रविवार, मार्च 11, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान # 7 फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही Phir Wahi

जग्गा जासूस एक म्यूजिकल थी और पिछले साथ तमाम कलाकारों की मेहनत के बावज़ूद दर्शकों को उतनी नहीं भायी जितनी  उम्मीद थी। इस फिल्म को बनाने में तीन साल से भी ज्यादा का वक़्त लग गया और इसके पीछे के कई कारणों में एक वज़ह इसके संगीत का सही समय तक पूरा ना होना भी था। अब आपने ये शायद ही सुना हो कि  किसी फिल्म संगीत के समय पर पूरा ना होने से फिल्म की रिलीज़ टली हो। 

एक समय था जब ये कहा जा रहा था कि प्रीतम इस फिल्म के लिए दो दर्जन से ज्यादा गीतों पर काम कर रहे थे और वास्तविकता भी यही है। पर पिछले साल जब फिल्म रिलीज़ हुई तो उसमें छः गाने ही थे। बाकी के गाने किसी वजह से रिलीज़ नहीं हुए। प्रीतम कहते हैं कि ये उनके लिए एक जटिल फिल्म थी और इसमें पाँच छः फिल्मों के बराबर का काम था इसलिए काम खत्म करते करते थोड़ी देर हो गयी।  फिल्म की comic feel  को देखते हुए जब मैं जग्गा जासूस के पूरे एलबम से गुजरा तो निसंदेह ये मुझे साल के एलबमों में सर्वश्रेष्ठ लगा। 



भले ही प्रीतम पर बारहा विदेशी धुनों से प्रेरित होने का इलजाम लगता रहा पर उसके इतर उन्होंने  जो काम किया है वो निश्चय ही उन्हें देश के अग्रणी संगीतकारों की श्रेणी में ला खड़ा करता है।


आख़िर प्रीतम अपने इन गीतों को रचते कैसे हैं? कोई भी धुन बनाने के लिए जो भी उनके दिमाग में आता है उसे वे गाते हैं। गायन के बीच कोई संगीतमय टुकड़ा अगर उन्हें जँचता है तो डम्मी लिरिक बना कर उसे और माँजते हैं। फिर असली बोलों के साथ गीत को संगीतबद्ध किया जाता है। उसके बाद शुरु होता है उसमें रंग भरने यानी गीत के पहले और अंतरों के बीच में संगीत संयोजन का काम। तब जाकर गाना अपनी अंतिम शक़्ल में आता है।


इस फिल्म के दो गीत गलती से मिस्टेक और उल्लू का पट्ठा इस संगीतमाला की निचली पायदानों पर पहले ही बज चुके हैं। प्रीतम अपने गीतों की धुनों और फिर साथ बजने वाले आर्केस्ट्रा पर काफी मेहनत करते हैं। आपको याद होगा कि जहाँ गलती से मिस्टेक में बिहू में इस्तेमाल होने वाले वाद्य यंत्र पेपा का खूबसूरत प्रयोग  प्रीतम ने किया था वहीं उल्लू का पट्ठा में उनका स्पैनिश फ्लोमेनको गिटार का इस्तेमाल करना कानों को सुकून दे गया था। उन दोनों गीतों में मस्ती का माहौल था पर सातवीं पायदान के इस गीत "फिर कभी"में उदासी  के बादल छाए हैं।  प्रीतम  ने  इस गीत के लिए एक अल्ग सिग्नेचर धुन बनाई  जो गीत की शुरुआत और अंत दोनों में बजती है।  ये धुन पियानो पर बजाई गयी है और यही गीत का उदासी भरा मूड साथ ले के चलती है। पियानो के साथ गिटार भी इस गीत में  प्रमुखता से बजा है। 

जग्गा जासूस का ये गाना फिल्म में तब आता है जब नायक अपने बिछड़े पिता से जुड़े खट्टे मीठे पलों को फिर से याद कर रहा है। वो अपने उस पिता को खोजने आया है जो बचपन में किसी वज़ह से उसे छोड़ के चले गए हैं। अमिताभ भट्टाचार्य ने बड़े सहज अंदाज़ में एक बेटे के दुख को इस गीत में प्रकट किया है। पिता के बहाने से छोड़ के जाने को वो कुछ ऐसा मानते हैं जैसे पूर्णिमा के दर्शन को कोई आश्वस्त करके आसमान में आधा चाँद दिखा जाए। दूसरे अंतरे में भी सपनों के टूटने की पीड़ा है। पर इस गीत का सबसे मजबूत पक्ष है इसकी धुन और अरिजीत की गायिकी। तो आइए सुनें और देखें इस गीत को..


तुम हो, यही कहीं, या फिर, कहीं नहीं
फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही.
फिर वही.. फिर वही. बिसरी भूली कहानी फिर वही.
फिर वही.. फिर वही..झूठा वादा, 
आसमां का मेरे चंदा आधा
दिल क्यूँ जोड़ा, अगर दिल दुखाना था
आये क्यूँ थे, अगर तुमको जाना था
जाते-जाते लबों पे बहाना था, फिर वही.. फिर वही..

फिर वही.. फिर वही..टूटे सपनो के चूरे, फिर वही..
फिर वही फिर वही..रूठे अरमान अधूरे, फिर वही..
फिर वही.. फिर वही..गम का जाया
दिल मेरा दर्द से, क्यूँ भर आया
आँसू पूछे ही क्यूँ गर रुलाना था
किस्सा लिखा ही क्यूँ गर मिटाना था
जाते-जाते लबों पे बहाना था. फिर वही.. फिर वही..

फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही....
फिर वही.. फिर वही. बिसरी भूली कहानी फिर वही...


वार्षिक संगीतमाला 2017

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6 टिप्पणियाँ:

radha tiwari( radhegopal) on मार्च 11, 2018 ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-03-2018) को ) "नव वर्ष चलकर आ रहा" (चर्चा अंक-2907) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

Rajesh Goyal on मार्च 11, 2018 ने कहा…

गाने में वो बात नहीं लगी

Manish Kumar on मार्च 11, 2018 ने कहा…

हार्दिक आभार राधा जी !

Manish Kumar on मार्च 11, 2018 ने कहा…

अपनी राय से अवगत कराने का शुक्रिया राजेश जी !

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' on मार्च 13, 2018 ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति......बहुत बहुत बधाई......

Manish Kumar on मार्च 15, 2018 ने कहा…

धन्यवाद !

 

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