वर्ष 2017 के पच्चीस शानदार गीतों के इस तीन महीने से चल रहे सफ़र का आख़िरी पड़ाव आ चुका है और इस साल के सरताज गीत का सेहरा बँधा है तीन ऐसे नए कलाकारों के ऊपर जो वैसे तो अपनी अपनी विधा में बेहद गुणी हैं पर हिंदी फिल्मी गीतों में जिनकी भागीदारी शुरु ही हुई है। अब आप ज़रा बताइए कि क्या शांतनु घटक, रोंकिनी गुप्ता और अनूप सातम का नाम आपने पहले कभी सुना था? पर शांतनु ने गीत की धुन और बोल, रोंकिनी ने अपनी बेमिसाल गायिकी और अनूप ने गिटार पर अपनी कलाकारी का जो सम्मिलित जौहर दिखलाया है वो इस गीत को वार्षिक संगीतमाला 2017 का सरताज गीत बनाने में कामयाब रहा है।
वैसे एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं में नए प्रतिभावान कलाकार वार्षिक संगीतमाला की प्रथम पायदान पर पहले भी काबिज होते रहे हैं। 2005 में स्वानंद किरकिरे और शांतनु मोइत्रा (रात हमारी तो, परिणिता), 2008 में अमित त्रिवेदी और अमिताभ भट्टाचार्य (इक लौ, आमिर), 2011 में क्रस्ना और राज शेखर (ऍ रंगरेज़ मेरे, तनु वेड्स मनु), 2014 में जी प्रकाश कुमार और गौरव सौलंकी (पापा, Ugly) जैसे गीतकार संगीतकार की जोड़ियों ने जब सरताज गीत का खिताब अपने नाम किया था तो वो फिल्म उद्योग में बेहद नए थे। पर इनमें से अधिकतर अपना नाम फिल्म उद्योग में बना चुके हैं या उस ओर अग्रसर हैं। ये अजब संयोग हैं कि संगीतमाला के हर तीसरे साल में नए चेहरे अपनी मेहनत और अपने हुनर पे विश्वास रखते हुए कामयाबी की सीढ़ियों तक पहुँच रहे हैं।
तो इससे पहले इस गीत की बात करूँ आपको इसके पीछे के कलाकारों से मिलवाता चलूँ। अब देखिए संगीतमाला में रनर्स अप रहे गीत के संगीतकार विशाल मिश्रा कानून की पढ़ाई करते हुए संगीत निर्देशक बन गए वहीं शान्तनु घटक तो कुछ दिन पहले तक एक बैंकर थे। सांख्यिकी के लिए नामी कोलकाता के Indian Statstical Institute से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले शांतनु ने पूरी तरह संगीत में अपना समय देने के पहले लगभग एक दशक तक क्रेडिट कार्ड कंपनी अमेरिकन एक्सप्रेस में कार्य किया।
नौकरी करते हुए शांतनु ने नाटकों के भी काम किया। अभिनय के साथ साथ वो गाने का भी शौक़ रखते हैं। ये उनकी काबिलियत का ही कमाल है कि जब पहली बार किसी हिंदी फिल्म के लिए उन्होंने कलम पकड़ी तो फिल्मफेयर से लेकर म्यूचिक मिर्ची एवार्ड तक में नामांकित हो गए। तकरीबन दो साल पहले वे शास्त्रीय गायिका रोंकिनी के संपर्क में आए और मिल जुल कर पुराने गीतों के कवर वर्जन के साथ साथ अपनी कृतियाँ यू ट्यूब के माध्यम से लोगों तो पहुँचाते रहे। तुम्हारी सुलु के निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की जब उन पर नज़र पड़ी तो फिल्म के एक गीत का जिम्मा शांतनु को सौंपा जिसने एक बैंकर को उभरते हुए संगीतकार की श्रेणी में ला खड़ा किया।
रोंकिनी, शान्तनु और अनूप |
शांतनु ने बेहतरीन धुन बनाई। मुखड़ा भी गजब का लिखा पर गीत को इस स्तर पर पहुँचाने का श्रेय मैं रोंकिनी गुप्ता को देना चाहूँगा जो इस तिकड़ी की सबसे मँजी हुई कलाकार हैं। शिल्पा राव और माधवन की तरह जमशेदपुर से ताल्लुक रखने वाली रोंकिनी ने विपणन और विज्ञापन की पढ़ाई के साथ साथ शास्त्रीय संगीत में संगीत विशारद की उपाधि भी ली है । शास्त्रीय संगीत की आरंभिक शिक्षा उन्होंने ग्वालियर घराने के चंद्रकांत आप्टे जी से ली। बाद में किराना घराने के उस्ताद दिलशाद खान और पंडित समरेश चौधरी भी उनके शिक्षक रहे।
रोंकिनी गुप्ता |
ये उनकी मार्केंटिंग का ही हुनर था कि उन्होंने इंटरनेट पर दो साल पहले किसी को उपहार में एक गाना भेंट करने के विचार को व्यवसायिक ज़ामा पहनाने की कोशिश की। गीत का विषय उपहार देने वाला बताता था और उस आधार पर गीत की रचना रोंकिनी करती थीं। आजकल वे जॉज़ और शास्त्रीय संगीत के फ्यूजन पर काम कर रही हैं। अगर आप उनकी गायी शास्त्रीय बंदिश के इंटरनेट पर उपलब्ध टुकड़े सुनेंगे तो उनकी गायिकी के कायल हो जाएँगे। फिल्म आँखो देखी में भी राग बिहाग पर आधारित एक शास्त्रीय बंदिश गाई थी।
इस गीत में नाममात्र का संगीत संयोजन है और जो गिटार गीत के साथ बहता हुआ चलता है उस पर चलने वाली उँगलियाँ अनूप सातम की हैं। अनूप गिटार बजाने के साथ शांतनु की ही तरह ही गायिकी में भी प्रवीण हैं।
तुम्हारी सुलु एक ऐसी गृहिणी की कहानी है जो घर के चारदीवारी से बाहर निकल कामकाजी महिलाओं की तरह ही नौकरी करना चाहती है पर शैक्षणिक योग्यता का ना रहना उसे मायूस करता रहता है। दोस्तो रिश्तेदारों के तानों को सहते हुए अपने पति के सहयोग से वो एक रेडियो स्टेशन में नौकरी करने लगती है। पति, बच्चे और नौकरी में सामंजस्य बैठाती और नित नयी चुनौतियों को स्वीकार करती सुलु की दाम्पत्य जीवन की गाड़ी झटकों के साथ चलती रहती है। अपने साथी के संग जीवन के उतार चढ़ावों को सफलतापूर्वक सामना करती सुलु के मनोभावों को व्यक्त करने के लिए शांतनु को ये गीत लिखना था और उन्होंने ये काम बड़ी सहजता से किया भी।
शांतनु ने सुखों को धूप और परेशानियों को बादलों की लड़ियों जैसे रूपकों से मुखड़े में बेहद खूबसूरती से बाँधा है। किसी भी रिश्ते की डोर में आई कमज़ोरी को दूर करने का दारोमदार पति पत्नी दोनों पर होता है। जब दोनों मिलकर रिश्तों को रफू करते हैं तो रिश्ते की गाँठ ताउम्र चलती है। पहले अंतरे में जहाँ शांतनु सुलु के घर बाहर की परेशानियों से जूझने को कुछ यूँ शब्द देते हैं तेरी बनी राहें मेरी थीं दीवारें...उन दीवारों पे ही मैने लिख ली बहारें वहीं दूसरे अंतरे में साथ रहते हुए छोटी छोटी आधी पौनी खुशियों को बँटोरने की बात करते हैं।
शांतनु ने सुखों को धूप और परेशानियों को बादलों की लड़ियों जैसे रूपकों से मुखड़े में बेहद खूबसूरती से बाँधा है। किसी भी रिश्ते की डोर में आई कमज़ोरी को दूर करने का दारोमदार पति पत्नी दोनों पर होता है। जब दोनों मिलकर रिश्तों को रफू करते हैं तो रिश्ते की गाँठ ताउम्र चलती है। पहले अंतरे में जहाँ शांतनु सुलु के घर बाहर की परेशानियों से जूझने को कुछ यूँ शब्द देते हैं तेरी बनी राहें मेरी थीं दीवारें...उन दीवारों पे ही मैने लिख ली बहारें वहीं दूसरे अंतरे में साथ रहते हुए छोटी छोटी आधी पौनी खुशियों को बँटोरने की बात करते हैं।
पर ये रोंकिनी की आवाज़ का जादू है कि आप गीत की पहली पंक्ति से ही गीत के हो कर रह जाते हैं । अनूप का गिटार रोंकिनी की आवाज़ में ऐसा घुल जाता है कि उसका अलग से अस्तित्व पता ही नहीं चलता। आशा है रोंकिनी की इस जानदार आवाज़ का इस्तेमाल बाकी संगीत निर्देशक भी करेंगे। तो आइए सुनें और गुनें साल के इस सरताज गीत को।
कैसे कैसे धागों से बुनी है ये दुनिया
कभी धूप कभी बादलों की ये लड़ियाँ
कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
तेरी बनी राहें मेरी थीं दीवारें
तेरी बनी राहें मेरी थीं दीवारें
उन दीवारों पे ही मैने लिख ली बहारें
शाम हुई तू जो आया सो गयी थी कलियाँ
फिर शाम हुई तू जो आया सो गयी थी कलियाँ
कुछ तूने सी है मैने की है रफ़ू ये डोरियाँ...
रे मा पा नि धा पा मा पा गा मा धा पा गा मा पा गा मा रे सा नि रे
गा मा पा गा मा रे सा नि रे सा
यूँ सीते सीते मीलों की बन गयी कहानी
यूँ सीते सीते मीलों की बन गयी कहानी
कुछ तेरे हाथों से कुछ मेरी ज़ुबानी
अब जो भी है ये आधा पौना है तो रंगरलियाँ
अब जो भी है ये आधा पौना है तो रंगरलियाँ
कुछ तूने सी है मैने की है रफ़ू ये डोरियाँ
वार्षिक संगीतमाला के इस सफ़र में साथ साथ चलने के लिए आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया।
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
14 टिप्पणियाँ:
Kya baat hai! Pleasant surprise! Top song! Top talents! Aur aapka kya kehna Manish Ji! Super Sangeetmala! As I maintain the best music countdown! Congratulations!
धन्यवाद साथ बने रहने के लिए और इस गीतमाला पर निरंतर अपना विश्वास जताने के लिए। ये गीत आपको भी पसंद आया जान कर खुशी हुई।
बहुत सुंदर गीत। इस बार की संगीतमाला में नए कलाकारों से परिचय हुआ। अधिकतर गीत ऐसे रहे जो नवोदित कलाकारों के थे और थोड़े कम सुने गए। इन बेहतरीन गीतों को हम तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद सर।
Manish टीवी पर गीत वही बजते हैं जिनकी visual appeal ज्यादा हो। रेडियो में हालांकि स्थिति थोड़ी बेहतर है पर डान्स नंबर्स का वहाँ भी बोलबाला है। गंभीर गीतों को जगह जल्दी मिलती ही नहीं। मसलन तुम्हारी सुलु को ही देखें। "बन जा तू मेरी रानी" सुना सुना के पका दिया पर "रफ़ू" जैसे गीत को प्रमोट ही नहीं किया गया। जग्गा जासूस में उल्लू का पठ्ठा और गलती से मिस्टेक तो टीवी पर खूब दिखे पर "फिर कभी" की बारी कभी नहीं आई। वार्षिक संगीतमाला में मेरी हर साल यही कोशिश होती है कि जो लोग नए संगीत में भी शब्दों की गहराई और मधुरता का दामन पकड़े हुए कुछ नया कर रहे हैं वो सबके सामने आए।
इस संगीतमाला में साथ बने रहने का शुक्रिया।
Manish, aapne iss gaane ko itna samman diya, to aaj mere liye bahut hi Khushi ka din hai....bahut dhanyavad aapko....main koshish karunga ke agar mauka miley to aur bhi achhe gaaney banau....aur Haan...bank ki naukri Maine chhod di
Thanks Santanu for correction.I have updated it. As for the song you and your team fully deserved all the praise for it. I saw your love for old melodies. Hope melodies keep flowing from your new creations. All the best for your future endeavours.👍👍👍
Manish ji, main aapki abhaari hoon ki aapne iss tarah se na sirf gaane ke baare mein, par hum teenon ki Jo mousiqui ka ab tak ka safar raha hai, uski charcha itni bareeki se ki hai... Iss hausla afzaai ka bohot bohot shukriya... Aur koshish yehi rahegi ki aage bhi hum khoobsurat sangeet se jude rahein...
रोंकिनी जब कोई कलाकार सफल होता है तो सब उसे जानने लगते हैं पर उस जगह तक पहुँचने का संघर्ष लोगों की आँखों के परे रहता है। जब आप इतनी मेहनत कर कुछ अच्छा अपने श्रोताओं के सामने लाती हैं तो हम जैसे लेखकों का इतना तो फर्ज बनता ही है कि लोग आपके संघर्ष, आपकी यात्रा को भी जानें। बहरहाल इस आलेख को तैयार करते हुए आपके ढेर सारे वीडियो देखने का सौभाग्य मिला। आँखों देखी की आपकी शास्त्रीय बंदिश कमाल की थी। आशा है फ्यूजन के आलावा आप की आवाज़ में और ग़ज़लें भी सुनने को मिलेंगी। आप लोग मिल कर यूँ ही मधुर गीतों की रचना करते रहें इन्हीं शुभकामनाओं के साथ। :)
Kya baat hai... I am overwhelmed to say the least sir... Manish Kumar, hats off to you for applauding the hardwork, cos success is always visible where as labour is always latent! Thank you so very much!
Congratulations and all the best, Ronkini.....A fan.
I missed some songs and got to hear these with you. This song has been my favorite but I forgot it ...good to listen it again.
Nice to know that its your favourite too. Though newcomers to Hindi film world both Santanu and Ronkita have given their best effort for this song.
उल्लेखनीय गीत की याद और संदर्भित जानकारी दी आपने। धन्यवाद।
धन्यवाद अभिषेक इस संगीतमाला में साथ साथ सफ़र करने के लिए।
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