एक हफ्ते के विराम के बाद वार्षिक संगीतमाला का कारवाँ फिर चल पड़ा है साल के बचे हुए बीस शानदार गीतों के सफ़र पर संगीतमाला की बीसवीं पायदान पर गीत वो जिसे लिखा नवोदित गीतकार अधीश वर्मा ने, धुन बनाई संगीतकार रोचक कोहली ने और जिसमें आवाज़े दीं नीति मोहन व अमित मिश्रा ने । जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ फिल्म लखनऊ सेंट्रल के गीत मीर ए कारवाँ की।
चंडीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले रोचक कोहली का सितारा पहली बार आयुष्मान के साथ रचे उनके गीत पानी दा रंग के साथ चमका था। आरंभिक कुछ सालों में आयुष्मान के साथ अपना फिल्म संगीत की शुरुआत करने वाले रोचक कोहली इस साल नाम शबाना, करीब करीब सिंगल और लखनऊ सेंट्रल से बतौर संगीतकार अपनी व्यक्तिगत पैठ बनाते दिखे। चाहे विकी डोनर का पानी दा रंग हो या हवाईज़ादा कासपना है निजाम का ,रोचक की गिटार पर महारत देखते ही बनती है।
चंडीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले रोचक कोहली का सितारा पहली बार आयुष्मान के साथ रचे उनके गीत पानी दा रंग के साथ चमका था। आरंभिक कुछ सालों में आयुष्मान के साथ अपना फिल्म संगीत की शुरुआत करने वाले रोचक कोहली इस साल नाम शबाना, करीब करीब सिंगल और लखनऊ सेंट्रल से बतौर संगीतकार अपनी व्यक्तिगत पैठ बनाते दिखे। चाहे विकी डोनर का पानी दा रंग हो या हवाईज़ादा कासपना है निजाम का ,रोचक की गिटार पर महारत देखते ही बनती है।
मीर ए कारवाँ में भी मुखड़े के पहले गिटार के साथ तबले का अद्भुत मेल श्रोताओं का ध्यान एक बार ही में आकर्षित कर लेता है। गिटार और तबले की ये संगत ऐसी है जिसे बार बार सुनने का मन होता है और रोचक इसीलिए उसका प्रयोग इंटरल्यूड्स में भी करते हैं। ये कहना लाजिमी होगा कि संगीत का ये टुकड़ा इस गीत की सिग्नेचर ट्यून बन कर उभरा है। रोचक कोहली ने अधीश की मदद से इस गीत को सूफियत का जामा पहनाने की कोशिश की है। पर गीत के कुछ हिस्से "मितवा" की याद दिला देते हैं जिससे बचा जा सकता था।
फिल्म के गीतकार अधीश वर्मा का फिल्मों के लिए लिखा गया दूसरा गीत है। इससे पहले वे रोचक के साथ बैंक चोर का एक गीत लिख चुके थे। मीर ए कारवाँ एक ऐसा गीत है जो फिल्म की कहानी में ज़िंदगी की अलग अलग राहों से भटकते हुए किरदारों को संगीत के माध्यम से जोड़ता है। जेल की सलाखों में बंद इन किरदारों को एक नयी मंज़िल की तलाश है।
अधीश ने गीत में मीर-ए-कारवाँ का जुमला उछाला है। दरअसल सफ़र में साथ चलने वाले समूह के नेता को ही 'मीर-ए-कारवाँ' कहा जाता है। पर अधीश ने इस गीत में कहना चाहा है कि जब हम जीवन की जटिल राहों में अकेले ही संघर्ष करते हैं तो हमारी उम्मीद की किरण, हमारे सफ़र का मसीहा यानि हमारा मीर ए कारवाँ बस एक ऊपर वाला होता है। अधीश इसी मीर ए कारवाँ से अपने किरदारों (जो जीवन की इस गहरी स्याह रात से होकर गुज़र रहे हैं ) के लिए नए उजाले की दुआ करते हैं।
अधीश ने गीत में मीर-ए-कारवाँ का जुमला उछाला है। दरअसल सफ़र में साथ चलने वाले समूह के नेता को ही 'मीर-ए-कारवाँ' कहा जाता है। पर अधीश ने इस गीत में कहना चाहा है कि जब हम जीवन की जटिल राहों में अकेले ही संघर्ष करते हैं तो हमारी उम्मीद की किरण, हमारे सफ़र का मसीहा यानि हमारा मीर ए कारवाँ बस एक ऊपर वाला होता है। अधीश इसी मीर ए कारवाँ से अपने किरदारों (जो जीवन की इस गहरी स्याह रात से होकर गुज़र रहे हैं ) के लिए नए उजाले की दुआ करते हैं।
बहार क्यूँ तेरे दर ना आती.. वाले अंतरे में अधीश किरदारों की अपने आस पास की परिस्थितियों से उपजी हताशा को बखूबी रेखांकित करते हैं। नीति मोहन की आवाज़ मुझे हमेशा से प्यारी लगती रही है। इस गीत में उनका अमित मिश्रा ने भी बखूबी साथ दिया है। तो आइए सुनें इन दोनों के स्वर में फिल्म लखनऊ सेंट्रल का ये गाना...
ओ बंदेया ओ बंदेया
ओ बंदेया ओ बंदेया
ओ बंदेया ओ बंदेया
तेरी मंज़िलें हुईं गुमशुदा
फिर भी रास्ता है तेरा मेहेरबां
ओ मीर-ए-कारवाँ
तेरी राहों पे रवाँ
कि मेरे नसीबों में
हो कोई तो दुआ
ओ मीर-ए-कारवाँ
ले चल मुझे वहाँ
ये रात बने जहाँ सुबह
मीर-ए-कारवाँ, ओ मीर-ए-कारवाँ
ओ बस कर दिल अब बस कर भी
हो बस कर दिल अब बस कर भी
उस राह मुझे जाना ही नहीं
पल दो पल का साथ सफ़र फिर
होगी जुदा रहगुज़र
नदिया थाम के जो बहते रहे
मिलते हैं वो किनारे कहाँ
ओ मीर-ए-कारवाँ, तेरी राहों पे रवाँ...
बहार क्यूँ तेरे दर ना आती
है क्या भरम जो नज़र दिखाती
अब और कितनी ये रात बाक़ी
है रात बाक़ी, ये रात बाक़ी
निगल ना जायें तुझे ये साये
गले में घुटती हैं सर्द आहें
बता ओ बंदे क्यूँ मात खाये
क्यूँ मात खाये रे
लागे ना दिल अब लागे नहीं
लागे ना दिल अब लागे नहीं
मेरे पैरों तले निकली जो ज़मीं
इस बस्ती में था मेरा घर
उसे किस की लगी फिर नज़र
वो जो सपनों का था काफ़िला
ऐसा झुलसा की अब है धुआँ
ओ मीर-ए-कारवाँ, तेरी राहों पे रवाँ...
चल अकेला राही, चल चल अकेला राही
हाफ़िज़ तेरा इलाही, हाफ़िज़ तेरा इलाही
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
6 टिप्पणियाँ:
हमारे गीत को याद रखने और तारीफ के लिए शुक्रिया!
अधीश : आपके सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं। आशा है आगे भी आप सार्थक गीतों को हम श्रोताओं तक पहुंचाते रहेंगे
Bahut hi shandar geet hai sir ,,,,bikul nya pryog Kiya hai. Post padhi bahut achcha LGA.
शुक्रिया आपका राहुल ! साथ बने रहें।
बढ़िया विज़न है इस गीत में ।
साहब ग़ज़ल भी दे सकते है आप ।
लाज़वाब लेखन ।।
पवन अगर पिछले साल की फिल्मों में कोई अच्छी ग़ज़ल अगर फिल्म का हिस्सा होती तो जरूर शामिल होती।
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