वार्षिक संगीतमाला 2016 में साल के पच्चीस शानदार गीतों की श्रंखला में अगली पेशकश से जुड़ी हैं ऐसी दो शख़्सियत जिन्होंने पिछले साल अपने गीत और संगीत से आम और खास सबका दिल जीता है। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य और संगीतकार एवम गायक क्लिंटन सेरेजो की । अगर आप वर्षों से इस संगीतमाला के साथ हैं तो बतौर गीतकार अमिताभ के लिखे कई गीतों से रूबरू हो चुकेंगे। पर बतौर संगीतकार क्लिंटन सेरेजो का वार्षिक संगीतमालाओं में ये पहला कदम है।
साथ ही ये बता दूँ कि इस साल के प्रथम दस गीतों में क्लिंटन के संगीतबद्ध दो नग्मे हैं। क्लिंटन सेरेजो वैसे तो एक दशक में भी ज्यादा से बॉलीवुड में सक्रिय रहे हैं, पर गायक के रूप में बीड़ी, यारम या सूरज की बाहों में जैसे गीतों को छोड़ दें तो मुझे याद नहीं आता उनकी आवाज़ ने ज्यादा लोकप्रियता हासिल की हो। पर गायिकी के आलावा जबसे उन्होंने संगीत संयोजन, निर्माण और वादन में भी अपना दखल बढ़ाया है, उनकी प्रतिभा के नए रंग श्रोताओं तक पहुँचे हैं।
मुंबई के पोद्दार कॉलेज के छात्र रहे क्लिंटन के मध्यम वर्गीय परिवार का संगीत से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। पिता एक निजी कंपनी में इंजीनियर थे तो माँ फ्रेंच भाषा की प्रोफेसर। बाकी भाई बहन भी पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहे। ऐसे हालातों में में संगीत के प्रति रुचि जागृत करना और बाद में क्लिंटन का उसे अपनी जीविका का ज़रिया बना लेना उनके परिवार के लिए किसी अजूबे से कम नहीं था।
क्लिंटन सेरेजो व अमिताभ भट्टाचार्य |
क्लिंटन के संगीतबद्ध TE3N के जिस गीत की बात मैं आपसे आज करने जा रहा हूँ उसमें एक गहरा दुख है पर साथ में एक उम्मीद भी। ये गीत एक ऐसे शख़्स की कहानी कहता है जो बुरी तरह टूट चुका है और जीवन में लाचारियों के दौर से गुजरा रहा है... जिसकी ज़िंदगी की खुशियों से दूर दूर तक का नाता नहीं है पर फ़िर भी उम्मीद के एक कतरे की रोशनी उसे जिलाए हुए है।
अमिताभ भट्टाचार्य ने कमाल के बोल रचे हैं फिल्म के किरदार की इन मनोभावनाओं को व्यक्त करने के लिए। रौशनी की इक बूँद पर जिंदा रहने की बात हो या हौसले की कुछ तीलियों को पकडे रहने की, उनके बिंब गीत की उदासी में भी आशा की ज्योत जला देते हैं। क्लिंटन का संगीत संयोजन गीत के उदास मूड को आत्मसात करता हुआ बोलों के पीछे मंद मंद बहता है। प्रील्यूड हो या इंटरल्यूड पियानो, गिटार और हल्के ताल वाद्यों के माध्यम से क्लिंटन गीत का माहौल रचते हैं । हक़ है तक पहुँचते पहुँचते वे द्रुत लय और कोरस का बेहतरीन प्रयोग करते हैं। संगीत संयोजन और गायन के आलावा गीत में जो मजीरा बजता है वो क्लिंटन ने ख़ुद बजाया है।
घोर अँधेरा, कहता रहा, हार जा
एक सितारा माना नहीं, ना डरा
रौशनी की इक बूँद पे, जिंदा रहा वो, जिंदा रहा वो
ज़िन्दगी की कुछ डोरियों को जकड़े हुए, कहता रहा
हक़ है मुझे जलने का
हक़ है मुझे जीने का
हक़ है मेरा अम्बर पे, ले के रहूँगा हक़ मेरा
ले के रहूँगा हक़ मेरा, करता हूँ वादा
मेरे लहू का क़तरा अभी गर्म है, एक अधूरा मेरा अभी कर्म है
दिन महीने हर साल की गिनता रहा वो, गिनता रहा वो
हौसले की कुछ तीलियों को पकड़े हुए, कहता रहा
हक़़ है मुझे जलने का.....
मैं जानता हूँ मुझे आख़िर एक ना एक दिन, मरना है
पर जब तलक भी जीऊँ वो जीना कैसा, तय करना है
मिटटी की काया में लोहे का है इरादा
हक़ है मुझे जलने का.....
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
2 टिप्पणियाँ:
I likes!!!!! Yeh geet humein bhi behad pasand hai...now looking forward to see how many of my favorites are there in your list n at wat positions!!
स्मिता स्थान मायने नहीं रखते उतने पर हाँ जानकर अच्छा लगा कि ये गाना आपको भी पसंद है। वैसी अपनी लिस्ट भेजिए। मुझे भी उत्सुकता है आपकी पसंद जानने के लिए :)
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