वार्षिक संगीतमाला में अब बची है आखिरी की पन्द्रह सीढ़ियाँ। पन्द्रहवीं सीढ़ी पर गाना वो जिसमें रूमानियत भी है और मधुरता भी। इस गीत का संगीत दिया है फिर एक बार तनिष्क बागची ने और इसे लिखा है अराफात महमूद ने। फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड के इस गाने को तो आप पहचान ही गए होंगे। जी हाँ ये गाना है 'बारिश'। अब बारिश की बूँदों चाहे हौले हौले गिरें या तड़तड़ाकर, इनका स्पर्श मन में मखमली सा अहसास तो जगा ही देता है।
आप किसी को चाहते हैं पर उसे कह नहीं पाते तो होता ये है कि आपकी सारी भावनाएँ मन में ही घनीभूत होती रहती हैं। गीतकार अराफात महमूद के पास संगीतकार तनिष्क बागची कहानी की ऐसी ही एक परिस्थिति लेकर आए और कहा कि कुछ ऐसा लिखो कि तुम्हारे शब्दों किसी की भी प्रेमिका प्रभावित हो जाए। तनिष्क की चुनौती स्वीकार करते हुए अराफात ने लिखा कभी तुझमें उतरूँ, तो साँसों से गुजरूँ...तो आए दिल को राहत.मैं हूँ बे ठिकाना, पनाह मुझको पाना..हैं तुझमें दे इजाज़त। अराफात इसे अपना गीत का पसंदीदा टुकड़ा मानते हैं।
वैसे अराफात महमूद में एक दशक से फिल्म जगत में सक्रिय हैं पर बमुश्किल उन्होंने बीस के लगभग गीत लिखे होंगे। पहली बार उनका लिखा नग्मा वार्षिक संगीतमाला 2014 में शामिल हुआ था। गाने के बोल थे मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला। तभी से मुझे उनकी काबिलियत का अंदाजा हो गया था।
बंगाल के आसनसोल से ताल्लुक रखने वाले अराफात ने तालीम AMU से हासिल की। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि वो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। शायरी से उनका प्रेम उन्हें मुंबई खींच लाया जहाँ आठ नौ सालों की जद्दिज़हद के बाद उन्होंने सफलता का स्वाद चखा। उनका मानना है कि वही काम करना चाहिए जिसमें मजा आए और सीखने की हसरत कभी कम ना हो। अपने वरीय गीतकारों के अच्छे काम को सुनने से ही उन्हें और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है।
अराफात गीत के दूसरे अंतरे हवाओं और परिंदों का जिक्र कर मन को गुदगुदाते हैं तो वहीं मौन रहकर भी अपनी प्रेयसी से उनके दिल की बात समझ लेने की गुजारिश भी करते हैं।
अराफात गीत के दूसरे अंतरे हवाओं और परिंदों का जिक्र कर मन को गुदगुदाते हैं तो वहीं मौन रहकर भी अपनी प्रेयसी से उनके दिल की बात समझ लेने की गुजारिश भी करते हैं।
संगीतकार तनिष्क गीत की शुरुआत संतूर की मधुर तान से करते हैं और इंटल्यूड्स के समय साथ में गिटार और वायलिन भी ले आते हैं। अपने एक साक्षात्कार में वो ये कहना नहीं भूले कि ये गीत उन्हें उनकी प्रेम कहानी की याद दिला देता है। इस गीत को तनिष्क ने गवाया है ऐश किंग से तो आइए सुनते हैं अर्जुन और श्रद्धा कपूर पर अभिनीत ये गाना...ये गीत आपको अपने किसी ऐसे दोस्त की याद जरूर दिला जाएगा जिसे बारिश से बेहद प्यार हो।
चेहरे में तेरे, खुद को मैं ढूँढूँ
आँखों के दर्मियाँ तू अब है इस तरह
ख़्वाबों को भी जगह ना मिले...
ये मौसम की बारिश ये बारिश का पानी
ये पानी की बूँदें तुझे ही तो ढूँढें .....
ये मिलने की ख्वाहिश, ये ख्वाहिश पुरानी
हो पूरी तुझी से.. मेरी ये कहानी
कभी तुझमें उतरूँ, तो साँसों से गुजरूँ
तो आए दिल को राहत.
मैं हूँ बे ठिकाना, पनाह मुझको पाना
हैं तुझमें दे इजाज़त
ना कोई दर्मियाँ, हम दोनों हैं यहाँ
फिर क्यों हैं तू बता फासले
ये मौसम की बारिश... मेरी ये कहानी
ना ना .....ला ला ...
हवाओं से तेरा पता पूछता हूँ
अब तो आजा तू कहीं से
परिंदों की तरह यह दिल है सफ़र में
तू मिला दे ज़िन्दगी से ....
बस इतनी इल्तजा
तू आके इक दफा जो दिल ने ना कहा
जान ले ......
ये मौसम की बारिश... मेरी ये कहानी
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
9 टिप्पणियाँ:
गीत के बोल और गायकी दोनों दिल को झकझोर देती है। गीत सुनकर हर कोई अपने को गीत में स्थापित कर पुरानी यादों में खोने को मजबूर हो जाता है।उस पर तुम्हारा इतना सटीक सुन्दर विश्लेषण सभी को गहराई में उतर कर सीप में छुपी मोती सुलभ कराने में सहायक होता है।बहुत बहुत बधाई एवं धन्यवाद,साथ में मेरी दुआयें।
आलेख पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद !
Behatareen geet par Shraddha aur Arjun hamein phooti aankhon nahi suhate!
ऐसा क्या। पसंदीदा तो वो मेरे भी नहीं हैं पर गीत मुझे मधुर जरूर लगता है।
यह गाना याद तो आत रहेगा। आप गानों को लेकर जानकारियाँ जुटाते कैसे हैं?
Wo musafir Jo hain
अभिषेक : कलाकारों से या तो बात करें या उनकी कही हुई बात को सुनें और पढ़ें। कोई भी आलेख मेरे अपने नज़रिए के आलावा इन्हीं बातों से तैयार होता है।
धन्यवाद मनीष जी। कलाकारों की बातें सुनना-पढ़ना तो एक माध्यम हो सकता है; उनसे बातें करना उतना संभव कहाँ हो सकता है!
गीतकारों से तो कई बार गीत के संबंध में बातें हुयीं हैं मेरी क्यूँकि लफ़्ज़ मेरे लिए काफी मायने रखते हैं। कई बार तो वो अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं मेरे आलेखों पर । इस बार की संगीतमाला में ले जा मुझे साथ तेरे गीत पर उसके रचयिता विराग की प्रतिक्रिया आप पढ़ सकते हैं।
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