हर साल फिल्मी गीत कुछ अप्रचलित शब्दों को हमारी बोलचाल की भाषा में डाल ही देते हैं। बहुधा ऐसा निर्माता निर्देशक गीतों में एक नवीनता लाने के लिए करते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में अम्बरसरिया, ज़हनसीब, आयत, कतिया करूँ जैसे शब्दों ने गीत के प्रति लोगों का आरंभिक जुड़ाव बनाने में काफी मदद की थी। अब महरम (जिसे मेहरम की तरह भी उच्चारित किया जाता है) को ही लीजिए, फिल्मी गीतों के लिए अनजाना तो नहीं पर कम प्रयुक्त होने वाला तो लफ़्ज़ है ही ये। मुझे याद पड़ता है कि आज से पाँच साल पहले गीतकार स्वानंद किरकिरे ने फिल्म ये साली ज़िंदगी के गीत में महरम शब्द का प्रयोग कुछ यूँ किया था
कैसे कहें अलविदा, महरम
कैसे बने अजनबी, हमदम
भूल जाओ जो तुम, भूल जाएँगे हम
ये जुनूँ ये प्यार के लमहे...... नम
जावेद अली द्वारा गाया बड़ा प्यारा नग्मा था वो भी !
वैसे कहाँ से आया है ये "महरम'? इस्लाम के धार्मिक नज़रिए से देखें तो महरम वैसे सगे संबंधियों को कहते हैं जिनसे आपकी शादी नहीं हो सकती। पर साहित्य या फिल्मी गीतों में अरबी से उर्दू में आए इस शब्द का प्रयोग एक अतरंग, एक बेहद घनिष्ठ मित्र के तौर पर होता रहा है। इस मित्रता को भी आप प्रेम ही मान सकते हैं। पर जब ये प्रेम पाने से ज्यादा कुछ देने के लिए हो, उसकी बातों का राजदार बनने के लिए हो, दुख व परेशानियों में उसके साथ खड़े रहने के लिए हो.... तो आप सच में किसी के महरम बन जाते हैं।
यही वज़ह थी कि कहानी 2 में जब अरुण व दुर्गा के किरदारों के आपसी रिश्ते को एक शब्द से बाँधने की क़वायद में अमिताभ भट्टाचार्य निकले तो उनकी खोज महरम पर जा कर समाप्त हुई। अमिताभ द्वारा लिखा गीत का मुखड़ा महरम को कुछ यूँ परिभाषित कर गया ..तेरी ऊँगली थाम के, तेरी दुनिया में चलूँ...मेरे रंग तू ना रंगे, तो तेरे रंग में मैं ढलूँ...मुझे कुछ मत दे, बस रख ले मेरा नज़राना..बिन शर्तों के, हाँ तुझसे मेरा याराना
कहानी 2 के इस गीत को संगीत से सँवारा है क्लिंटन सेरेजो ने। क्लिंटन की इस संगीतमाला की है ये तीसरी संगीतबद्ध रचना है। इस गीत में प्राण फूँकने में सचिन मित्रा के साथ उनके बजाए गिटार और अरिजीत की आवाज़ का कम योगदान नहीं है। अरिजीत सिंह भले इस साल सलमान खाँ द्वारा दुत्कारे गए हों पर फिर वो साल के सबसे लोकप्रिय गायक के रूप में उभरे हैं। ऊँचे सुरों पर उनका आधिपत्य रहा है और ये गीत उसी कोटि का है इसलिए इसे वे बड़ी आसानी व मधुरता से निभा जाते हैं। तो चलिए इस गीत का पहले और फिर वीडियो
तेरी ऊँगली थाम के, तेरी दुनिया में चलूँ
मेरे रंग तू ना रंगे, तो तेरे रंग में मैं ढलूँ
मुझे कुछ मत दे, बस रख ले मेरा नज़राना
बिन शर्तों के, हाँ तुझसे मेरा याराना
मुझे महरम महरम महरम मुझे महरम जान ले
मुझे महरम महरम महरम मुझे महरम जान ले
मेरी आँखों में तेरी सूरत पहचान ले
मुझे महरम महरम महरम मुझे महरम मुझे महरम जान ले
खुल के ना कह सके, कानों में बोल दे
अपना हर राज़ तू आ मुझ पे खोल दे
मेरे रहते.. भला किस बात का है घबराना
अब से तेरा.. हाफ़िज़ है मेरा याराना
मुझे महरम महरम महरम....जान ले
तेरे हिस्से का नीला आसमान, होगा न कभी बादल में छुपा
तुझपे आँच ना, कोई आएगी, तकलीफें कभी छू ना पाएँगी
मुझे ये वादा है जीते जी पूरा कर जाना
बिन शर्तो के.. हाँ तुझसे मेरा याराना
मुझे महरम महरम महरम....जान ले
वैसे अब तो बताइए क्या आपकी ज़िंदगी में भी कोई महरम है?
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
8. क्या है कोई आपका भी 'महरम'? Mujhe Mehram Jaan Le...
9. जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ ... Naina
10. आवभगत में मुस्कानें, फुर्सत की मीठी तानें ... Dugg Duggi Dugg
11. ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
9. जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ ... Naina
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11. ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
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15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
6 टिप्पणियाँ:
खुल के ना कह सके कानो में बोल दे
अपना हर राज तू आ मुझ पे खोल दे ...बहुत ही उम्दा लिरिक्स और उतना ही बढ़िया अरिजीत ने निभाया भी है और महरम की बात करे तो आप भी हमारे लिए महरम से कम नहीं हैं में तो ब्लॉग के पीछे के पन्ने भी पलटता हूँ तो कुछ ना कुछ शानदार सुनने को मिल जाता है ..दुष्यंत कुमार जी पर लिखी पोस्ट में वो मीनू पुरषोत्तम की ग़ज़ल ''एक जंगल है तेरी आँखों में ''उसको मैंने जब सुना तो पूरा रविवार बार -बार उसी को सुनकर गुजरा अल्फाज नही इसकी तारीफ के लिए ....इन सबके लिए बहुत शुक्रिया
गुलशन शुक्रिया मेरे साथ इस संगीत सरिता में डुबकी लगाते रहने के लिए
तेरे हिस्से का नीला आसमा होगा न बादल में छुपा "
सबसे बेहतर पंक्ति लगी मुझको
हम्म सहमत हूँ आपसे Aayush!
महरम... :)
बड़े प्यारे शब्द से परिचय कराया आपने। मतलब क्या खूबसूरत डेफिनेशन है इस शब्द की। कभी प्रयोग में लाऊँगी
वाकई प्यारा तो है ये शब्द !
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