वार्षिक संगीतमाला में पिछले साल के बेहतरीन गीतों के इस सिलसिले में आज का जो गीत है उसका नाम है नौका डूबी। ऐसे तो नौका डूबी रवीन्द्रनाथ टैगोर का एक मशहूर उपन्यास भी है जिसकी कहानी पर कई बार हिंदी और बंगाली में फिल्में बनी हैं पर आज इसी नाम के जिस गीत की चर्चा मैं करने जा रहा हूँ उसका टैगोर के उपन्यास से बस इतना ही लेना देना है कि वहाँ भी एक नौका डूबती है और कहानी में उथल पुथल मचा देती है जबकि इस गीत में रिश्तों की नैया डूबती उतरा रही है।
ये गीत है पिछले साल आई फिल्म Lost का और इसे लिखा है मेरे प्रिय गीतकार स्वानंद किरकिरे ने, धुन बनाई है उनके पुराने जोड़ीदार शांतनु मोइत्रा ने। चूंकि ये फिल्म एक ऐसे OTT प्लेटफार्म पर आई जो उतना लोकप्रिय नहीं है इसी वज़ह से आप में से अधिकांश ने शायद ये गीत न सुना हो। पर इस गीत के साथ साथ किसी गुमशुदा इंसान की खोज करती एक महिला पत्रकार की कहानी भी बेहद सराही गई थी।
एक ज़माना था जब मदनमोहन जैसे कई संगीतकार लता जी की आवाज़ और क्षमतको ध्यान में रखकर गीत की धुनें बनाते थे और आज वही रुतबा श्रेया घोषाल ने अपने लिए अर्जित किया है। आज की तारीख़ में उनकी कोशिश यही रहती है कि वे ऐसे गाने लें जिसमें उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले।
किशोरावस्था में देवदास से अपना फिल्म संगीत का सफ़र शुरू करने वाली श्रेया को आज फिल्म जगत में बीस से ज्यादा साल हो चुके हैं पर आज भी आवाज़ की उस मिश्री सी खनक के साथ साथ उनमें नया कुछ करने की वैसी ही ललक है जैसी मुझे सोनू निगम और अरिजीत में दिखाई देती है।
कमाल गाया है उन्होंने ये गीत। ऊँचे से एकदम नीचे सुरों का उतार चढ़ाव वे इतनी सहजता से लाँघती है कि सुन के आनंद आ जाता है। शांतनु का शांत संगीत तार वाद्यों, हारमोनियम और बाँसुरी की मदद से गीत के साथ बहता चलता है।
शहर समंदर ये दिल का शहर समंदर
दो कश्तियाँ थी तैरती, यहाँ बनके हमसफ़र
ओ कितना हसीं दिखता था, वो इश्क़ का मंज़र
तभी वक्त की एक आँधी उठी आया बवंडर
खोया मेरा प्यार, खोया ख़्वाब खोया, नौका डूबी रे
तेरा मेरा साथ छूटा, फिर बने हम अजनबी रे
खोया मेरा चाँद खोया, चाँदनी अम्बर से टूटी रे
तेरा मेरा साथ छूटा, फिर बने हम अजनबी रे
शहर समंदर ये दिल का, शहर समंदर
दो कश्तियाँ थी तैरती, यहाँ हो के बेखबर
तू रात में ही उलझा था मैं बन गई सहर
तू साँसें माँगता था और मैं पी गयी ज़हर
हम दोनों दो किनारे, पास नहीं हैं
कैसे कह दें, हम जुदा हैं, हम दूर नहीं हैं
परछाइयाँ बन दूर रह के साथ चलेंगे
कभी आना तुम ख़्यालों में, हम बातें करेंगे
खोया मेरा प्यार...हम अजनबी रे
खोया मेरा चाँद खोया, हम अजनबी रे
अजनबी रे... अजनबी रे.
अंबर से चांदनी के टूटने का बिंब तो प्रभावी लगता ही है पर अगले अंतरे में स्वानंद की लेखनी दिल में टीस सी पैदा करती है जब वो लिखते हैं तू रात में ही उलझा था मैं बन गई सहर..तू साँसें माँगता था और मैं पी गयी ज़हर
ZEE5 पर प्रदर्शित फिल्म Lost के इस गीत को बेहद खूबसूरती से फिल्माया है यामी गौतम और नील भूपालम पर
गीत के आडियो वर्सन में स्वानंद का लिखा एक और अंतरा भी है और हां उन्होंने ख़ुद भी इस गीत को गाया है एल्बम में।
शहर समंदर ये दिल का, शहर समंदर
दो कश्तियाँ थी तैरती, यहाँ हो के बेखबर
तू रात में ही उलझा था मैं बन गई सहर
तू साँसें माँगता था और मैं पी गयी ज़हर
वार्षिक संगीतमाला का ये गीत फिलहाल प्रथम दस के आप पास मँडरा रहा है। आशा है आप लोगों को भी ये उतना ही पसंद आएगा।
वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
4 टिप्पणियाँ:
पहली बार सुन रही हूं ये गीत 👌
हां जो फिल्में OTT पर रिलीज़ होती हैं उसके गाने कई बार अनसुने रह जा रहे हैं। श्रेया ने बहुत प्यारा गाया है इस गीत को।
Lost पिक्चर देखनी पड़ेगी
देखिए और बताइए कि कैसी है?🙂
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