विगत कुछ दिनों से टीवी पर निजी चैनलों ने बॉलीवुड गीतों से परे भारतीय संगीत में झाँकने की कोशिश की है। ऐसे कलाकारों को बढ़ावा दिया है जो लीक से हटकर कुछ करना चाहते हैं। जो संगीत को अपने जीवन की साधना मानते हैं और अपनी कला को बाजार के अनुरूप ढालने की बजाए अपने मूल्यों पर संगीत की रचना करते हैं। संगीत चैनल के नाम पर संगीत के आलावा सब कुछ परोसने वाला MTV पिछले कुछ महिनों में MTV Unplugged, MTV Roots और Coke Studio at MTV जैसे अलहदा कार्यक्रम ले के आया है। कुछ दिनों पहले इसी सिलसिले में मैंने आपको MTV Roots पर शंकर टकर और निराली कार्तिक की प्रस्तुतियों से रूबरू कराया था। इधर कुछ दिनों से Star World पर हर रविवार एक नए कार्यक्रम की शुरुआत हुई है। कार्यक्रम का नाम है The Dewarists । ये ऐसे संगीतज्ञों का साझा प्रयास है जिनके लिए संगीत एक जुनून है जो संगीत के माध्यम से नए ध्वन्यात्मक प्रयोगों से घबराते नहीं, जिन्हें एक नए गीत की खोज में सरहदों की दीवार तोड़ कर एक नई जगह में साथ साथ विचरने से भी परहेज़ नहीं।
अमूमन मैं Star World नहीं देखता। पर जब मुझे पता चला कि इस कार्यक्रम में स्वानंद शान्तनु की जोड़ी के साथ पाकिस्तान की जेब हानिया (जएब, हानीया ) का गठजोड़ हो रहा है तो मन में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्वानंद को बतौर गीतकार और गायक मैं बहुत पसंद करता हूँ। शान्तनु मोइत्रा के साथ गाए उनके गीत मेरी वार्षिक संगीतमालाओं की ऊपरी पॉयदानोँ पर हमेशा बजते रहे हैं। वहीं जएब का अफ़गानी गीत पैमोना.. सुनने के बाद मैं उनकी आवाज़ का कायल हो चुका हूँ. पर ऐसा मेरे साथ हुआ हो ऐसा भी नहीं है। शान्तनु बताते हैं कि पैमोना सुनते ही मुझे लगा कि काश हम जएब हानिया के साथ कोई गीत बनाते, इसीलिए जब The Dewarists ने हमें ऐसा करने का मौका दिया तो हमने दोनों हाथ से लपक लिया। पर एक दूसरे के संगीत के प्रति ये सम्मान एकतरफा नहीं है। जएब व हानीया भी बावरा मन देखने चला एक सपना की उतनी बड़ी प्रशंसक हैं जितना की मैं और आप।
स्वानंद और शान्तनु के सांगीतिक सफ़र के बारे में तो पहले भी बता चुका हूँ। जएब व हानिया पेशावर के संगीत से जुड़े परिवार से ताल्लुक रखती हैं। जएब बताती हैं कि उनके बचपन के समय पाकिस्तान में जिया उल हक़ की सरकार थी। जिया ने सार्वजनिक संगीत समारोह पर रोक लगा दी थी इसलिए तब महफ़िलें एक दूसरे के घरों या पारिवारिक जलसों में जमती थीं। इसलिए इन दोनों बहनों को महदी हसन, आबिदा परवीन, इकबाल बानो जैसे कलाकारों को घर में ही सुनना नसीब हो गया था। जएब फक्र से कहती हैं कि सात साल की उम्र में ही उन्हें साबरी ब्रदर्स के साथ गाने का मौका मिला। आगे की शिक्षा के लिए अमेरिका गईं तो अपना हारमोनियम और गिटार लेकर। वहाँ पढ़ाई के साथ संगीत भी चलता रहा। फिर इंटरनेट पर अपलोड एक गीत पहले अमेरिका में लोकप्रिय हुआ और फिर पूरे पाकिस्तान में। आगे की कहानी तो यहाँ है ही
The Dewarists की एक ख़ासियत ये भी है कि ये कार्यक्रम दर्शकों को एक गीत बनने से पहले जो मिल जुल कर मेहनत होती है उसकी एक झलक भी दिखलाता है। अब इस गीत की बात करें तो शान्तनु अपने दिमाग में बैठी एक धुन बार बार गुनगुनाते हैं। जएब उस धुन को पकड़ कर सत्तर के दशक में महदी हसन के गाए एक दर्री गीत की कुछ पंक्तियाँ सुनाती हैं।दी शब के तू अज़ मेह्र बाबाम
मेह्र बाबाम आमदाबूदी..आमदाबूदी
मतलब आप आज चाँद की तरह आसमान पर आए हैं इस बात की हमें बहुत खुशी हैं।
शान्तनु सुनकर उत्साहित हो उठते हैं। कहते हैं इसे शुरुआत में रखकर हम गाने का मूड बनाएँगे। स्वानंद को भी ये गीत के मूल भाव के लिए लाजवाब लगता है। आख़िर सरहद पार से आए मेहमानों के आने से सभी का मन हर्षित है ही। आगे की पंक्तियों के लिए सब स्वानंद की ओर आस लगाए हैं। स्वानंद हँसते हुए कहते हैं घबराएँ नहीं आगे के बोल मिल जाएँगे..आख़िर इसी की तो दुकान है अपनी। ये कहते हुए वो बाथरूम की ओर चल पड़ते हैं। अब चौंकने की बारी जएब व हानिया की है कि माज़रा क्या है। शान्तनु हँसते हुए कहते हैं कि ये स्वानंद की पुरानी आदत है। गीत के बोल उन्हें टॉयलेट में ही सूझते हैं। कुछ देर बाद स्वानंद इन पंक्तियों के साथ हाज़िर हो जाते हैं
शान्तनु सुनकर उत्साहित हो उठते हैं। कहते हैं इसे शुरुआत में रखकर हम गाने का मूड बनाएँगे। स्वानंद को भी ये गीत के मूल भाव के लिए लाजवाब लगता है। आख़िर सरहद पार से आए मेहमानों के आने से सभी का मन हर्षित है ही। आगे की पंक्तियों के लिए सब स्वानंद की ओर आस लगाए हैं। स्वानंद हँसते हुए कहते हैं घबराएँ नहीं आगे के बोल मिल जाएँगे..आख़िर इसी की तो दुकान है अपनी। ये कहते हुए वो बाथरूम की ओर चल पड़ते हैं। अब चौंकने की बारी जएब व हानिया की है कि माज़रा क्या है। शान्तनु हँसते हुए कहते हैं कि ये स्वानंद की पुरानी आदत है। गीत के बोल उन्हें टॉयलेट में ही सूझते हैं। कुछ देर बाद स्वानंद इन पंक्तियों के साथ हाज़िर हो जाते हैं
आँगन में सजाए बैठे सूरज चंदा तारा
चलो बाँट ले हम ज़िंदगी
जरा आज यूँ कर लें
कहो क्या ख़्याल है
सबके मुँह से एक साथ वाह वाही निकलती है। उधर हानिया भी रात भर बैठ कर एक धुन बनाती रही हैं और आज उसके लिए उन्हें शब्द भी मिल गए हैं जो गीत के मुखड़े से खूब जम रहे हैं..
आप से दो बातें करने
यादों को जेबों में भरने
आए हैं हम कुछ दिनों के बाद
यारों की सोहबत में आ के
धीरे से कुछ गुनगुना के
यूँ ही कट जाते हैं दिन और रात
शान्तनु के गीतों में कभी शोर नहीं होता। गीत के अंतरों के बीच की ताली और सितार जैसा बजता गिटार मन को थपकियाँ सा देता प्रतीत होता है और उसपर जएब और स्वानंद की दमदार आवाज़ें। शान्तनु कहते हैं..मेरी लिए जएब और स्वानंद की आवाज़ें ही सबसे बड़े वाद्ययंत्र हैं।
शान्तनु ने अगले दो अंतरों की भी रचना कर ली है जिसकी काव्यात्मकता देखते ही बनती हैं। आख़िर यूँ ही स्वानंद हमारे प्रिय गीतकार नहीं ! पूरा गीत बनकर तैयार हो गया है। संगीत से एक दूसरे के करीब रहे ये कलाकार अब मन से भी एक दूसरे के करीब आ गए हैं। संगीत भला क्या सरहदों में बँटा रह सकता है?
दीशब के तू अज़ मेह्र बा बाम
मेह्र बा बाम आमदाबूदी..आमदाबूदी
धड़कनों की ताल बाजे साँसों का इकतारा
आँगन में सजाए बैठे सूरज चंदा तारा
चलो बाँट ले हम ज़िंदगी
जरा आज यूँ कर लें
कहो क्या ख़्याल है
इक ज़हाँ छोटा सा अपना
इक ज़हाँ तुम्हारा
मुस्कान चाहें मीठी हो
या आँसू एक खारा
चलो बाँट लें ग़म और खुशी
थोड़ी गुफ़्तगू कर लें
कहो क्या ख्याल है
आप से दो बातें करने
यादों को जेबों में भरने
आए हैं हम कुछ दिनों के बाद
यारों की सोहबत में आ के
धीरे से कुछ गुनगुना के
यूँ ही कट जाते हैं दिन और रात
मुट्ठी में तुम भींच लाना सावन हरा
इक धनक तुम भी तोड़ लाना फ़लक़ से ज़रा
खट्टी बट्टी बाँट लेंगे किरणों का कतरा
इक सिक्का धूप हम से लेना गर कम लगा
बेतुक ही बेमलब हँस लें हम
क्यूँ ना ही इस लमहे में हाँ जी लें हम
चलो बाँट ले हम ज़िंदगी
जरा आज यूँ कर लें
कहो क्या ख़्याल है
आप से दो बातें करने...
दीशब के तू अज़ मेह्र बा बाम
मेह्र बा बाम आमदाबूदी..आमदाबूदी
मेह्र बा बाम आमदाबूदी..आमदाबूदी
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7 टिप्पणियाँ:
ये अच्छी खबर दी आपने. कोक स्टूडियो तो वाकई लाजवाब था. ये देवारिस्ट्स भी देखते हैं अब.
feels lucky to be able to listen to these musicians create double the magic together!
iss page par jo zeb aur haniya ka interview hai, yeh bhi suniyega -
http://www.radioopensource.org/zeb-and-haniya-the-healing-power-of-urdu-blues/
लाजवाब गीत और शानदार प्रस्तुति | सुनवाने के लिए धन्यवाद |
नमस्कार मनीषजी... आजआपकी पोस्ट पर नज़र गई... सुरीले सुरो की बात हो और अपने मन की बात हो तो रुका नही जाता...
आजकल बस इन्ही आवाज़ो को दिन रात सुना जाता है... घर के सभी सदस्य बस मदमस्त होकर यह संगीत सुनते है.....
इस वक्त भी जो सुना जा रहा है... ज़रूर आपको पसन्द आएगा.... लिंक भेज रही हूँ .....
http://www.cokestudio.com.pk/Season.aspx?SeasonId=4
स्नेही मीनाक्षी
hostel men television to hai kintu star world nahin aata. ghar pahonchte hi is show ko dekhne ki ass rahegi....bahut sundar !!!
रवि जी मुझे अब तक सबसे अच्छा ये एपिसोड लगा है , वैसे हर कार्यक्रम में कलाकारों की जिंदगियों के कुछ अनछुए पहलुओं से भी रूबरू होने का मौका मिलता रहता है।
सुपर्णा लिंक देने के लिए धन्यवाद। मैंने वो इंटर व्यू सुना।
मीनाक्षी जी कोक स्टूडिओ पाक का चौथा सीजन भी लाजवाब रहा है।
दीपक पसंदगी का शुक्रिया!
प्रियंक पूरा एपीसोड यू ट्यूब पर भी उपलब्ध है। नेट पर सर्च करो मिल जाएगा।
ओह...क्या कहूँ...
आपका तो आभार किन शब्दों में व्यक्त करूँ ,पता नहीं..क्योंकि आप न बताते तो शायद ही इस गीत तक पहुँच होती हमारी...
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