वार्षिक संगीतमाला में अब बारी है साल के दस शानदार गीतों की। मुझे विश्वास है कि इस कड़ी की पहली पेशकश को सुन कर आप मुसाफ़िरों वाली मस्ती में डूब जाएँगे। ये गीत है फिल्म जुगनी से जो पिछले साल जुगनुओं की तरह तरह टिमटिमाती हुई कब पर्दे से उतर गयी पता ही नहीं चला। इस गीत को लिखा शैली उर्फ शैलेंद्र सिंह सोढ़ी ने और संगीतबद्ध किया क्लिंटन सेरेजो ने जो बतौर संगीतकार दूसरी बार कदम रख रहे है इस संगीतमाला में। इस गीत से जुड़ी सबसे रोचक बात ये कि विशाल भारद्वाज ने पहली बार किसी दूसरे संगीतकार के लिए अपनी आवाज़ का इस्तेमाल किया है।
पहले तो आपको ये बता दें कि ये शैली हैं कौन? अम्बाला से आरंभिक शिक्षा
प्राप्त करने वाले शैली के पिता हिम्मत सिंह सोढ़ी ख़ुद कविता लिखते थे और एक प्रखर बुद्धिजीवी थे। उनके सानिध्य में रह कर शैली गा़लिब, फ़ैज़ और
पाश जैसे शायरों के मुरीद हुए। शिव कुमार बटालवी के गीतों ने भी उन्हें
प्रभावित किया। चंडीगढ़ से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के बाद आज 1995
में वो गुलज़ार के साथ काम करने मुंबई आए पर बात कुछ खास बनी नहीं। हिंदी
फिल्मों में पहली सफलता उन्हें 2008 में देव डी के गीतों को लिखने से
मिली। इसके बाद भी छोटी मोटी फिल्मों के लिए लिखते रहे हैं। पिछले साल उड़ता
पंजाब के गीतों के कारण वो चर्चा में रहे और जुगनी के लिए तो ना केवल
उन्होंने गीत लिखे बल्कि संवाद लेखन का भी काम किया।
चित्र में बाएँ से शेफाली, शैली, जावेद बशीर व क्लिंटन |
शैली को फिल्म
की निर्देशिका शेफाली भूषण ने बस इतना कहा था कि फिल्म के गीतों में लोकगीतों वाली मिठास होनी चाहिए। इस गीत के लिए क्लिंटन ने शैली से पहले बोल लिखवाए और फिर उसकी
धुन बनी। क्लिंटन को हिंदी के अटपटे बोलों को समझाने के लिए शैली को बड़ी
मशक्कत करनी पड़ी। पर जब क्लिंटन ने उनके बोलों को कम्पोज़ कर शैली के पास
भेजा तो वो खुशी से झूम उठे और तीन घंटे तक उसे लगातार सुनते रहे।
क्लिंटन
के दिमाग में गीत बनाते वक़्त विशाल की आवाज़ ही घूम रही थी। जब उन्होंने
ये गीत विशाल के पास भेजा तो विशाल की पहली प्रतिक्रिया थी कि गाना तो
तुम्हारी आवाज़ में जँच ही रहा है तब तुम मुझे क्यूँ गवाना चाहते हो? पर
क्लिंटन के साथ विशाल के पुराने साथ की वज़ह से उनके अनुरोध को वो ठुकरा
नहीं सके। गीत में जो मस्ती का रंग उभरा है उसमें सच ही विशाल की आवाज़ का
बड़ा योगदान है।
शैली चाहते थे कि इस गीत के लिए वो कुछ ऐसा लिखें
जिसमें उन्हें गर्व हो और सचमुच इस परिस्थितिजन्य गीत में उन्होंने ये कर
दिखाया है। ये गीत पंजाब की एक लोक गायिका की खोज करती घुमक्कड़ नायिका के
अनुभवों का बड़ी खूबसूरती से खाका खींचता है । गिटार और ताल वाद्य के साथ
मुखड़े के पहले क्लिंटन का बीस सेकेंड का संगीत संयोजन मन को मोहता है और
फिर तो विशाल की फुरफराहट हमें गीत के साथ उड़ा ले जाती है उस मुसाफ़िर के
साथ।
हम जब यात्रा में होते हैं तो कितने अनजाने लोग अपनी बात व्यवहार से
हमारी यादों का अटूट अंग बन जाते हैं। शैली एक यात्री की इन्हीं यादों को
आवभगत में मुस्कानें,फुर्सत की मीठी तानें..भांति भांति जग लोग दीवाने,
बातें भरें उड़ानें ...राहें दे कोई फकर से, कोई खुद से रहा जूझ रे ....एक चलते फिरते चित्र की भांति शब्दों में उतार देते हैं। निर्देशिका
शेफाली भूषण की भी तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने इस गीत का फिल्मांकन करते
वक़्त गीत के बोलों को अपने कैमरे से हूबहू व्यक्त करने की बेहतरीन कोशिश
की। तो आइए हम सब साथ साथ हँसते मुस्कुराते गुनगुनाते हुए ये डुगडुगी बजाएँ
फुर्र फुर्र फुर्र नयी डगरिया
मनमौज गुजरिया
रनझुन पायलिया नजरिया
मंन मौज गुजरिया
ये वास्ते रास्ते झल्ले शैदां, रमते जोगी वाला कहदा
आवभगत में मुस्कानें,फुर्सत की मीठी तानें
दायें का हाथ पकड़ के, बाएँ से पूछ के
ओये ओये होए डुग्गी डुग्गी डुग्ग
ओये ओये होए डुग्गी डुग्गी डुग्ग
ओये ओये होए डुग्गी डुग्गी डुग्ग डुग्गी डुग्ग डुग्गी डुग्ग
फिर फिर फिर राह अटरिया
सुर ताल साँवरिया
साँझ की बाँहों नरम दोपहरिया
सुर ताल सँवरिया
परवाज़ ये आगाज़ ये है अलहदा
रौनक से हो रही खुशबू पैदा
भांति भांति जग लोग दीवाने, बातें भरें उड़ानें
राहें दे कोई फकर से, कोई खुद से रहा जूझ रे
ओये ओये होए ... डुग्ग ,
बहते हुए पानी से, इस दुनिया फानी से ,
है रिश्ता खारा, रंग चोखा हारा ,
और जो रवानी ये,
धुन की पुरानी है ये नाता अनोखा
हाँ कूबकु के माने, दहलीज़ लांघ के जाने ,
दायें का हाथ पकड़ के, बाएँ से पूछ के
ओये ओये होए डुग्गी डुग्गी डुग्ग
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
11. ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
6 टिप्पणियाँ:
बेफिक्र होके डुग्गी डुग्गी ..बिल्कुल ही अंजान इस गाने और मूवी से
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
Beautiful song!! Aap gehre sagar mein dubki laga ke moti dhoondh laaye hain. Saadhuwad!
गुलशन मेरी मुलाकात भी इस गीत से संगीतमाला के लिए गीत चुनते समय हुई। एक ही बार सुनकर गीत की मस्ती जुबां चढ़ कर बोलने लगी।
सुमित हाँ इस खोज पर मुझे भी प्रसन्नता हुई थी। बड़ा अनसुना सा गीत है ये।
शुक्रिया हिंदी इंडिया !
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