तेरे ही, ख्वाब में, खो गए...
ऐसी रिमझिम में ओ सजन, प्यासे प्यासे मेरे नयन
तेरे ही, ख्वाब में, खो गए
साँवली सलोनी घटा, जब जब छाई
साँवली सलोनी घटा, जब जब छाई
अँखियों में रैना गई, निंदिया न आई
ओ सजना ...
इस गीत के संगीतकार थे सलिल चौधरी। पुराने दौर के गीतों का भी अपना अदाज़ था। इसी गीत को लें। गीत की शुरुआत पे गौर करें बारिश की बूँदों के साथ कीटो पतंगों का शोर सिर्फ चार सेकेंड तक ही बजता है पर तब तक आपका मन वर्षामय हो चुका होता है। और फिर सितार की धुन एकदम से आ जाती है। एक बार लता जी का दिव्य स्वर कानों में पड़ता है तो मन गीत के बोलों में रमने लगता है कि तबले की थाप और अंत में आता पश्चिमी शास्त्रीय अंदाज़ लिए कोरस बिल्कुल गौण हो जाते हैं। सलिल दा ने लता जी को जिस अंदाज़ में ऐसी रिमझिम में ओ सजन, प्यासे प्यासे मेरे नयन, तेरे ही, ख्वाब में, खो गए गवाया है वो गाने की खूबसूरती को और बढ़ा देता है।
सलिल दा उस ज़माने में भी आज के दौर की तरह पहले धुनें बनाते थे और बाद में उस पर गीत लिखवाते थे। उन्होंने अपनी कई धुनों का इस्तेमाल बंगाली और हिंदी दोनो भाषाओं के गीतों के लिए किया। यानि धुन एक और गीत के भाव अलग अलग। परख फिल्म के इस गीत की धुन भी उन्होंने पहले इस बंगाली गीत के लिए रची थी जिसे लता जी ने ही गाया था । तो आइए वो गीत भी सुनते चलें...
'एक शाम मेरे नाम' पर मौसम 'बारिशाना'
14 टिप्पणियाँ:
इक रोज यहीं गाना कविता कृष्णमूर्तिजी के स्वर में सुना और क्या बताएँ, रोंगटे खडे हो गएँ । किसी दूसरे के स्वरों में 'ओ सजना' सुनना और लताजी के स्वरों में 'छै छप्पा छै' सुनना दोनो बाते कानों पर अत्याचार है ।
बेजोड़ गीत है...मेरा बहुत पसंदीदा...
नीरज
पानी यहाँ भी बरस रहा है, बंगलोर में।
बेजोड़ गीत है|
मौसम है आशिकाना, ऐ दिल कहीं से उनको ऐसे में ढूढ लाना ......
bahut hi sundar aur payara geet
mn ko dheroN sukoon bakhshne waala
w a a h !!
kabhi
Talat aur Lata ji ka gaaya
wo duet sunvaayiye to...
"aaha rimjhim ke wo pyare-pyare geet liye,,aayi raat suhani dekho preet liye..."
मन कानों में मिश्री से घुल सरस रससिक्त कर देने वाले गीत हैं ये...
बस आनंद आ गया सुनकर...
बहुत बहुत आभार आपका...
मनीष,
साधना कट से पहले की फ़िल्म नहीं है परख... वरन बिमल रॉय ने साधना को जब साधना कट में देखा तो ग्लैमरस लुक्स की वजह से रोल के लिये रिजेक्ट कर दिया.. साधना को जब पता चला कि बिमल रॉय भूमिका के लिये नूतन जैसी छवि चाह रहे हैं फटाफट उसी समय उन्हीं के ऑफ़िस में रूप बदल कर ऐसी हाज़िर हुईं कि बिमल दा मना नहीं कर सके!
अच्छा लगा इस गीत के बारे में आप सब के विचारों को पढ़ना !
सही कह रहे हैं आप पवन। दरअसल एक ही साल में साधना की दो फिल्में रिलीज़ हुई थीं . लव इन शिमला व परख। और उसी फिल्म से साधना कट की शुरुआत हुई और उसके कुछ महिने बाद परख में विमल राय से रोल माँगने वाला प्रसंग आया।
हाल ही में केसवानी साहब का इस संदर्भ में लेख भी आया था जिसे मैंने इस पोस्ट में डाल दिया है। इस ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया !
आनंद आया .
बहुत बहुत शुक्रिया ! .
good one
https://www.punjabkesari.in/
very nice
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