वार्षिक संगीतमाला का ये सिलसिला अब अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है और अब बची हैं आख़िरी की चार पायदानें। ये चारों गीत मेरे दिल के बेहद करीब हैं और अगर आप नए संगीत पर थोड़ी भी नज़र रखते हैं तो इनमें से कम से कम दो गीतों को आपने जरूर सुना होगा। आज का गीत है फिल्म मेरी प्यारी बिन्दु से जिसे पिछले साल काफी सुना और सराहा गया।
चौथी पायदान के इस गीत को गाया है एक कुशल अभिनेत्री ने जिनकी फिल्मों में की गयी अदाकारी से आप भली भांति परिचित होंगे। पिछले कुछ सालों में करीना कपूर, श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट और प्रियंका चोपड़ा की आवाज़ें फिल्मी गीतों में आप सुन चुके हैं। इस सूची में नया नाम जुड़ा है परिणिति चोपड़ा का जो अपनी चचेरी बहन प्रियंका चोपड़ा की तरह ही संगीत की छात्रा रही हैं। संगीत में स्नातक, परिणिति पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहा करती थीं और एक बैंकर बनने के लिए विदेश में पढ़ाई भी कर चुकी थीं। पर संयोग कुछ ऐसा बना कि वो यशराज फिल्म के PRO में काम करते करते अभिनेत्री बन बैठीं।
यूँ तो चोपड़ा परिवार व्यापार से संबंध रखता है पर उनके पिता और घर के अन्य लोग भी गायिकी में दिलचस्पी रखते रहे। इसीलिए जब फिल्म के निर्माता, निर्देशक और संगीतकार की तरफ़ से उन्हें फिल्म के सबसे अहम गीत को गाने का मौका मिला तो उनके मन में वर्षों से दबी इच्छा फलीभूत हो गयी।
परिणिति अपने गायन को लेकर कितनी गंभीर थीं इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने इस गीत को अंतिम रूप से गाने के पहले घर में भी लगभग तीन महीने रियाज़ किया और फिर स्टूडियो में आयीं। भले ही वो अन्य पार्श्व गायिकाओं की तरह पारंगत नहीं है पर उनकी गहरी आवाज़ गीत की भावनाओं के साथ न्याय करती दिखती है ।
इस गीत को लिखा है कौसर मुनीर ने जो सीक्रेट सुपरस्टार में भी इस साल बतौर गीतकार की भूमिका निभा चुकी हैं। ये साल महिला गीतकारों के लिए बेहतरीन रहा है और इस गीतमाला के करीब एक चौथाई गीतों को युवा महिला गीतकारों अन्विता दत्त, प्रिया सरैया और कौसर मुनीर ने लिखा है। यहाँ तक कि प्रथम दस गीतों में तीन में वे अपना स्थान बनाने में सफल रही हैं।
इस गीत की खासियत ये है कि इसे पहले लिखा गया और फिर इसकी धुन बनाई गयी। मेरी प्यारी बिन्दु का ये पहला रिकार्ड किया जाने वाला गाना था। कौसर ने जब गीत का मुखड़ा सुनाया तो वो एक बार में ही संगीतकार सचिन जिगर और फिल्म के निर्देशक अक्षय राय से स्वीकृत हो गया। ये गीत फिल्म के अंत में आता है जब नायक और नायिका एक दूसरे के प्रेम में पड़ने और बिछड़ने के कई सालों बाद एक बार फिर मिलते हैं। अब दोनों के रास्ते जुदा हैं पर दिल में एक दूसरे के लिए जो स्नेह है वो ना तो गया है और ना ही जाने वाला है। कौसर को इन्हीं भावनाओं को लेकर एक गीत रचना था।
जब भी मैं इस गीत के मुखड़े और अंतरों से गुजरता हूँ तो अंग्रेजी के एक प्रचलित शब्द Self Denial यानि आत्मपरित्याग की याद आ जाती हैं। आख़िर हम इस अवस्था में कब आते हैं? तभी ना जब हम अपनी भावनाओं को छुपाते हुए प्रकट रूप से वो करते हैं जो हमारे साथी की वर्तमान खुशियों और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप बैठता है। अब ये दो प्रेमियों का Self Denial mode ही है जो प्यार और यारी होते हुए भी कौसर से कहलाता है कि माना कि हम यार नहीं, लो तय है कि प्यार नहीं। पर ये तो सबको दिखाने की बात है अंदर से ना कोई बेज़ारी है और ना ही एक दूसरे से मिले बगैर क़रार आता है।
माना कि हम यार नहीं, लो तय है कि प्यार नहीं
फिर भी नज़रें ना तुम मिलाना, दिल का ऐतबार नहीं
माना कि हम यार नहीं..
रास्ते में जो मिलो तो, हाथ मिलाने रुक जाना
हो.. साथ में कोई हो तुम्हारे, दूर से ही तुम मुस्काना
लेकिन मुस्कान हो ऐसी कि जिसमे इकरार नहीं
नज़रों से ना करना तुम बयाँ, वो जिससे इनकार नहीं
माना कि हम यार नहीं..
फूल जो बंद है पन्नों में, तुम उसको धूल बना देना
बात छिड़े जो मेरी कहीं तुम उसको भूल बता देना
लेकिन वो भूल हो ऐसी, जिससे बेज़ार नहीं
तू जो सोये तो मेरी तरह, इक पल को भी क़़रार नहीं
माना कि हम यार नहीं..
इस गीत का सबसे मजबूत पहलू है सचिन जिगर की धुन जो जिसे सुनते ही मन करता है कि आँखें बंद कर के उसकी मधुरता का आनंद लेते रहो। गीत के आरंभ में बजती कर्णप्रिय धुन अंतरों में भी दोहराई जाती है। सचिन जिगर दरअसल फिल्म के इस माहौल के लिए इक ग़ज़ल संगीतबद्ध करना चाहते थे पर निर्माता के कहने पर उसे एक गाने की शक़्ल में तब्दील करना पड़ा और ये परिवर्तित रूप अंत में श्रोताओं को काफी पसंद आया। इस गीत के दूसरे रूप में परिणिति को सोनू निगम की आवाज़ का भी साथ मिला है।
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
4 टिप्पणियाँ:
इसी गीत से सम्बंधित आपका पिछला पोस्ट भी पढ़ा हूँ। पहले गीत के लिहाज से भी परिणीति चोपड़ा की गायकी बेहतरीन है। गीत, संगीत भी अत्यंत खूबसूरत।
दरअसल गीत की परिस्थिति कुछ ऐसी है कि इस पर और भी गहरा लिखा जा सकता था। कौसर ने अच्छा प्रयास किया है। परिणीति की आवाज़ व सचिन जिगर की सुरीली धुन गीत को कर्णप्रिय बनाती है।
शोर शराबे से अलग खास था ये गीत।
हाँ मानवीय भावनाओं को कुरेदने की कोशिश थी एक अच्छी धुन के साथ। वैसे जहाँ शोर सराबे से दूर सुकून की बात है तो भूमि का खो दिया और अनारकली आफ आरा का मन बेक़ैद हुआ भी इसी प्रकृति के गीत हैं।
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