सोमवार, फ़रवरी 05, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान # 14 : ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे. Tere Mere

वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर इस साल पहली बार प्रवेश कर रही है संगीतकार अमाल मलिक और गायक अरमान मलिक की जोड़ी। पिछले कुछ सालों में भाइयों की इस जोड़ी ने अलग अलग गीतकारों के साथ कुछ कमाल के गीत दिए हैं। पर जब जब रश्मि विराग यानि रश्मि सिंह और विराग मिश्रा की युगल गीतकार जोड़ी के साथ इन्होंने काम किया है बात कुछ और बनती नज़र आई है। 2016 में इनकी ही तिकड़ी ने मैं रहूँ या ना रहूँ तुम मुझमें कहीं बाकी रहना जैसा कमाल का गीत हम श्रोताओं को दिया था। इसके आलावा बोल दो, ना ज़रा, खामोशियाँ, मुस्कुराने की वज़ह तुम हो जैसे लोकप्रिय गीतों में भी ये टीम शामिल थी।



पिछले साल अक्टूबर में आयी सैफ़ अली खाँ की फिल्म शेफ में यही तिकड़ी एक बार फिर साथ आई। संगीतकार अमाल मलिक को जातीय तौर पर इस गीत से बहुत लगाव है। वो कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से उनकी ज़िदगी में जो अनुभव हुए उसका ही कुछ निचोड़ इस गीत में उभर के आया है।

गीतकार विराग मिश्र इस गीत में जो भाव पैदा कर सके हैं उसका वो बराबर का श्रेय अमाल को देते हैं। ये गीत उन्होंने अमाल के साथ मिल कर लिखा । अमाल के मन में एकदम साफ था कि वो गीत के शब्दों में कौन से भाव उत्पन्न करना चाहते हैं। संगीतकार अपने विचारों में इतना स्पष्ट हो तो ये एक चुनौती होती है गीतकार के लिए कि वो अपनी लेखनी से संगीतकार के जज़्बातों को शब्द दे सके।

विराग मिश्र और अमाल मलिक

ये गीत उस परिस्थिति को बयाँ करता है जब दो चाहने वाले हालात, अहम और गलतफहमियों के कुचक्र में फँसकर अलग हो जाते हैं।  गीत की पंक्ति ना तू ग़लत, ना मैं सही सुनते हुए मुझे येशेर याद आ जाता है..

कुछ तुमको भी अज़ीज़ हैं अपने सभी उसूल
कुछ हम भी इत्तिफाक़ से जिद के मरीज हैं

लेकिन अकेले रहकर नायक समझ पाता है कि उसे अपने हमसफ़र की कितनी ज्यादा जरूरत है। इसलिए विराग लिखते हैं ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे.. । बड़ी सहज पर दिल को छूने वाली पंक्तियाँ हैं ये। गीत के अंतरों  में विरह की मानसिक पीड़ा का चित्रण तो है ही, साथ ही ये उम्मीद भी कि राहों  से भटके हुए प्रेमी फिर मिलेंगे। 

अमाल खुद इस गीत के संगीत  संयोजन को पश्चिम और पूर्व का संगम मानते हैं। इस गीत को संगीतबद्ध करते समय उन्हें लगा कि इसमें एक भारतीयता होनी चाहिए और उसे उन्होंने Soft Rock Country Music वाली आवाज़(जिसे वे ख़ुद भी काफी पसंद करते हैं) से मिलाने की कोशिश की।गीत के प्रील्यूड में गिटार की टुनटुनाहट बड़ी प्यारी लगती हे और वो रह रह के पूरे गीत में आ आ कर कानों को सुकून देती हैं। गीत के बोलों के साथ ढोलक और सुराही जैसे ताल वाद्य संगत देते हैं। वहीं इंटरल्यूड्स में एक बार बाँसुरी की धुन भी उभर कर आती है। तो सुनिए अरमान मलिक की आवाज़ में ये नग्मा...

तेरे मेरे दरमियाँ हैं बातें अनकही
तू वहाँ है मैं यहाँ क्यूँ साथ हम नहीं
फैसले जो किये, फासले ही मिले
राहें जुदा क्यूँ हो गयी, ना तू ग़लत, ना मैं सही
ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे..
ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

थोड़ी सी दूरियाँ हैं थोड़ी मजबूरियाँ हैं
लेकिन है जानता मेरा दिल
हो.. इक दिन तो आएगा जब तू लौट आयेगा तब
फिर मुस्कुराएगा मेरा दिल सोचता हूँ यहीं
बैठे बैठे यूँ ही
राहें जुदा क्यूँ हो गयी  ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

यादों से लड़ रहा हूँ, खुद से झगड़ रहा हूँ
आँखों में नींद ही नहीं है हो..
तुझसे जुदा हुए तो लगता ऐसा है मुझको
दुनिया मेरी बिखर गयी है
दोनों का था सफ़र, मंजिलों पे आकर
राहें जुदा क्यूँ हो गयी  ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

सुन मेरे ख़ुदा, बस इतनी सी मेरी दुआ
लौटा दे हमसफ़र मेरा, जाएगा कुछ नहीं तेरा
तेरे ही दर पे हूँ खड़ा, जाऊँ तो जाऊँ मैं कहाँ
तकदीर को बदल मेरी मुझपे होगा करम तेरा..





वार्षिक संगीतमाला में अब तक

15. ये मौसम की बारिश... ये बारिश का पानी
16.  मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
17. सपने रे सपने रे
18. कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
19. नज़्म नज़्म 
20 . मीर ए  कारवाँ  
21. गुदगुदी गुदगुदी करने लगा  हर नज़ारा 
22. दिल उल्लू का पठ्ठा है 
23. स्वीटी  तेरा ड्रामा 
24. गलती से mistake 
25 .तेरी मेरी इक कहानी है
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4 टिप्पणियाँ:

Rashmi Viraag on फ़रवरी 06, 2018 ने कहा…

मनीष जी आपका आभारी हूँ की आपने इस ठुकराए हुए गीत जो इतना सम्मान दिया । शायद ये मेरे जीवनकाल का एकमात्र ऐसा गीत होगा जिसने अपने अकेले के दम पे अपनी जगह बनायी । अमाल और अरमान ने अपना कलेजा काट के और हड्डियाँ गला के इस गीत को जन्मा। सरल सहज और सुरीला गीत है ये, प्रेम, विरह और भावुकता से जूझती हुई पंक्तियाँ हैं इसमें । ये हर दौर का गीत है । ये एक साँस लेता हुआ गीत है क्योंकि इसमें मैं ज़िंदा हूँ ।

yadunath on फ़रवरी 07, 2018 ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद मनीष। ना जाने कितने गहरे गोता लगा कर किन सीपों से ये सुंदर मोती निकालकर प्रस्तुत कर देते हो। मैंने इस गीत पर पहले ध्यान ही नहीं दिया था। आज पहली बार पूरी lyrics पढ़े एवं सुने। दिल को छू गया और गहरे तक उतर गया।" गिटार की tuntunahat का क्या कहना।

Manish Kumar on फ़रवरी 16, 2018 ने कहा…

विराग जी शुक्रिया इस गीत से जुड़ी भावनाओं को हम सबके साथ बाँटने के लिए। जिन्होंने इसे ठुकराया उनकी तो वही जाने, मेरे तो दिल के तार छू गया आपका ये गीत। भविष्य में आपकी लेखनी ऐसे ही संवेदनशील गीतों को जन्म देती रहे मेरी आपके लिए यही शुभकामना है।

Manish Kumar on फ़रवरी 16, 2018 ने कहा…

@Yadunath jee गीत को पसंद करने और अपनी राय रखने का शुक्रिया। गिटार की टुनटुनाहट आपको भी भायी जानकर अच्छा लगा।

 

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