वार्षिक संगीतमाला 2016 की आख़िरी तीन पायदानें बची हैं और इन पर विराजमान तीनों नग्मे बड़े प्यारे व लोकप्रिय हैं और आपने पिछले साल इन्हें कई दफ़ा जरूर सुना होगा। संगीतमाला की तीसरी सीढ़ी पर जो गीत है उसे संगीतबद्ध किया विशाल शेखर ने और बोल लिखे इरशाद कामिल ने। सुल्तान फिल्म का ये गीत है जग घूमेया। इस गीत के दो वर्जन हैं। एक जिसे गाया राहत फतेह अली खाँ ने और दूसरे को आवाज़ दी नेहा भसीन ने। गाने तो आपको आज दोनों ही सुनाएँगे पर पहले ज़रा जान तो कि किस तरह जग घूमेया की धुन पहले दिन की पहली संगीत सिटिंग में ही बना ली गयी।
विशाल शेखर को जब सुल्तान की पटकथा सुनाई गयी तो उन्हें लगा ये तो बड़ी रोचक कहानी है और इसके लिए संगीत रचने में मजा आने वाला है। अगले ही दिन जब वो यशराज स्टूडियो पहुँचे तो उन्होंने चार पाँच धुनें तैयार कीं पर इन धुनों में उन्होंने सबसे पहले जग घूमेया को ही फिल्म के निर्देशक अली अब्बास जाफ़र को सुनाया। अली ने धुन सुनते जी कहा कि क्या बात है ! अदित्य चोपड़ा को भी धुन पसंद आयी। अक्सर निर्माता निर्देशक कई तरह की धुनें सुनना पसंद करते हैं पर यहाँ मामला पहली बार में ही लॉक हो गया। अली और आदि ने माना कि ये सुल्तान के संगीत की बेहतरीन शुरुआत है।
पर धुन तो गीत नहीं होता तो उसमें इरशाद कामिल को अपने शब्द भरने थे। कामिल अली के साथ पहले ही गुंडे और मेरे ब्रदर की दुल्हन में साथ काम कर चुके थे। इस गीत के लिए उन्हें सुल्तान के चरित्र में डूबना पड़ा। इरशादकामिल का इस गीत के बारे में कहना है
जब तक आप चरित्र को पूरी तरह समझ नहीं लेते तब तक आप दिल से नहीं लिख सकते। ऊपरी तौर पर भी गीत लिखे जाते हैं पर जग घुमेया जैसे रूमानी गीत को लिखने के लिए मुझे ख़ुद सुल्तान के चरित्र को आत्मसात करना पड़ा।
शायद ही हममें से कोई ऐसा हो जिसने अपने होने वाले हमसफ़र के लिए सपने गढ़े ना हों। पर सपने कहाँ हमेशा सच होते हैं और कई बार तो हमारी तमन्नाएँ ही माशाल्लाह इतनी लंबी चौड़ी होती हैं कि वो पूरी हो भी नहीं सकती। फिर भी कुछ लोग होते हैं सुल्तान जैसे जिन्हें उनके सपनों के जहाँ से आगे की ऐसी शख़्सियत मिलती है जो दुनिया में अपनी तरह की अकेली हो।
वैसे ये भी तो है कि अगर कोई अच्छा लगने लगे तो फिर दिल भी पूरी तरह अनुकूल यानि conditioned हो जाता है उनके लिए। उनका चेहरा हो या आँखें, मुस्कुराहट हो या नादानियाँ सब इतने प्यारे, इतने भोले लगने लगते हैं जैसे पहले कभी लगे ही ना थे। इरशाद कामिल इन्हीं भावनाओं को बेहद नर्म रूपकों में कुछ यूँ क़ैद करते हैं...
ओ.. ना वो अखियाँ रूहानी कहीं, ना वो चेहरा नूरानी कहीं
कहीं दिल वाली बातें भी ना, ना वो सजरी जवानी कहीं
जग घूमेया थारे जैसा ना कोई, जग घूमेया थारे जैसा ना कोई
ना तो हँसना रूमानी कहीं, ना तो खुशबू सुहानी कहीं
ना वो रंगली अदाएँ देखीं, ना वो प्यारी सी नादानी कहीं
जैसी तू है वैसी रहणा...जग घूमेया...
बारिशों के मौसमों की भीगी हरियाली तू
सर्दियों में गालों पे जो आती है वो लाली तू
रातों का सुकूँ भी है, सुबह की अज़ान है
चाहतों की चादरों में, मैंने है सँभाली तू
कहीं अग जैसे जलती है, बने बरखा का पाणी कहीं
कभी मन जाणा चुपके से, यूँ ही अपनी चलाणी कहीं
जैसी तू है वैसी रहणा...जग घूमेया...
अपणे नसीबों में या, हौसले की बातों में
सुखों और दुखों वाली, सारी सौगातों में
संग तुझे रखणा है, यूने संग रहणा
मेरी दुनिया में भी, मेरे जज्बातों में
तेरी मिलती निशानी कहीं, जो है सबको दिखानी कहीं
तू तो जाणती है मरके भी, मुझे आती है निभाणी कहीं
वो ही करना है जो है कहणा
ये गीत पहले अरिजीत सिंह की आवाज़ में रिकार्ड किया गया था। बाद में सलमान से अनबन की वजह से अंततः राहत इस गीत की आवाज़ बने। विशाल कहते हैं कि गीत के दो वर्जन अलग अलग मूड लिए हुए हैं और उनका कहना बिल्कुल सही है। राहत के वर्जन में जहाँ प्यार की खुमारी है, एक उत्साह है वही नेहा भसीन के वर्जन में प्यार के साथ एक ठहराव है, सुकून है और मेंडोलिन और तुम्बी का नाममात्र का संगीत संयोजन है। नेहा इस तरह के गीत कम ही गाती हैं पर उन्होंने इसे बखूबी निभाया है..
वार्षिक संगीतमाला 2016 में अब तक
3. जग घूमेया थारे जैसा ना कोई Jag Ghoomeya
4. पश्मीना धागों के संग कोई आज बुने ख़्वाब Pashmina
5. बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है Hanikaarak Bapu
6. होने दो बतियाँ, होने दो बतियाँ Hone Do Batiyan
7. क्यूँ रे, क्यूँ रे ...काँच के लमहों के रह गए चूरे'? Kyun Re..
8. क्या है कोई आपका भी 'महरम'? Mujhe Mehram Jaan Le...
9. जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ ... Naina
10. आवभगत में मुस्कानें, फुर्सत की मीठी तानें ... Dugg Duggi Dugg
11. ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
4. पश्मीना धागों के संग कोई आज बुने ख़्वाब Pashmina
5. बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है Hanikaarak Bapu
6. होने दो बतियाँ, होने दो बतियाँ Hone Do Batiyan
7. क्यूँ रे, क्यूँ रे ...काँच के लमहों के रह गए चूरे'? Kyun Re..
8. क्या है कोई आपका भी 'महरम'? Mujhe Mehram Jaan Le...
9. जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना.. बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ ... Naina
10. आवभगत में मुस्कानें, फुर्सत की मीठी तानें ... Dugg Duggi Dugg
11. ऐ ज़िंदगी गले लगा ले Aye Zindagi
12. क्यूँ फुदक फुदक के धड़कनों की चल रही गिलहरियाँ Gileheriyaan
13. कारी कारी रैना सारी सौ अँधेरे क्यूँ लाई, Kaari Kaari
14. मासूम सा Masoom Saa
15. तेरे संग यारा Tere Sang Yaaran
16.फिर कभी Phir Kabhie
17 चंद रोज़ और मेरी जान ...Chand Roz
18. ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala
19. हक़ है मुझे जीने का Haq Hai
20. इक नदी थी Ek Nadi Thi
12 टिप्पणियाँ:
ये गीत प्यारा सा लगता है। कर्णप्रिय
Kuchh achchhe geeton me SE ek.
कंचन व प्रकाश हाँ वो तो है
राहत मेरे प्रिय गायक है..हर साल वो एक यादगार गीत दे जाते हैं..नेहा भसीन का वर्जन भी अलग मूड लिए अच्छा लगता है
राहत भाई की गायिकी तो शानदार रही ही है। नेहा ने भी इस गीत को एक अलग मूड में बखूबी गाया है।
मुझे भी यह गीत बहुत पसंद है
मधुरता के साथ प्यारे बोलों का साथ है इस गीत में।
अब तक उड़ता पंजाब नहीं आया । मिर्ज़्या से भी सिर्फ एक नदी थी और उसे भी आपने 20वे नंबर पे धकेल दिया। अब देखते हैं कौन से 3 गाने बचे हैं ।
गुलज़ार मेरे पसंदीदा गीतकार रहे हैं। सत्तर और अस्सी के दशक में उनके रचे गीत सुनते हुए ही फिल्म संगीत में रुचि जागी। पर विगत कुछ वर्षों में मुझे उनके बोलों में वो "महकती खुशबू" नज़र नहीं आती जो कभी तन मन को रोमांचित कर जाती थी। मिर्ज्या के संगीत की चर्चा तो बहुत हुई पर उसमें मुझे प्रायोगिकता ज्यादा और मधुरता कम नज़र आई। अमित त्रिवेदी का काम उस लिहाज़ से मुझे ज्यादा पसंद आया। :)
बहुत पसंद है ये गीत
Rashmi Sharma जानकर अच्छा लगा :)
Ye song Salman ki movies m se mera fav hai
एक टिप्पणी भेजें