हिंदी फिल्मों में बरसाती गीतों की परंपरा रही है। नायक व नायिका के प्रेम संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए ये बारिश से अच्छी सिचुएशन निर्देशकों को मिल ही नहीं पाती। और जब माहौल रूमानी होगा तो नायक या नायिका का मन बिना गाए कैसे मानेगा? यही वज़ह है कि हिंदी फिल्मों में ऍसे गीत कई हैं और हमारे सभी अग्रणी पार्श्व गायक गायिकाओं द्वारा गाए गए हैं। अब अगर किशोर दा की बात करें तो उनकी गायिकी बारिश से जुड़े वैसे रूमानी गीत जिसमें चंचलता या थोड़े नटखटपन की जरूरत हो, के लिए सर्वथा उपयुक्त थी। आज किशोर दा के जन्मदिन के अवसर पर आइए देखते हैं कि सावनी गीतों में उन्होंने अपनी गायिकी के अंदाज से क्या मिठास घोली?
1958 में आई फिल्म चलती का नाम गाड़ी में मजरूह साहब का लिखा और सचिन देव बर्मन द्वारा संगीत निर्देशित ये गीत सावन की रात में किन्हीं दो जवाँ दिलों की धड़कनें बढ़ा सकता है।
इक लड़की भीगी-भागी सी, सोती रातों को जागी सी
मिली इक अजनबी से,कोई आगे न पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है
दिल ही दिल में जली जाती है,बिगड़ी बिगड़ी चली आती है
मचली मचली घर से निकली, सावन की काली रात में
मिली इक अजनबी से....
मिली इक अजनबी से....
किशोर दा ने ना सिर्फ इस फिल्म में गायिकी के साथ अभिनय किया था बल्कि साथ ही फिल्म का निर्माण भी। मधुबाला के साथ तो वे पहले फिल्म 'ढाके का मलमल' में काम कर चुके थे पर मधुबाला के साथ उनकी प्यार की पींगे इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान शुरु हुई थीं। सो उनकी स्वभावगत चंचलता और मधुबाला की शोख अदाओं के साथ उनके बीच की केमिस्ट्री ने इस गीत का आनंद और भी बढ़ा दिया था।
वैसे जब तेज हवा के साथ बारिश की झमझमाती बूँदे आ जाएँ तो मन मायूस होकर भला चुप कब तक रहेगा।? ऐसी ही भावना लिए किशोर दा का एक गीत था 1972 में प्रदर्शित फिल्म अनोखा दान के लिए जिसे लिखा था गीतकार योगेश गौड़ ने और धुन थी सलिल दा की।गीत का मुखड़े के साथ सलिल दा की पत्नी सविता चौधरी की गाई रागिनी मूड को एकदम से तरोताजा कर देती है।
आई घिर घिर सावन की काली काली घटाएँ
झूम झूम चली भीगी भीगी हवाएँ
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
गा मा पा गा सा गा सा नि सा धा धा नि स ध प म
रे गा मा रे नि रे नि ध नि ध धा नि सा प ध
वैसे भी अगर सावन की काली घटाओं के साथ साथ ये गीत सुनाई दे जाए तो मन खुद बा खुद झूमने लगता है।
बारिश के मौसम से जुड़े एकल गीतों में तो किशोर दा के हुनर को आपने देख लिया। पर ऐसे मौसम में जब नायक नायिका का साथ हो तो माहौल बदलते देर नहीं लगती। यही वजह रही कि लता जी के साथ गाए युगल गीतों में कुछ तो बड़े लोकप्रिय रहे। मसलन 1973 में बनी फिल्म जैसे को तैसा में जीतेंद्र व रीना राय पर फिल्माए गए उस गीत को याद करें जिसके बोल थे
अब के सावन में जी डरे
रिमझिम बरसे पानी गिरे
मन में लगे इक आग सी
या फिर अस्सी के दशक की फिल्म नमकहलाल में अमिताभ व स्मिता पाटिल पर फिल्माया गीत आज रपट जाएँतो हमें ना बचइयो...हो। पर मुझे लता वा किशोर का बरखा से जुड़ा सबसे मस्ती भरा गीत लगता है 1972 में बनी फिल्म 'अजनबी' का जिसे राजेश खन्ना व जीनत अमान ने अपनी खूबसूरत अदाएगी से और यादगार बना दिया था
भीगी भीगी... रातों में, मीठी मीठी... बातों में
ऐसी बरसातो में, कैसा लगता है?
ऐसा लगता है तुम बनके बादल,
मेरे बदन को भिगो के मुझे, छेड़ रहे हो
ओ छेड़ रहे हो
ओ, पानी के इस रेले में सावन के इस मेले में
छत पे अकेले में कैसा लगता है
ऐसा लगता है,तू बनके घटा
अपने सजन को भिगो के
खेल खेल रही हो ओ खेल रही हो
पंचम के संगीत और आनंद बक्षी के बोल इस गीत की मस्ती को और बढ़ा देते हैं।
किशोर दा ने बारिश से जुड़े सिर्फ मस्ती भरे गीत गाए ऐसा भी नहीं है। जब जब गीत की संवेदनाएँ बदली किशोर दा ने भी अपनी गायिकी में वैसा ही परिवर्तन किया। ऐसे ही एक गीत से जुड़ा एक किस्सा याद आता है जिसे पंचम के एक एलबम में सुना था
फिल्म महबूबा के लिए जब पंचम ने किशोर दा को मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा......गाने को कहा तो किशोर दा ने मना कर दिया और कहा कि इस गीत को पहले लता से गवाओ। लता की आवाज़ में गाना रिकार्ड हो गया। पंचम ने किशोर दा को बताया कि ये गीत राग शिवरंजनी पर आधारित है। अब किशोर दा कोई शास्त्रीय संगीत सीखे हुए गायक नहीं थे। उन्होंने पंचम से कहा कि राग की ऍसी की तैसी तुम मुझे रिकार्डिंग सुनाओ। किशोर दा उस गीत को एक हफ्ते तक लगातार सुनते रहे। अगले हफ्ते जब वो रिकार्डिंग के लिए आए तो जिस तरह से उन्होंने इस गीत को गाया कि सब दंग रह गए।
और चलते-चलते बात सावन से जुड़े उस गीत की जिसकी मेलोडी ने क्या नई, क्या पुरानी सभी पीढ़ियों को अपना प्रशंसक बना रखा है। ये गीत आज भी रेडिओ पर उतना ही बजता है जितना पहले बजा करता था। जी हाँ सही पहचाना आपने मैं मंजिल के गीत रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन, भीगे आज इस मौसम में लगी केसी ये अगन की ही बात कर रहा हूँ।
योगेश गौड़ ने क्या गीत लिखा था! हर अंतरा लाजवाब। पंचम का संगीत, गीत की मेलोडी और किशोर दा की गायिकी, इस गीत को गुनगुनाने के लिए हर संगीत प्रेमी शख़्स को मज़बूर कर देती है। पर जहाँ किशोर दा के ये गीत अमिताभ पर एक महफ़िल में फिल्माया गया वहीं लता वाला वर्जन मुंबई की बारिश में शूट किया गया।
बाकी अमिताभ और मौसमी चटर्जी पर फिल्माए इस गीर के दूसरे वर्जन का ये वीडिओ जरूर देखें..
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11 टिप्पणियाँ:
अनुपम संकलन, आराम से बैठकर सुनते हैं, किशोरदा हमारे भी प्यारे हैं।
मनीष , बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
आपका बहुत शुक्रिया इसे साझा करने के लिए... मैं भी इनका एक छोटा-मोटा अदना सा बांगड़ू हूँ...
Kishor da is g8t.
Great post!
Dear Manish-ji,
Myself being a die-hard fan of Kishore-da, I wish to thank you for writing this lovely entry in your blog!
Best Wishes,
Sandeep.
Dear Sir
Thanking U ,
Its very much interesting.I like it.
dayanand sahu
aapki soochi mein shayad 'aaj rapat jaayen' bhi hona chahiye tha.
रिमझिम गिरे सावन का किशोर दा वाला version सुनने में और लता जी वाला version देखने में लाजवाब हैं ।
राजीव नंदन जी मैंने उस गाने का भी अपनी पोस्ट में जिक्र किया है।
राजेश गोयल जी सहमत हूँ आपसे।
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