स्वागत है आप सब का एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के इस ग्यारहवें संस्करण में जिसकी पहली पेशकश है फिल्म बॉलीवुड डायरीज़ से। पिछले साल फरवरी 2016 में प्रदर्शित बॉलीवुड डायरीज़ फिल्म अपने यथार्थ को छूते कथानक के लिए सराही गयी थी। इस गीत के संगीतकार हैं विपिन पटवा और गीत के बोल लिखे हैं डा. सागर ने। विपिन पटवा का संगीत और सागर द्वारा रचे बोल इस फिल्म के लिए निश्चय ही ज्यादा सुर्खियाँ बटोरने की ताकत रखते थे। पर फिल्म और उसका संगीत ज्यादा ध्यान खींचे बिना ही सिनेमाघर के पर्दों से बाहर हो गया।
उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी परिवार से जन्मे विपिन को बचपन से ही
शास्त्रीय संगीत में रुचि थी। पंडित हरीश तिवारी से आरंभिक शिक्षा लेने
वाले विपिन स्नातक करने के बाद कुछ दिनों तक आकाशवाणी के लिए काम करते रहे।
सात आठ साल पहले उन्होंने मायानगरी में कदम रखा और तीन चार छोटी मोटी
फिल्में भी कीं। पर बॉलीवुड डायरीज़ मेरी समझ से उनका संगीत निर्देशित अब
तक का सबसे बेहतर एलबम है। तितली के आलावा इस फिल्म के अन्य गीत मनवा बहरुपिया
और मन का मिरगा ध्यान आकर्षित करते हैं। मनवा बहरुपिया सुनकर मुझे कभी
अलविदा ना कहना के चर्चित गीत मितवा कहे धड़कनें तुझसे क्या की याद आ गयी।
विपिन पटवा |
तो बात करते हैं तितली की। दरअसल ये फिल्म मुंबई की फिल्मी दुनिया में
पहुँचने की हसरत लिए तीन अलग अलग किरदारों की कहानी है जिनके सपनों के तार
उन्हें एक दूसरे से जोड़ देते हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिए वे क्या
कुछ खोते हैं इसी व्यथा को व्यक्त करता है पच्चीसवीं पॉयदान का ये गीत। डा.
सागर जिनकी शिक्षा दिक्षा जे एन यू से हुई है ने इस गीत के लिए जो बोल
लिखे हैं उनमें ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए वाली
पंक्ति मन को सीधे कचोट जाती है।
बाहर से ये दुनिया हमें जितनी रंग बिरंगी
दिखती है उतनी अंदर से होती नहीं। पर जब तक उसके इस रूप का दर्शन होता है
हम बहुत कुछ दाँव पर लगा देते हैं। उस दलदल को पार करना ही एक रास्ता बचता
है वापस लौटना नहीं। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति अंदर ही अंदर घुलता जाता
है पर कुछ कह नहीं पाता। सागर इन मनोभावों को गीत के अंतरे में बखूबी
व्यक्त करते हैं।
पियानो और सारंगी के मधुर संगीत संयोजन से गीत के मुखड़े की शुरुआत होती है।
इंटरल्यूड्स में भी विपिन भारतीय वाद्यों सारंगी और सरोद का खूबसूरत
इस्तेमाल करते हैं। पापोन की शुरुआती तान गीत की पीड़ा को सामने ले आती है।
वैसे इस गीत को एलबम में सोमेन चौधरी ने भी गाया है पर पापोन अपनी गायिकी
से कहीं ज्यादा प्रभावित करते हैं।
कैसा ये कारवाँ, कैसे हैं रास्ते
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...
सारा सुकूँ हैं खोया खुशियों की चाहत में
दिल ये सहम सा जाए छोटी सी आहट में
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...
अलफ़ाज़ साँसों में ही आ के बिखरते जाए
खामोशियों में बोले ये आँखे बेजुबान
परछाइयाँ हैं साथी, चलता ही जाए राही
कोई ना देखे अब तो ज़ख्मों के निशान
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...
ना रौशनी हैं कोई, आशाएँ खोयी खोयी
टूटा फूटा हैं ये उम्मीदों का ज़हाँ
ना बेकरारी कोई, बंदिश रिहाई कोई
अब तो निगाहों में ना कोई इंतज़ार
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...
11 टिप्पणियाँ:
Behatareen shuruaat!!! Jo geet humnein miss kiya ho unhe dhoond le aate hein aap,...thank you Manishji!
हाँ, आप जैसे संगीतप्रेमियों तक इन्हें पहुंचाने का जो संतोष भी तो रहता है इस खोज़बीन में :)
बिल्कुल उम्मीद के मुताबिक़ ...की कुछ तो अलग ही सुनने को मिलेगा ..शानदार आगाज़ के लिए शुक्रिया
एक बार फिर साल के अनसुने रह गये मगर बेहतरीन गीत से शुरुआत... आगाज बहुत ही अच्छा...आगे की पायदानों का बेसब्री से इन्तजार रहेगा..
Kumar Gulshan सारा कुछ तो नया नहीं सुनने को मिलेगा पर तकरीबन साठ फीसदी से ज्यादा गाने जो मैंने चुने हैं वो मेरे लिए भी नए थे। अगला गीत भी इसी कोटि का है। :)
राजेश जी संगीतमालाओं से साल दर साल आपका जुड़ाव खुशी देता है। कोशिश रहेगी कि कुछ प्रचलित गीतों के साथ साथ मधुर अनसुने गीत भी आप तक पहुँचा सकूँ।
नये साल के शुभ अवसर पर आपको और सभी पाठको को नए साल की कोटि-कोटि शुभकामनायें और बधाईयां। Nice Post ..... Thank you so much!! :) :)
बहुत ही खूबसूरत गीत..यकीनन दिलो दिमाग को इक सुकून देने वाला.. कुछ ऐसे ही गीत संगीत की मौजूदगी से परे भी अपनी महत्वता कम नहीं होने देते... बहुत बहुत बधाई. मेरे फेवरिट गीतों में से इक यह भी है.
डाॅ सागर साहब को दिल से बधाई! जिन्होंने "तितली"को अपने ख्वाबों के ख़ूबसूरत र॔गों से सजाकर एक अनुपम कलाकृति के रूप में पेश कर हमारी रूह को कलात्मकता से पोषित कर दिया।
बहुत ही प्यारी लिरिक्स, ख़ास कर ख्वाबों को सच करनें के लिए तितकी6 ने सारे रंग बेच दिए....!
म्यूजिक का तो आपको पता ही है... :)
शुक्रिया होमवर्क शुरू करवाने का
हाँ ये धुन धीरे धीरे उतरती है ज़ेहन में पर शब्द एकदम से चोट करते हैं। शुक्रिया एक ओर संगीतमाला के सफ़र में सहभागी बनने का :)
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