शनिवार, फ़रवरी 11, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 11: ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi

लगभग चालीस दिन के सफ़र के बाद साल के बेहतरीन पच्चीस गीतों की ये श्रंखला जा पहुँची है ग्यारहवीं पायदान पर और यहाँ पर है अस्सी के दशक का वो गाना जिसे मैं आज भी गाहे बगाहे तरन्नुम से गुनगुनाता हूँ....आप सब भी गुनगुनाते होंगे ऐ ज़िंदगी गले लगा ले ..हमने भी तेरे हर इक ग़म को गले से लगाया है है ना।  दशकों बाद भी गुलज़ार के लिखे इन शब्दों की ताकत इतनी है कि जीवन की हैरान परेशान करती गलियों से गुजरता हर शख़्स कभी ना कभी इन्हें गले लगा ही लेता है। 

पर डियर ज़िंदगी की निर्देशिका गौरी शिंदे इस गीत को अपनी फिल्म में डालने का ख़्याल आया कैसे ? दरअसल ये उनके पति आर बालाकृष्णन जिन्हें फिल्मी दुनिया आर बालकी के नाम से बुलाती है की दिमागी उपज थी। निर्देशक बालकी हमेशा कहते हैं कि उनकी पसंद का सिनेमा दो कलाकारों के बिना अधूरा है। एक तो अमिताभ बच्चन और दूसरे इलयराजा ! इसीलिए उनकी निर्देशित फिल्मों चीनी कम, पा, शमिताभ में इलयराजा के संगीत एक अनिवार्य अंग रहा है। इसलिए जब उन्होने डियर जिंदगी की कहानी सुनी तो उन्हेोंने गौरी को इस गीत को फिल्म का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया।



फिल्म की मुख्य पात्र कायरा एक उभरती छायाकार हैं और अपनी एक ख़ुद की फिल्म बनाने की ख्वाहिश रखती हैं। अपने प्रेम संबंधों के टूटने और अपने करीबियों से जीवन में आई दूरी से परेशान कायरा मानसिक अवसाद में चली जाती हैं। कायरा के मानसिक हालातों को गुलज़ार के शब्द इस तरह पकड़ते हैं मानों ये गीत इसी फिल्म के लिए लिखा गया हो। इंसानों से भरी इस दुनिया हमें कभी बेगानियत का अहसास दिला जाती है। बड़े अकेले अलग थलग पड़ जाते हैं हम और तब लगता है कि ये जिंदगी हमें थोड़ी पुचकार तो ले। कोई राह ही दिखा दे, किसी रिश्ते का किनारा दिला दे...

अमित त्रिवेदी सामान्यतः किसी पुराने गीत को शायद ही अपनी फिल्मों में डालने के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं पर संगीतकार इलायराजा के वे भी उतने ही बड़े प्रशंसक हैं। इतने बड़े क्लासिक को आज के दौर के संगीत के साथ पुनर्जीवित करना इतना आसान ना था पर अमित ने अरिजीत सिंह के साथ ये काम बखूबी कर दिया। शुरुआत में गिटार की झनझनाहट और ताल वाद्यों के साथ जिस तरह गीत की लय से उठती है उसे सुन का अच्छा लगता है। डियर ज़िदगी में इस गीत के मुखड़े और पहले अंतरे का इस्तेमाल हुआ है। इंटरल्यूड्स के हिस्सों में जो गीत के आधिकारिक वीडियो में नहीं है अमित ने रॉक संगीत का समावेश किया है जो मुझे कुछ खास नवीनता लिए नज़र नहीं आया।

पर इलयराजा की मूल धुन और गुलजार का लिखा एक मुखड़ा और अंतरा ही काफी है इस गीत को आपके दिल में एक बार फिर घर करने के लिए और फिर अरिजीत अपनी गायिकी से सुरेश वाडकर की कमी खलने नहीं देते हैं। अरिजीत पर एक ही तरह के गीत गाने का इलजाम लगता रहा है पर जब जब उन्हें लीक से हटने का मौका मिला है उन्होंने दिखा दिया है कि ऐसे ही नहीं वो करोड़ों दिलों पर राज करते हैं। इस गीत को आलिया से भी गवाया गया है पर वो वर्सन अरिजीत के वर्सन के आगे कहीं नहीं ठहरता। तो  सुनते हैं इस सदाबहार गीत को अरिजीत की आवाज़ में..


गीत का आधिकारिक वीडियो जिसमें इंटरल्यूड को हटा दिया गया है




वार्षिक संगीतमाला  2016 में अब तक 
Related Posts with Thumbnails

10 टिप्पणियाँ:

Smita Jaichandran on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

I m an Ilayaraja fan thro n thro...in fact I am unable to relate to ARR is becoz of this, I havent grown beyond Raja!!! Love this song!!!

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

Smita Jaichandran इलयराजा से बहुतेरे संगीतकार प्रेरित होते रहे हैं। दक्षिण में उनका प्रभाव कुछ वैसा ही है जैसे हिंदी फिल्म संगीत में पंचम का। ख़ुद रहमान भी उनके प्रशंसक रहें हैं। रहमान का हर एलबम तो नहीं पर बहुत सारे संगीतबद्ध गीत पसंद रहे हैं। आपकी बात से एक तमिल गीत याद आ रहा है जिसकी धुन मेरी सर्वप्रिय है। http://www.ek-shaam-mere-naam.in/2015/04/karthik-karthik-iyers-violin-adaptation.html

lori on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

yah song, isse judi yaadeN, sabhee zinda ho gaye....ek daur jiya hai Eliyya Raja k music ne....

Sumit on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

Gulzar Sadabahar!

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

Lori जी बिल्कुल ! कौन सी यादें जुड़ी हैं आपकी लोरी इस गीत से ?

Kanchan Bisht Khetwal on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

Very beautiful song.

Mamta Swaroop on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

सुन्दर गीत .......

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

सुमित पुराने गुलज़ार! सदाबहार आजकल उनके गीतों में वो महकती खुशबू नहीं जो कभी हम उनकी आँखों से देखा करते थे।

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2017 ने कहा…

कंचन जी व ममता जी जानकर खुशी हुई कि आपको भी मेरी तरह ये गीत बेहतरीन लगा।

kumar gulshan on फ़रवरी 13, 2017 ने कहा…

बहुत बढ़िया गाना ,लिखने का अंदाज़ एक कहानी सी लगती है जो हर बार एक खूबसूरत नगमे पे जाके खत्म होती है या शुरू कह नहीं सकता .....

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie