वार्षिक संगीतमाला की 19 वीं पायदान पर गाना वो जो मेरे आरंभिक आकलन के बाद सुनते सुनते कई सीढ़ियाँ नीचे की ओर लुढ़का है। पर अब भी अगर ये मेरी गीतमाला में शामिल है तो उसकी वज़ह है इसके मुखड़े का शानदार भाव और इसकी धुन की मधुरता। ये गीत है फिल्म 'बरेली की बर्फी' का जिसे रचा है अर्को ने।
अर्को प्रावो मुखर्जी के गीतों से मेरा प्यार और दुत्कार वाला रिश्ता रहा है। बतौर संगीतकार वो मुझे बेहद प्रभावित करते हैं। उनके शायराना हृदय के खूबसूरत भाव रह रह कर उनके गीतों में झलकते हैं। पर भाषा पर पकड़ न होने के कारण वो एक गीतकार की भूमिका में खरे नहीं उतरते और ये बात वो जितनी जल्द समझ लें उतना अच्छा।
अब बरेली की बर्फी के इस गीत को लीजिए। कितना रूमानी ख्याल था मुखड़े में कि मेरी प्रेयसी एक नज़्म की तरह मेरे होठों पर ठहर जाए और मैं उसकी आँखों में मैं एक ख़्वाब बनकर जाग जाऊँ। वाह भई वाह! अर्को इस मुखड़े के लिए तो आप शाबासी के हकदार हैं पर ये क्या आपने तो नज़्म का लिंग ही बदल दिया। अरे नज़्म की बातें करते हुए कम से कम गुलज़ार की इन पंक्तियों को याद कर लेते तो मुखड़े में ऐसी गलती नहीं करते
नज़्म उलझी हुई है सीने में
मिसरे अटके हुए हैं होठों पर
उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं
कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी
इसलिए आपको कहना चाहिए था
तू नज़्म नज़्म सी मेरे होंठो पे ठहर जा
मैं ख्वाब ख्वाब सा तेरी आँखों में जागूँ रे
लिंग की ये गलतियाँ इत्र सा (सी) और तेरे (तेरी) कुर्बत और मेरे (मेरी) साँसों में भी बरक़रार रहती हैं और गीत सुनने के आनंद को उसी तरह बाधित करती हैं जैसे चावल में कंकड़। मुझे समझ नहीं आता कि इतनी गलतियाँ निर्देशिका और उनकी पूरी टीम को नज़र कैसे नहीं आई? गायक के तो उसे पकड़ने का सवाल ही नहीं उठता क्यूंकि इस गीत की लिखने और संगीतबद्ध करने के साथ गाने की भी जिम्मेदारी अर्को ने सँभाली थी।
फिर भी गीत की गिटार प्रधान धुन ऐसी है जो तुरंत ज़हन में बस जाती है और आपको मुखड़े को गुनगुनाने पर विवश कर देती है। अर्को के रचे इंटरल्यूड्स कर्णप्रिय हैं। गीत का फिल्मांकन नायक नायिका के बीच एक ओर खिलती दोस्ती और दूसरी ओर पनपते प्यार के छोटे छोटे पलों को अच्छी तरह पकड़ता है इसलिए इसे देखना भी मन को रूमानियत से भर देता है। तो आइए सुने ये गीत इस उम्मीद के साथ कि अर्को ऐसी गलतियों से बाज आएँगे।
मैं ख्वाब ख्वाब सा तेरी आँखों में जागूँ रे
तू इश्क़ इश्क़ सा मेरे रूह में आ के बस जा
जिस ओर तेरी शहनाई उस ओर मैं भागूँ रे
हाथ थाम ले पिया करते हैं वादा
अब से तू आरजू तू ही है इरादा
मेरा नाम ले पिया मैं तेरी रुबाई
तेरे ही तो पीछे-पीछे बरसात आई, बरसात आई
तू इत्र इत्र सा (सी) मेरे (मेरी) साँसों में बिखर जा
मैं फ़कीर तेरे (तेरी) कुर्बत का तुझसे तू माँगूँ रे
तू इश्क इश्क सा मेरे रूह में आ के बस जा
जिस ओर तेरी शहनाई उस ओर मैं भागूँ रे
मेरे दिल के लिफाफे में तेरा ख़त है जाणिया
तेरा ख़त है जाणिया ..
नाचीज़ ने कैसे पा ली किस्मत ये जाणिया वे
तू नज़्म नज़्म सा (सी) मेरे होंठो पे ठहर जा।
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
6 टिप्पणियाँ:
Sahi aakalan. Madhur dhun, galat matra. Jaise chawal mein kankar.
गीत तो बेशक मधुर है पर मजे की बात ये है सुमित कि भाषा की इतनी गलतियाँ होने के बावजूद इसे फिल्मफेयर में सबसे बढ़िया बोलों के लिए नामित किया गया है। :)
एकदम सही पकड़े हैं। ये बारीकी(त्रुटि)बहुत कम ही लोग देख पाए होंगे।गीत तो बेशक मधुर है।इस ब्लॉग को पढ़ कर इस ओर गीतकारों का ध्यान अवश्य ही जायेगा।उम्मीद है कि भविष्य में कंकड़ नहीं मिलेंगे।
दरअसल संगीतकार जो इस गीत के गायक और गीतकार दोनों हैं बंगाल से ताल्लुक रखते हैं. यही वज़ह है कि इस तरह की गलतियाँ हुयी हैं. हालाँकि बाकि टीम को इस ओर ध्यान देना चाहिए था.
बहुत शानदार लेखन!
पसंदगी ज़ाहिर करने का शुक्रिया :)
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