हिंदी फिल्म संगीत में नायक नायिका की आपसी बातचीत को गीतों में ढालने की रिवायत पुरानी रही है। इस कोटि में एक और गीत शामिल हो गया है वार्षिक संगीतमाला की तेरहवीं सीढ़ी पर। इसे लिखा पटकथा लेखक व गीतकार जयदीप साहनी ने, धुन बनाई सचिन ज़िगर ने और अपनी बेहतरीन आवाज़ से इसमें जान फूँकी मोहित चौहान और सुनिधि चौहान ने। झीनी रे झीनी के बारे में बात करते हुए मैंने आपको बताया था कि संगीतकार सचिन ज़िगर के लिए ये साल बेहतरीन रहा है। शुद्ध देशी रोमांस की पटकथा और चरित्र चित्रण भले ही मुझे पसंद ना आया हो पर इस फिल्म का संगीत दिल के करीब रहा।
अब इसी गीत के आरंभिक संगीत पर गौर करें। रिक्शे के हार्न, नुक्कड़ में खेलते बच्चों की आवाज़ों के साथ गिटार और ट्रामबोन्स का मेल आपको एक बार में ही गीत के मस्ती भरे मूड में ले आता है। नायक और नायिका की नोंक झोंक को जयदीप अपने शब्दों में बड़ें प्यार अंदाज़ में विकसित करते हैं। गीत में इस्तेमाल किए गए उनके कुछ रूपक 'चद्दर खद्दर की,अरमान हैं रेशम के...' या 'अरमान खुले हैं , जिद्दी बुलबुलें हैं ..' मन को सोहते हैं।
ये नोंक झोंक सजीव लगे इसके लिए जरूरी था कि मोहित और सुनिधि की गायिकी का गठजोड़ शानदार हो और गीत सुनने के बाद आप तुरंत इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि इन दोनों ने इस गीत की अदाएगी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सचिन जिगर का मिली मिली है ,ज़रा खिली खिली है के बाद एकार्डियन, गिटार और ट्रामबोन्स का सम्मिलित संगीत संयोजन आप को थिरकने पर मजबूर कर देता है।
तो आइए थोड़ा झूमते हैं सचिन जिगर की इस बेहतरीन संगीत रचना के साथ..
ऐ सुन, सुन ले ना सुन मेरा कहना तू
हो गफ़लत में ..गफ़लत में ना रहना तू
हम्म जो दिन तेरे दिल के होंगे, तो होगी मेरी रैना..
तू अभी भी सोच समझ ले , कि फिर ये ना कहना
कि तेरे मेरे बीच में क्या है
ये तेरे मेरे बीच में क्या है
हम्म चद्दर..
हो चद्दर खद्दर की,अरमान हैं रेशम के
हो चद्दर खद्दर की,अरमान हैं रेशम के
मिली मिली है ,ज़रा खिली खिली है
फाइनली चली है मेरी लव लाइफ
मिली मिली है ,ज़रा खिली खिली है
literally silly है मेरी लव लाइफ
हो तेरे तेरे मेरे मेरे
तेरे मेरे तेरे बीच में
ये तेरे मेरे बीच में
तेरे तेरे ..तेरे मेरे तेरे बीच में
तेरे मेरे बीच में, कभी जो राज़ हो कोई
धूप में छिपी-छिपी, कहीं जो रात हो कोई
हो तेरे मेरे बीच में, कभी जो बात हो कोई
जीत में छिपी-छिपी, कहीं पे मात हो कोई
पूछूँगा हौले से, हौले से ही जानूँगा
जानूँगा मैं हौले से, तेरा हर अरमान
अहां… अरमान खुले हैं , जिद्दी बुलबुलें हैं
अरमान खुले हैं, जिद्दी बुलबुलें हैं
मिली मिली है ,ज़रा खिली खिली है ..लव लाइफ
हे सुन ....
जो नींद तूने छीन ली तो, तो मैं भी लूँगा चैना
तू अभी भी सोच समझ ले , तो फिर ये ना कहना
कि तेरे मेरे बीच में क्या है ...क्या है ?
तुम्हें पता तो है क्या है
कि तेरे मेरे बीच में क्या है
बातें...लम्बी बातें हैं छोटी सी रातें हैं
लम्बी लम्बी बातें हैं, छोटी सी रातें हैं
मिली मिली है ...
वैसे ज़रा बताइए तो आपको आपसी गपशप में बढ़ते ऐसे कौन से गीत सबसे ज्यादा गुदगुदाते हैं?
4 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर गीत
luvly song..
प्रवीण, दिलबाग व सुनीता जी आपकी टिप्पणियों के लिए आभार !
mein nahin samajhta ye pichle saal ke behtreen geeton mein se ek tha
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