मंगलवार, मार्च 13, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान # 6 : मन बेक़ैद हुआ Man Beqaid Hua

पिछले साल मार्च के महीने में एक फिल्म आई थी अनारकली आफ आरा जिसके बारे में मैंने उस वक़्त लिखा भी था। चूँकि ये फिल्म एक नाचने वाली की ज़िंदगी पर बनाई गयी थी इसलिए इसका गीत संगीत कहानी की मुख्य किरदार अनारकली की ज़िदगी में रचा बसा था। फिल्म के ज्यादातर गाने लोक रंग में रँगे हुए थे जिन्हें सुनते ही किसी को कस्बाई नौटंकी या गाँव वाले नाच की याद आ जाए। नाचने गाने वालियों के शास्त्रीय संगीत के ज्ञान को ध्यान में रखकर एक ठुमरी भी रखी गयी थी जिसे रेखा भारद्वाज ने अपनी आवाज़ दी थी। ये गाने तो फिल्म की सशक्त पटकथा के साथ खूब जमे  पर इस फिल्म का जो गीत पूरे साल मेरे साथ रहा वो था सोनू निगम का गाया और प्रशांत इंगोले का लिखा हुआ नग्मा मन बेक़ैद हुआ। 



फिल्म के निर्देशक अविनाश दास ने फिल्म रिलीज़ होने के समय इस फिल्म से जुड़े कई किस्से सोशल मीडिया पर बाँटे थे और उन्हीं में से एक किस्सा इस गीत की कहानी का भी था। अविनाश ने लिखा था  

"अनारकली का एक बहुत ही नाजुक क्षण था, जिसमें चुप्पी ज़्यादा थी। पटकथा के हिसाब से तो वह सही थी, लेकिन फिल्म की पूरी बुनावट के बीच यह चुप्पी खल रही थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए कि कहानी की गति भी बनी रहे और मामला संवेदना के अतिरेक में जाने से बच भी जाए। एक दिन अचानक हमारे संगीतकार रोहित शर्मा ने सुझाव दिया कि एक धुन उनके पास है, जो इस पूरे दृश्य को एक नया अर्थ दे सकती है। अपनी खुद की आवाज में उसका एक टुकड़ा भी उनके पास था। उन्होंने सुनाया, तो बस मुझे लगा कि यह गीत अब अनारकली की संपत्ति है और इसे हमसे कोई छीन नहीं सकता।"

गीत तो स्वीकार हो गया पर अब बारी गायक खोजने की थी। सोनू निगम से बात हुई। वो तैयार भी हो गए पर जिस दिन रिकार्डिंग थी उसी दिन कुछ ऐसा हुआ कि उसे रद्द करना पड़ा। सोनू उस वक़्त एक सर्जरी से फ़ारिग होकर काम पर लौटे थे। हफ्ते भर बाद फिर उनसे अनुरोध किया गया। सोनू निगम का जवाब भी बड़ा रोचक था। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों बाद कोई ऐसा गीत गाने को मिला है जिसकी भावनाएँ उनकी रुह तक पहुँची हैं।

रोहित शर्मा और प्रशांत इंगोले

सोनू इस गीत को अपनी जानदार गायिकी से एक अलग ही धरातल पर ले गए पर ऐसा वो इसलिए कर सके उन्हें संगीतकार रोहित शर्मा और गीतकार प्रशांत का साथ मिला। प्रशांत इंगोले को लोग अक्सर बाजीराव मस्तानी के गीत मल्हारी या फिर मेरी कोम के उनके लिखे गीत जिद्दी दिल के लिए जानते हैं। पर जितनी गहनता से उन्होंने इस गीत में मानव भावनाओं को टटोला है वो निश्चत रूप से काबिलेतारीफ़ है। इस फिल्म में एक किरदार है हीरामन तिवारी का जो अनारकली की बुरे वक़्त में मदद करता है और धीरे धीरे वो उसके मन में घर बनाने लगती है। हीरामन उसकी अदाओं को देख मन ही मन पुलकित होता हुआ इस बात को भी नज़रअंदाज कर देता है कि अनारकली का एक सहचर भी है और उसकी जिंदगी की डोर किसी और से बँधी है।

जिंदगी की भाग दौड़ में कब हमारा दिल रूखा सा हो जाता है हमें पता ही नहीं चलता। पर फिर कोई प्रेम की खुशबू आती है जिसकी गिरफ्त में मन का कोर कोर भींगने लगता है। फिल्म में हीरामन के इन भावों को शब्द देते हुए प्रशांत लिखते है मिटटी जिस्म की गीली हो चली..खुशबु इसकी रूह तक घुली..इक लम्हा बनके आया है..सब ज़ख्मों का वैद्य..मन बेक़ैद हुआ..मन बेक़ैद। अगले अंतरों में हीरामन के इस बेक़ैद मन की उड़ानें हैं जो उसके दबे अरमानों को, उसके दिल में छिपी चिंगारी को हवा दे रही हैं। हिंदी गीतों में वैद्य यानि हक़ीम शब्द का प्रयोग शायद ही पहले हुआ हो और यहाँ प्रशांत प्रेम की तुलना ऐसे मरहम से करते हैं जो पुराने जख्मों का दर्द हर ले रहा है। 

मिटटी जिस्म की गीली हो चली 
मिटटी जिस्म की..
खुशबू इसकी रूह तक घुली 
खुशबू इसकी...

इक लम्हा बनके आया है 
सद ज़ख्मों का वैद्य 
मन बेक़ैद हुआ..मन बेक़ैद 
मन बेक़ैद हुआ..मन बेक़ैद 

रफ्ता रफ्ता मुश्किलें, अपने आप खो रही 
इत्मीनान से कशमकश कहीं जा के सो रही 
दस्तक देने लगी हवा अब चट्टानों पे...
जिंदा हैं तो किसका बस है अरमानों पे...
कोई सेहरा बाँधे आया है, सद ज़ख्मों का वैद्य 
मन बेक़ैद हुआ..मन बेक़ैद ...

अब तलक जो थे दबे...राज़ वो खुल रहे...
दरमियाँ के फासले, इक रंग में घुल रहे ..
दो साँसों से जली जो लौ अब वो काफी है 
मेरी भीतर कुछ न रहा पर तू बाकी है 
इक क़तरा बन के आया है, सद ज़ख्मों का वैद्य 
मन बेक़ैद हुआ..मन बेक़ैद ...

इस फिल्म का संगीत दिया है रोहित शर्मा ने जो कि वैसे तो एक इंजीनियरिंग की डिग्री के मालिक हैं पर संगीत प्रेम ने उन्हें बँधी बँधाई नौकरी को छोड़ वर्ष 2000 वर्ष में फिल्मी दुनिया में किस्मत आज़माने को प्रेरित कर दिया। जिंगलों की दुनिया में बरसों भटकने के बाद बुद्धा इन ए ट्राफिक जॉम में उनके दिए संगीत को सराहा गया और अनारकली आफ आरा उनके कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुई। इस गीत मे उन्होंने गिटार के साथ तबले, वायलिन व बाँसुरी का मधुर उपयोग किया है। तो आइए सुनते हैं ये गीत सोनू निगम की भावपूर्ण आवाज़ में


पूरा गीत सुनने के लिए इस एलबम के ज्यूकबॉक्स की लिंक ये रही।

वार्षिक संगीतमाला 2017

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10 टिप्पणियाँ:

Manish Kaushal on मार्च 14, 2018 ने कहा…

अब सोनू निगम कम ही सुनने को मिलते हैं, पर अपने चिर परिचित अंदाज में हमेशा अच्छे लगते है। बढ़िया गीत।

Manish Kumar on मार्च 14, 2018 ने कहा…

सही कह रहे हैं आप। सोनू क्या अब तो श्रेया घोषाल भी कम सुनने को मिलती हैं। पहले के गायकों जैसा लंबा समय अब इस युग के गायकों के नसीब में नहीं है।

वैसे अगर ये फिल्म ना देखी हो तो देखिएगा। अपने बिहार की जुबाँ और किरदारों के जीवन में झांकती है ये।

Manish Kaushal on मार्च 14, 2018 ने कहा…

जी मैं भी ये फ़िल्म देखना चाहता हूँ। फुर्सत मिलते ही जरूर देखूंगा।

Prashant Ingole on मार्च 14, 2018 ने कहा…

Ek Writer/Artist ko issey achaa kyaa chaahiye...SHUKRIYAA... THANKS a LOTTT... Yeh mera Favorite gaana hai... Thanks to Rohit Sharma jinhoney isey itni achi taraah sey compose kiyaa aur Avinash Das Jinhoney isey Anaarkali of Aarah mein sajaayaa....

Manish Kumar on मार्च 14, 2018 ने कहा…

शु्क्रिया तो आप की सारी टीम को जाता है जिसने ये मधुर और संवेदनशील गीत हम तक पहुँचाया। गीत के पीछे के किरदारों की बात तो मैंने की ही है पर आप के माध्यम से इस्तियाक खाँ के बेहतरीन अभिनय की भी मैं दिल से दाद देना चाहूँगा कि उनके हाव भावों ने गीत के शब्दों को जीवंत कर दिया।

आपके अब तक लिखे सारे गानों में ये मेरा भी पसंदीदा है क्यूँकि इन भावनाओं से हम सभी कभी ना कभी ज़िंदगी के किसी मोड़ पर दो चार होते हैं। आशा है आपकी लेखनी हम श्रोताओं के दिल को छू लेने वाले ऐसे अनेक गीतों का आगे भी सृजन करेगी।

Avinash Das on मार्च 14, 2018 ने कहा…

शुक्रिया मनीष भाई!

Santoshini.Bhoi on मार्च 15, 2018 ने कहा…

Nice song soulful lyrics

Sumit on मार्च 20, 2018 ने कहा…

Lovely song! For me it was the best movie of 2017.

Manish Kumar on मार्च 21, 2018 ने कहा…

Absolutely Santoshini!

Sumit I liked it too.

Manish Kumar on मार्च 21, 2018 ने कहा…

अविनाश जी एक अच्छी फिल्म बनाने और उसके संगीत का जिम्मा काबिल लोगों को सौंपने के लिए आप भी बधाई के पात्र हैं।

 

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