वार्षिक संगीतमाला की नवीं पायदान पर का गीत जब मैंने पहले पहल टीवी पर देखा था तो मैं ये नहीं समझ पाया था कि इसमें ऐसी कौन सी बात है जो इसके प्रति मुझे आकर्षित कर रही है। टीवी या फिल्मों में जब आप गाने देखते हैं तो कई बार आपका ध्यान इतनी बातों पर रहता है कि गीत के बोल व धुन की बारीकियों को महसूस कर पाना बड़ा मुश्किल होता है। बाद में जब संगीतमाला की सूची बनाने बैठा तो बार बार सुनते वक़्त इसके संगीत खासकर इसके इंटरल्यूड्स में इस्तेमाल हारमोनियम की मधुर धुन ने पहले दिल में खूँटा गाड़ा और फिर गीत की भावनाएँ मन में ऐसी रमी कि देखिए ये मेरे पसंद के प्रथम दस गीतों में शामिल हो गया। संगीतकार जोड़ी सचिन जिगर द्वारा रचा ये गीत है फिल्म Happy Ending का।
वार्षिक संगीतमाला में पिछले साल शुद्ध देशी रोमांस और इसक जैसी फिल्मों में अपनी असीम प्रतिभा का परिचय देने वाली इस जोड़ी के लिए पिछला साल अपेक्षाकृत फीका जरूर रहा। वैसे आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस तरह सुनो ना संगमरमर में जीत गाँगुली ने जिस तरह अपने संगीतबद्ध बंगाली गीत की धुन का प्रयोग किया था उसी तरह सचिन ज़िगर ने इस गीत की धुन सबसे पहले 2013 में प्रदर्शित एक तेलगु फिल्म D for Dapodi में प्रयोग की थी।
गिटार के तारों की मधुर झंकार से शुरु होते इस गीत को अंतरों में ताल
वाद्यों का सुकूनदेह साथ मिलता है। अरिजित जैसे ही जैसा मेरा तू ..... खत्म करते
हैं पीछे से बजता हारमोनियम अपनी पूरी रंगत (1.13-1.30) में आ जाता है।
इस संगीतमाला में ये पहला मौका है जब इस गीत की गीतकार ख़ुद इस गीत को अरिजित सिंह के साथ गा भी रही हैं। वार्षिक संगीतमाला 2014 की फेरहिस्त में रश्मि सिंह और क़ौसर मुनीर के बाद बतौर महिला गीतकार नाम जुड़ रहा है प्रिया सरैया का। बतौर गीतकार उन्हें मैंने तीन साल पहले लिखे गीत धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे , जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो.. (शोर इन दि सिटी) से पहली बार जाना था। पिछले तीन साल में प्रिया के जीवन में दो अहम बातें हुई। एक तो संगीतकार जिगर से उनकी ज़िदगी के तार हमेशा हमेशा के लिए जुड़ गए और वो प्रिया पंचाल से प्रिय सरैया हो गयीं और दूसरे सचिन जिगर ने अपनी फिल्मों में बतौर पार्श्व गायिका उनकी आवाज़ का भी इस्तेमाल किया।
इस संगीतमाला में ये पहला मौका है जब इस गीत की गीतकार ख़ुद इस गीत को अरिजित सिंह के साथ गा भी रही हैं। वार्षिक संगीतमाला 2014 की फेरहिस्त में रश्मि सिंह और क़ौसर मुनीर के बाद बतौर महिला गीतकार नाम जुड़ रहा है प्रिया सरैया का। बतौर गीतकार उन्हें मैंने तीन साल पहले लिखे गीत धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे , जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो.. (शोर इन दि सिटी) से पहली बार जाना था। पिछले तीन साल में प्रिया के जीवन में दो अहम बातें हुई। एक तो संगीतकार जिगर से उनकी ज़िदगी के तार हमेशा हमेशा के लिए जुड़ गए और वो प्रिया पंचाल से प्रिय सरैया हो गयीं और दूसरे सचिन जिगर ने अपनी फिल्मों में बतौर पार्श्व गायिका उनकी आवाज़ का भी इस्तेमाल किया।
प्रिया को इस गीत में ऐसे
दो चरित्रों के बीच की भावनाओं को उभारना था जिन्हें एक दूसरे का साथ तो
पसंद है पर जो ये निर्णय नहीं ले पा रहे कि जो उनके मन में चल रहा है क्या
वो ही प्रेम है ? इसलिए प्रिया गीत के मुखड़े में लिखती हैं.. उलझी सी बातें
दिल, मुझ से भी बाँटे..तो मेहर मेहर मेहरबानियाँ..। पर अगर पता चल ही जाए
कि प्रेम है भी तो उसे स्वीकारना तब तो और भी कठिन है अगर आप उस रिश्ते के
लिए प्रतिबद्ध नहीं हों। सो एक कदम आगे बढ़ने से पहले दो कदम पीछे हट जाना ही
बेहतर लगता है प्रिया के इन शब्दों की तरह ऐ दिल फरेबी थम सा गया क्यूँ
...ऐसी वैसी बातें सोचकर
उलझी सी बातें दिल, मुझ से भी बाँटे
तो मेहर मेहर मेहरबानियाँ
खुद ही समझ के मुझे समझा दे
तो मेहर मेहर मेहरबानियाँ
हो मेहरबानी जो दिल दे जुबानी
कह दे वो जो ना कभी कहा है
ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू
मिलते रहे जो ऐसे ही दोनों
लग ना जाए इश्क़ की नज़र
ऐ दिल फरेबी थम सा गया क्यूँ
ऐसी वैसी बातें सोचकर
बस में ना मेरे अब ये रहा है
तुझ पे आ के दिल ये जो रुका है
ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू
फरियाद करती, फिर याद करती
सोचती हूँ तुमको बार बार
ना चाहतें हैं, पर चाहती क्यूँ
तुमको यूँ ही मेरे आस पास
कुछ भी नहीं है, कुछ फिर भी है
तुमसे मिलके दिल को ये लगा है...
ऐसे तेरा मैं ..जैसे मेरा तू
गायिकी के लिहाज़ से ये गीत प्रिया से ज्यादा अरिजित सिंह का है। इस
संगीतमाला में शामिल अरिजित का ये पाँचवा नग्मा है। मुर्शीदाबाद से ताल्लुक
रखने वाले इस शर्मीले से गायक ने हर तरह के गीतों को इस साल अलग अलग
अंदाज़ों में निभाया है जो उनकी आवाज़ की परिपक्वता को दिखाता है। इस गीत
को भी जिस मस्ती में डूबकर उन्होंने गाया है उसे सुनने वाला अछूता नहीं रह
पाता । तो आइए आनंद लें प्रिया और अरिजित के गाए इस युगल गीत का...
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
4 टिप्पणियाँ:
Nice song..
kuchh songs to chalan k ba'vjoood bhi, apke idhr aane pr hi sunne milte hain....
hamesha ki tarah pyara... :)
इस गीत ने मेरे दिल को छू लिया। बहुत ही प्यारी धुन। अरिजित सिंह की आवाज़ में भी कम जादू नहीं ।
Namrata. Lori and Sunita jee it was nice to know that you all enjoyed the song like the way I did!
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