रविवार, जनवरी 01, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान #25 : ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए Titli ne sare rang bech diye

स्वागत है आप सब का एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के इस ग्यारहवें संस्करण में जिसकी पहली पेशकश है फिल्म बॉलीवुड डायरीज़ से। पिछले साल फरवरी 2016 में प्रदर्शित बॉलीवुड डायरीज़ फिल्म अपने यथार्थ को छूते कथानक के लिए सराही गयी थी। इस गीत के संगीतकार हैं विपिन पटवा और गीत के बोल लिखे हैं डा. सागर ने। विपिन पटवा का संगीत और सागर द्वारा रचे बोल इस फिल्म के लिए  निश्चय ही ज्यादा सुर्खियाँ बटोरने की ताकत रखते थे। पर फिल्म और उसका संगीत ज्यादा ध्यान खींचे बिना ही सिनेमाघर के पर्दों से बाहर हो गया।


उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी परिवार से जन्मे विपिन को बचपन से ही शास्त्रीय संगीत में रुचि थी। पंडित हरीश तिवारी से आरंभिक शिक्षा लेने वाले विपिन स्नातक करने के बाद कुछ दिनों तक आकाशवाणी के लिए काम करते रहे। सात आठ साल पहले उन्होंने मायानगरी में कदम रखा और तीन चार छोटी मोटी फिल्में भी कीं। पर बॉलीवुड डायरीज़ मेरी समझ से उनका संगीत निर्देशित अब तक का सबसे बेहतर एलबम है। तितली के आलावा इस फिल्म के अन्य गीत  मनवा बहरुपिया और मन का मिरगा ध्यान आकर्षित करते हैं। मनवा बहरुपिया सुनकर मुझे कभी अलविदा ना कहना के चर्चित गीत मितवा कहे धड़कनें तुझसे क्या की याद आ गयी।

विपिन पटवा
तो बात करते हैं तितली की। दरअसल ये फिल्म मुंबई की फिल्मी दुनिया में पहुँचने की हसरत लिए तीन अलग अलग किरदारों की कहानी है जिनके सपनों के तार उन्हें एक दूसरे से जोड़ देते हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिए वे क्या कुछ खोते हैं इसी व्यथा को व्यक्त करता है पच्चीसवीं पॉयदान का ये गीत। डा. सागर जिनकी शिक्षा दिक्षा जे एन यू से हुई है ने इस गीत के लिए जो बोल लिखे हैं उनमें ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए वाली पंक्ति मन को सीधे कचोट जाती है। 

बाहर से ये दुनिया हमें जितनी रंग बिरंगी दिखती है उतनी अंदर से होती नहीं। पर जब तक उसके इस रूप का दर्शन होता है हम बहुत कुछ दाँव पर लगा देते हैं। उस दलदल को पार करना ही एक रास्ता बचता है वापस लौटना नहीं। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति अंदर ही अंदर घुलता जाता है पर कुछ कह नहीं पाता। सागर इन मनोभावों को गीत के अंतरे में बखूबी व्यक्त करते हैं।

पियानो और सारंगी के मधुर संगीत संयोजन से गीत के मुखड़े की शुरुआत होती है। इंटरल्यूड्स में भी विपिन भारतीय वाद्यों सारंगी और सरोद का खूबसूरत इस्तेमाल करते हैं। पापोन की शुरुआती तान गीत की पीड़ा को सामने ले आती है। वैसे इस गीत को एलबम में सोमेन चौधरी ने भी गाया है पर पापोन अपनी गायिकी से कहीं ज्यादा प्रभावित करते हैं।

कैसा ये कारवाँ, कैसे हैं रास्ते
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

सारा सुकूँ हैं खोया खुशियों की चाहत में
दिल ये सहम सा जाए छोटी सी आहट में
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

अलफ़ाज़ साँसों में ही आ के बिखरते जाए
खामोशियों में बोले ये आँखे बेजुबान
परछाइयाँ हैं साथी, चलता ही जाए राही
कोई ना देखे अब तो ज़ख्मों के निशान
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

ना रौशनी हैं कोई, आशाएँ खोयी खोयी
टूटा फूटा हैं ये उम्मीदों का ज़हाँ
ना बेकरारी कोई, बंदिश रिहाई कोई
अब तो निगाहों में ना कोई इंतज़ार
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...



Related Posts with Thumbnails

11 टिप्पणियाँ:

Smita Jaichandran on जनवरी 01, 2017 ने कहा…

Behatareen shuruaat!!! Jo geet humnein miss kiya ho unhe dhoond le aate hein aap,...thank you Manishji!

Manish Kumar on जनवरी 01, 2017 ने कहा…

हाँ, आप जैसे संगीतप्रेमियों तक इन्हें पहुंचाने का जो संतोष भी तो रहता है इस खोज़बीन में :)

kumar gulshan on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

बिल्कुल उम्मीद के मुताबिक़ ...की कुछ तो अलग ही सुनने को मिलेगा ..शानदार आगाज़ के लिए शुक्रिया

Rajesh Goyal on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

एक बार फिर साल के अनसुने रह गये मगर बेहतरीन गीत से शुरुआत... आगाज बहुत ही अच्छा...आगे की पायदानों का बेसब्री से इन्तजार रहेगा..

Manish Kumar on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

Kumar Gulshan सारा कुछ तो नया नहीं सुनने को मिलेगा पर तकरीबन साठ फीसदी से ज्यादा गाने जो मैंने चुने हैं वो मेरे लिए भी नए थे। अगला गीत भी इसी कोटि का है। :)

Manish Kumar on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

राजेश जी संगीतमालाओं से साल दर साल आपका जुड़ाव खुशी देता है। कोशिश रहेगी कि कुछ प्रचलित गीतों के साथ साथ मधुर अनसुने गीत भी आप तक पहुँचा सकूँ।

HindIndia on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

नये साल के शुभ अवसर पर आपको और सभी पाठको को नए साल की कोटि-कोटि शुभकामनायें और बधाईयां। Nice Post ..... Thank you so much!! :) :)

Dheeraj Garg on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत गीत..यकीनन दिलो दिमाग को इक सुकून देने वाला.. कुछ ऐसे ही गीत संगीत की मौजूदगी से परे भी अपनी महत्वता कम नहीं होने देते... बहुत बहुत बधाई. मेरे फेवरिट गीतों में से इक यह भी है.

Rita Paul on जनवरी 02, 2017 ने कहा…

डाॅ सागर साहब को दिल से बधाई! जिन्होंने "तितली"को अपने ख्वाबों के ख़ूबसूरत र॔गों से सजाकर एक अनुपम कलाकृति के रूप में पेश कर हमारी रूह को कलात्मकता से पोषित कर दिया।

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 03, 2017 ने कहा…

बहुत ही प्यारी लिरिक्स, ख़ास कर ख्वाबों को सच करनें के लिए तितकी6 ने सारे रंग बेच दिए....!

म्यूजिक का तो आपको पता ही है... :)

शुक्रिया होमवर्क शुरू करवाने का

Manish Kumar on जनवरी 03, 2017 ने कहा…

हाँ ये धुन धीरे धीरे उतरती है ज़ेहन में पर शब्द एकदम से चोट करते हैं। शुक्रिया एक ओर संगीतमाला के सफ़र में सहभागी बनने का :)

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie