MS Dhoni The untold story का संगीत पिछले साल के कुछ लोकप्रिय एलबमों में रहा। फिल्म के संगीतकार अमाल मलिक के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि रही क्यूँकि ये उनका बतौर संगीतकार पहला एकल एलबम था। वैसे अगर अमाल मलिक से आप अब तक परिचित नहीं हैं तो ये बता दूँ कि वे संगीतकार सरदार मलिक के पोते, अनु मलिक के भतीजे, व डबू मलिक के पुत्र हैं। अब जिस घर में संगीत संयोजन से जुड़े इतने महारथी एक साथ हों तो उस घर के तो उस घर के चिराग संगीतं दक्ष तो होंगे ही।
अमाल पियानो पर तो सिद्धस्थ हैं ही, साथ ही उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत की विधिवत पढ़ाई भी की है। 2014 में जय हो के गीत से अपनी बॉलीवुड की पारी शुरु करने वाले अमाल ने इस साल MS Dhoni The untold story के गीतों के आलावा अज़हर में बोल दो ना ज़रा व तू ही ना जाने, सरबजीत में सलामत और सनम रे में ग़ज़ब का ये दिन जैसे मधुर गीत दिए जिस श्रोताओं ने खूब सराहा।
जहाँ तक धोनी के गीतों की बात है मुझे फिर कभी और बेसब्रियाँ सबसे ज्यादा
अच्छे लगे जबकि इस फिल्म का गीत कौन तुझे आम जनता में सबसे ज्यादा सुना
गया। बहरहाल अमाल को इस फिल्म के गीतों को बनाने के लिए धोनी की जीवन
यात्रा को आत्मसात करना पड़ा। इस प्रक्रिया में उन्हें डेढ़ साल का वक़्त
लगा। इस दौरान सत्ताइस धुनें निर्देशक नीरज पांडे के समक्ष रखी गयीं जिनमें
छः को अंत में चुना गया। सूरज डूबा, मैं हूँ हीरो और नैना जैसे चंद गीतों
से जाने जाने वाले अरमान के लिए कहानी के साथ गीतों को रचना एक बड़ी चुनौती
था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक संपादित किया।
धोनी के गीतों को सुनते समय फिर कभी के बोल और संगीत और अरिजीत की गायिकी पहली बार सुनते ही मेरे दिमाग में चढ़ से गए थे और यही वज़ह है कि ये गीत वार्षिक संगीतमाला में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है।
गीत के बोल रचने में अमाल मलिक का साथ दिया मनोज मुन्तशिर ने। गीत का पहला मजबूत पक्ष है इस गीत की गिटार पर आधारित कर्णप्रिय शुरुआती धुन जो पहले बीस सेकेंड्स में ही आपको एक अच्छे मूड में ले आती है और फिर तो मनोज के शब्द प्यार में डूबे हुए दिल के जज़्बातों की कहानी सहज शब्दों में व्यक्त कर देते हैं। प्रेम में एक दूसरे के व्यक्तित्व के नए पहलुओं को परखते और सराहते कभी कभी हम ख़ुद को भूल से जाते हैं। इसी बात को मनोज गीत के मुखड़े में यूँ व्यक्त करते हैं
ये लम्हा जो ठहरा है, मेरा है या तेरा है
ये लम्हा मैं जी लूँ ज़रा
तुझमें खोया रहूँ मैं, मुझ में खोयी रहे तू
ख़ुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं, मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी
हाँ फिर कभी
क्यूँ बेवजह गुनगुनाएँ, क्यूँ बेवजह मुस्कुराएँ
पलकें चमकने लगी है, अब ख़्वाब कैसे छुपायें
बहकी सी बातें कर लें, हँस हँस के आँखें भर लें
ये बेहोशियाँ फिर कहाँ..
तुझमें खोया रहूँ मैं...हाँ फिर कभी
दिल पे तरस आ रहा है, पागल कहीं हो ना जाएँ
वो भी मैं सुनने लगा हूँ, जो तुम कभी कह ना पाए
ये सुबह फिर आएगी, ये शामें फिर आएँगी
ये नजदीकियाँ फिर कहाँ...
तुझमें खोया रहूँ मैं...हाँ फिर कभी
वहीं मनोज का ये कहना पलकें चमकने लगी है, अब ख़्वाब कैसे छुपायें अंतरों की सबसे बेहतर पंक्तियों में लगता है। अंतरे में अमाल का संगीत संयोजन प्रीतम की याद दिलाता है और ये स्वाभाविक भी हैं क्यूँकि अमाल प्रीतम के तीन वर्षों तक सहायक रह चुके हैं। अरिजीत ने यहाँ भले कुछ नया कुछ नहीं किया हो पर हमेशा की तरह उनकी गायिकी सधी हुई है । गीत का फिल्मांकन सुशांत सिंह राजपूत के साथ दिशा पटानी पर हुआ। दिशा अपने हाव भावों और खूबसूरती से गाने के प्रभाव को बढ़ाती नज़र आती हैं।
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
8 टिप्पणियाँ:
वाकई में एक शानदार गाना ..अल्फाज़ और आवाज़ दोनों अपना असर छोड़ते है
हाँ गुलशन वो तो है।
पिछली पोस्ट में फ़ैज़ का चंद रोज़ मेरी जान सुना ग़ज़ल/नज़्म प्रेमियों को खास तौर पर सुनना चाहिए उसे।
Thankyou Manish Kumar for suh an encouraging write up. regards
शुक्रिया Manoj Muntashir ! यूँ ही गीतों में कविता का पुट घोलते रहिए। आप इससे भी बेहतर कर सकते हैं। शुभकामनाओं के साथ
Mere sath sath tum raho, jane ki baat na karo vala bhi achchha laga mujhe kafi
Hmmm Harshita that song was also hummable. In fact entire album was melodious.
आपको मैं बताऊँ सर कि ये गाना अभी मेरे यू ट्यूब में ऑफलाइन सेव है और रोज कम से कम 3-4 बार सुन ही लेता हूँ। वैसे तो इसके सभी गाने अच्छे हैं मगर ये सबसे कर्णप्रिय है। बहुत ख़ुशी हुई इस गाने के पायदान में शामिल होने पर। ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है क्योंकि ये हमारी घरेलू फिल्म है।
Kumar Nayan Singh इसका मतलब तो मैं यहीं निकालूँगा कि आप भी आजकल किसी की याद में खोए हुए हैं। :p बहरहाल ये गीत इस फिल्म का मेरा भी सबसे चहेता नग्मा है।
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