पिछले साल हमारा फिल्म उद्योग क्रिकेटरों पर बड़ा मेहरबान रहा। एक नहीं बल्कि दो दो फिल्में बनी हमारे भूतपूर्व क्रिकेट कप्तानों पर। हाँ भई अब तो अज़हर के साथ हमारे धोनी भी तो भूतपूर्व ही हो गए। बॉलीवुड ने इन खिलाड़ियों की जीवनियाँ तो पेश की हीं साथ ही साथ इनके व्यक्तित्व को भी बेहद रोमांटिक बना दिया।
अब हिंदी फिल्मों में जहाँ रोमांस होगा तो वहाँ ढेर सारे गाने भी होंगे। सो इन दोनों फिल्मों के नग्मे रूमानियत से भरपूर रहे। ऐसा ही एक गीत विराजमान है वार्षिक संगीतमाला की 23 वीं सीढ़ी पर फिल्म अज़हर से। पूरे एलबम के लिहाज़ से अज़हर फिल्म का संगीत काफी मधुर रहा। अमल मलिक का संगीतबद्ध और अरमान मलिक का गाया गीत बोल दो तो ना ज़रा मैं किसी से कहूँगा नहीं और अतिथि संगीतकार प्रीतम की मनोज यादव द्वारा लिखी रचना इतनी सी बात है मुझे तुमसे प्यार है खूब सुने और सराहे गए।
मुझे भी ये दोनों गीत अच्छे लगे पर सोनू निगम की आवाज़ में अमल मलिक की उदास करती धुन दिल से एक तार सा जोड़ गई। काश इस गीत को थोड़े और अच्छे शब्दों और गायिका का साथ मिला होता तो इससे आपकी मुलाकात कुछ सीढ़ियाँ ऊपर होती। सोनू निगम की आवाज़ इस साल भूले भटके ही सुनाई दी। इस गीत के आलावा फिल्म वज़ीर के गीत तेरे बिन में वो श्रेया के साथ सुरों का जादू बिखेरते रहे। समझ नहीं आता उनकी आवाज़ का इस्तेमाल संगीतकार और क्यों नहीं करते ?
सदियों पहले मीर तक़ी मीर ने एक बेहतरीन ग़ज़ल कही थी जिसका मतला था पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने ना जाने गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है। इस मतले का गीत के मुखड़े के रूप में मज़रूह सुल्तानपूरी ने आज से करीब 35 वर्ष पूर्व फिल्म एक नज़र में प्रयोग किया था। लता और रफ़ी की आवाज़ में वो गीत बड़ा मशहूर हुआ था।
गीतकार कुमार की प्रेरणा भी वही ग़ज़ल रही और सोनू ने क्या निभाया इसे। जब वो पत्ता पत्ता जानता है, इक तू ही ना जाने हाल मेरा तक पहुँचते हैं दिल में मायूसी के बादल और घने हो जाते हैं। सोनू अपनी आवाज़ से उस प्रेमी की बेबसी को उभार लाते हैं जो अपने प्रिय के स्नेह की आस में छटपटा रहा है, बेचैन है।
अमल मालिक और सोनू निगम |
रही बात प्रकृति कक्कड़ की तो अपना अंतरा तो उन्होंने ठीक ही गाया है पर मुखड़े के बाद की पंक्ति में इक तेरे पीछे माही का उनका उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। इस गीत को सुनते हुए अमल मलिक के बेहतरीन संगीत संयोजन पर ध्यान दीजिए। गिटार और बाँसुरी के प्रील्यूड के साथ गीत शुरु होता है। इटरल्यूड्स में रॉक बीट्स के साथ बजता गिटार और फिर पंजाबी बोलों के बाद सारंगी (2.10) का बेहतरीन इस्तेमाल मन को सोहता है। अंतिम अंतरे के पहले गिटार, बाँसुरी और अन्य वाद्यों का मिश्रित टुकड़ा (3.30-3.45) को सुनकर भी आनंद आ जाता है।
समंदर से ज्यादा मेरी आँखों में आँसू
जाने ये ख़ुदा भी है ऐसा क्यूँ
तुझको ही आये ना ख़्याल मेरा
पत्ता पत्ता जानता है
इक तू ही ना जाने हाल मेरा
पत्ता पत्ता जानता है
इक तू ही ना जाने हाल मेरा
नित दिन नित दिन रोइयाँ मैं, सोंह रब दी ना सोइयाँ मैं
इक तेरे पीछे माही, सावन दियां रुतां खोइयाँ मैं
दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया,
टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया
हो दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया
टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया
खुशियाँ ले गया, दर्द कितने दे गया
ये प्यार तेरा..पत्ता पत्ता ...
मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ
हाँ मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ
हाँ करूँ तुझे याद मैं
है तेरे बाद इंतज़ार तेरा..., पत्ता पत्ता ...
9 टिप्पणियाँ:
बहुत ही बढ़िया article लिखा है आपने। ... Thanks for sharing this!! :) :)
बहुत खूब मनीष जी
HindiIndia क्या बढ़िया लगा आपको इसमें ?
शुक्रिया सुमित संगीयमाला में पधारने के लिए :)
badiya song
ना... मज़ा नहीं आयी
कंचन : हम्म लफ्ज़ और अच्छे हो सकते थे. मुझे सोनू निगन की गायिकी और संगीत संयोजन पसंद आए।
गुलशन : सोनू निगम क्या आपको भी पसंद हैं ?
बिल्कुल मनीष जी खासकर उनका "हर घडी बदल रही है रूप ज़िन्दगी '' और इस गाने में जब "चाहे जो तुम्हे कोई दिल से मिलता है वो मुश्किल से ऐसा जो कोई कंही है वो ही सबसे हंसी है " यह अल्फाज़ और उनकी आवाज़ कमाल है और यंहा जब.. पत्ता पत्ता जानता है इक तू ही न जाने हाल मेरा.. इस जगह यह सबसे बेहतरीन लगा ..
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