वार्षिक संगीतमाला की 21 वीं सीढ़ी पर गाना है फिल्म सीक्रेट सुपरस्टार का। जग्गा जासूस की तरह ही सीक्रेट सुपरस्टार भी पिछले साल की एक म्यूजिकल थी। अमित त्रिवेदी पूरे एलबम के संगीत संयोजन में प्रीतम जैसा तो कमाल नहीं दिखा सके फिर भी उन्होंने एक अलग तरह के विषय पर बनाई फिल्म में कौसर मुनीर के शब्दों को अपनी धुनों से मधुर बनाने की अच्छी कोशिश जरूर की है।
गीतमाला में इस फिल्म का जो पहला गीत शामिल हुआ है वो है "गुदगुदी" जिसे गाया है सुनिधि चौहान ने। अमित त्रिवेदी को फिल्मों में ज्यादातर गाने ऐसे मिले हैं जो फिल्म की कहानी से पूरी तरह गुथे होते हैं। ये गीत भी इसी प्रकृति का है। कहानी एक किशोरी की है जो प्रतिभावान है, गायिका बनना चाहती है पर घर की बंदिशों ने उसकी बाहरी दुनिया तक पहुँचने की हसरत को नाउम्मीदी में बदल दिया है। ऐसे में जब उसकी माँ एक लैपटाप ले आती हैं तो इंटरनेट के माध्यम से उसे खुशियों का खजाना सा मिल जाता है क्यूँकि अब वो यू ट्यूब के माध्यम से अपने गाने रिकार्ड को दुनिया को सुना सकती है।
अगर हम मन से प्रसन्न हो ना तो छोटी से छोटी बात में खुशी ढूँढ लेते हैं। गीतकार कौसर मुनीर मन के इसी भाव को "गुदगुदी" के रूपक में बाँधा है। अक्सर आप किसी के प्यारे दोस्त के बारे में बात करें तो उसके प्रफुल्लित चेहरे को देख कर कहते हैं क्यूँ उसका जिक्र सुनकर दिल में गुदगुदी हुई ना?
यहाँ हमारी ये किशोर नायिका तो ख़ैर इतनी खुश है कि माँ का लाड़, छोटे भाई की तकरार और सहपाठी का प्यार सब मन में गुदगुदी ही जगा रहा है। तभी तो कौसर उनकी आवाज़ बनकर लिखती हैं..
यहाँ हमारी ये किशोर नायिका तो ख़ैर इतनी खुश है कि माँ का लाड़, छोटे भाई की तकरार और सहपाठी का प्यार सब मन में गुदगुदी ही जगा रहा है। तभी तो कौसर उनकी आवाज़ बनकर लिखती हैं..
अभी अभी आँखों ने सीखा मटकना
अभी अभी दाँतों ने सीखा चमकना
लगता है जैसे अभी अभी इस दिल ने
सीखा दिल से हँसना
अभी अभी बालों ने सीखा है खुलना
अभी अभी दागों ने सीखा है धुलना
लगता है जैसे अभी अभी इस दिल ने
सीखा दिल से हँसना
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगी बिंदियाँ
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगी चोटियाँ
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगा है हर नज़ारा
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगी तितलियाँ
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगी चिड़ियाँ
गुदगुदी , गुदगुदी करने लगा है हर नज़ारा
अमित त्रिवेदी ने गीत के इंटरल्यूड्स में मैंडोलिन और सैक्सोफोन के मधुर टुकड़े डाले हैं। बीच बीच में कोरस भी गीत में नया जोश सा भरता है। गीत के मस्ती और शोखी के मूड को सुनिधि ने अपनी धारदार गायिकी से जीवंत कर दिया है। हफ्ते भर पहले वो वास्तविक जीवन में माँ भी बनी है। उम्मीद है कि इस गीत के साथ ही नया साल उनकी ज़िंदगी को खुशियों से भर दे। तो आइए सुनते हैं उनकी आवाज़ में इस प्यारे से गीत को..
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
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