सोमवार, जनवरी 22, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान #18 : कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी Hai Zaroori

मनोज मुन्तशिर और अमाल मलिक ये दो ऐसे कलाकार हैं जिनके लिखे और रचे गीत युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं। मनोज इस साल अपने हॉफ गर्लफ्रेंड के गीत मैं फिर भी तुम को चाहूँगा के लिए काफी उत्साहित दिखे और ये गीत लोकप्रिय भी हुआ। पर उस गीत से कहीं अच्छी मुझे उसके पीछे की नज़्म लगी जिसे मनोज ने 2001 में लिखा था। वहीं अमल मलिक इस साल बद्रीनाथ की दुल्हनिया में रचे अपने गीतों की सफलता पर बेहद खुश थे हालांकि कुल मिलाकर मुझे उस फिल्म का संगीत औसत ही लगा।  



पिछले साल के सारे गीतों को सुनते हुए मुझे इस जोड़ी की कृतियों में सबसे ज्यादा प्रभावित किया नूर के इस गाने ने। ये गाना इस साल ज्यादा बजा भी नहीं पर फिर भी एक बार सुनते ही इसके बोल और संगीत रचना दिल को अंदर तक छू गयी और यही वज़ह है कि साल के पच्चीस शानदार गीतों में ये नग्मा अपनी जगह बना सका है।

नूर एक ऐसे पत्रकार की कहानी थी जो अपने जीवन की परेशानियों से हताश है। अपने लिए समय की कमी, बढ़ते वजन की चिंता, मनचाहा साथी ना मिल पाने का ग़म और  बॉस की उसके काम से नाराजगी उसकी ज़िंदगी को बेढंगा किए जा रहा था। फिर परिस्थितियों ने ऐसी करवट ली कि नौकरी और निजी ज़िन्दगी में सब कुछ सही सा लगने लगा। पर उसने जिस शख़्स में अपनी भविष्य की खुशियाँ देखीं वही उसका विश्वास तोड़ कर चला गया। 

मनोज मुन्तशिर को नूर के मानसिक हालातों को गीत में शब्द देने थे और ये काम उन्होंने बखूबी किया। हम कितने भी ज़हीन क्यूँ ना हों किसी का असली चेहरा हमेशा नहीं पढ़ पाते। गलतियाँ हो ही जाती हैं और भावनात्मक ठेस से हम टूट जाते हैं। पर ज़िदगी का मजबूती से सामना करने के लिए टूटना भी जरूरी है। आँसुओं को हमेशा कमजोरी की निशानी नहीं समझना चाहिए। ये बहते हैं तो इनके साथ हमारी मुलायमियत भी बह जाती है। रह जाता है तो हमारा लक्ष्य को बेंधने का संकल्प  इसलिए मनोज लिखते हैं 

कभी कभी लगे यही जो मिलना था मिला वही 
बिखरना भी दुआओं का है ज़रूरी 
किसी के वास्ते कहाँ ज़मीन पे आया आसमान 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
कि पानी पानी अँखियों का अँखियों का होना है ज़रूरी.. 

अमाल मलिक का संगीत इस शब्द प्रधान इस गीत के पीछ धीरे धीरे बहता है। इंटरल्यूडस में गिटार और फिर वायलिन की धुन गीत की मायूसी में गुथी नज़र आती है। पियानों की हल्की धनक भी गीत के साथ चलती है। गीत का अंत सेक्सोफोन और पियानो की जुगलबंदी से होता है।

गीत की मनोभावनाओं को प्रकृति कक्कर अपनी आवाज़ से उभारने में कामयाब रही हैं। मेरी समझ से टुटिया दिल के बाद पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड के लिए गाया सबसे बेहतरीन गीत है। अंतरों में भी मनोज की कलम उतनी ही मजबूती से चलती है। पागल दिल की आसमानी बातों का जिक्र अपना सा लगता है इसीलिए भाता है। आशा  है इस गीत के साथ आप सब भी अपने दिल के तारों को जोड़ पाएँगे।


कभी कभी लगे यही 
जो होना था हुआ वही 
बदलना भी हवाओं का है ज़रूरी

कभी कभी लगे यही जो मिलना था मिला वही 
बिखरना भी दुआओं का है ज़रूरी 
किसी के वास्ते कहाँ ज़मीन पे आया आसमान 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
कि पानी पानी अंखियों का अंखियों का होना है ज़रूरी.. 
रह गयी आरज़ू एक अधूरी के 
कि कभी कभी ऐसा भी, ऐसा भी होना है ज़रूरी

नासमझ थे हम जो ये भी ना समझे 
वक़्त आने पर सब बदलते हैं 
मंजिलें क्या हैं और रास्ते क्या हैं 
लोग पल भर में यहाँ रब बदलते हैं 
किसी के वास्ते कहाँ किनारे आये कश्तियाँ 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी  है ज़रूरी 

मुस्कुराने के कितने बहाने थे 
फिर भी आँखों ने क्यूँ नमी चुन ली 
दिल की बातें तो सब आसमानी थी 
हम ही पागल थे इस दिल की जो सुन ली 
किसी के वास्ते कहाँ मिली है रात से सुबह 
कि दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी .... है ज़रूरी

वार्षिक संगीतमाला 2017

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6 टिप्पणियाँ:

अभिषेक मिश्र on जनवरी 24, 2018 ने कहा…

आपके माध्यम से ही इस गीत को जान पाया, धन्यवाद।
रोबोट वेरिफिकेशन तो हटा दें।

Manish Kumar on जनवरी 24, 2018 ने कहा…

दरअसल मैंने कोई वर्ड या रोबोट वेरिफिकेशन नहीं लगा रखा है। जिस ब्लाग में Pop Up Comment Box वाला विकल्प रहता है उसमें ये खुद ब खुद आ जाता है। अब मैंने इस विकल्प को बदल कर Embedded comment box कर दिया है। गूगल देव की माने तो अब वो दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

ये गीत मुझे भी सारी फिल्मों के गीत सुनने के दौरान ही मिला।

अभिषेक मिश्र on फ़रवरी 05, 2018 ने कहा…

धन्यवाद, मगर आज भी कमेन्ट पोस्ट करते यह विकल्प आया।

Manish Kumar on मार्च 08, 2018 ने कहा…

हाँ आ रहा है पर जैसा मैंने कहा मेरा पास ऍसा कोई विकल्प नहीं है कि इसे मैं हटा सकूँ।

बेनामी ने कहा…

मनीष जी आपसे बात करनी हो तो कैसे सम्भव होगी।

Manish Kumar on सितंबर 27, 2023 ने कहा…

@Unknown जी जरूर पर आप अपना परिचय तो पहले दें। आप यहाँ या मेरी फेसबुक प्रोफाइल पर आप अपना नंबर मेसेज कर सकते हैं।

https://www.facebook.com/EkShaamMereNaam

 

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