वार्षिक संगीतमाला में आज जो गीत बजने जा रहा है वो किसी फिल्म का नहीं है बल्कि एक वेब सीरीज का है। ये वेब सीरीज है जुबली। जुबली की कहानी चालीस पचास के दशक के बंबइया फिल्म जगत के इर्द गिर्द घूमती है। अमित त्रिवेदी को जब इस ग्यारह गीतों वाले एल्बम की बागडोर सौंपी गई तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि किस तरह चालीस और पचास के दौर के संगीत को पेश करें कि उसे आज की पीढ़ी भी स्वीकार ले और उस दौर के संगीत का जो मिज़ाज था वो भी अपनी जगह बना रहे।
अमित हमेशा ऐसी चुनौतियों का सामना करते रहे हैं। आमिर, देव डी, लुटेरा और हाल फिल हाल में उनकी फिल्म कला के संगीत ने खासी वाहवाहियाँ बटोरी हैं। अमित अपने इस प्रयास में कितने सफ़ल हुए हैं वो इसी बात से समझ आ जाता है कि जब भी आप इस एल्बम का कोई नग्मा सुनते हैं तो एक साथ आपके ज़ेहन में उस दौर के तीन चार गीत सामने आ जाते हैं जिसकी संगीत रचना और गायिकी का कोई ना कोई अक्स जुबली के नग्मे में नज़र आ जाता है।
अब आज जुबली के गीत बाबूजी भोले भाले की जाए तो सुनिधि चौहान की गायिकी का अंदाज़ आशा जी और गीता दत्त के अंदाज़ से मेल खाता दिखेगा वहीं गीत की संगीत रचना और फिल्मांकन आपको एक साथ शोला जो भड़के, मेरा नाम चिन चिन चू और बाबूजी धीरे चलना जैसे गीतों की याद दिला दे जाएगा।
कौसर मुनीर के मज़ाहिया बोल मन को गुदगुदाते हैं और उन बोलों के बीच में आइ डी राव का बजाया वुडविंड और वादक गिरीश विश्व के ढोलक की जुगलबंदी थिरकने पर मजबूर कर देती है। पुराने गीतों की तरह ताली का इस्तेमाल भी है। इसके अलावा आपको इस गीत में वायलिन और मेंडोलिन जैसे तार वाद्यों की झंकार भी सुनाई देगी।
अमित त्रिवेदी ने धुन तो झुमाने वाली बनाई ही है पर एक बड़ी सी शाबासी के हक़दार सनी सुब्रमण्यम भी हैं जिन्होने परीक्षित के साथ मिलकर इस गीत और एल्बम में अरेंजर की भूमिका निभाई है। इन दोनों के पिता फिल्म उद्योग ये काम करते थे और उनके अनुभव का फायदा इस जोड़ी ने सही वाद्य यंत्रों के चुनाव में बखूबी उठाया है।
बाबूजी भोले-भाले, दुनिया फ़रेबी है जी
बाबूजी भोले-भाले, दुनिया जलेबी है जी
राजा, ज़रा गोल घूम जा, राजा, ज़रा गोल घूम जा
बाबूजी भोले-भाले, दुनिया ये गोला है जी
तू भी ज़रा bat घुमा ले, बस ये ही मौक़ा है जी
बाबूजी भोले-भाले, दुनिया ये गोला है जी
आ जा, लगा ले चौका, आ जा
चमकीली खिड़कियों से तुझको बुलाते हैं जो
shutter नीचे गिरा के ख़ुद भाग जाएँगे वो
भड़कीली तितलियों से तुझको बहकाते हैं जो
बत्ती तेरी बुझा के ख़ुद जाग जाएँगे वो
दिल को समझा ले ज़रा, धक-धक करना मना है
प्यार का कलमा पढ़ना, प्यारे, सुन ले गुनाह है
मन को मना ले ज़रा, गुमसुम रहना मना है
ग़म में भी मार ठहाका, रोना-धोना मना है
बाबूजी-बाबूजी, दुनिया ये फ़ानी है जी
तू भी ज़रा मौज मना ले, whiskey जापानी है जी
बाबूजी-बाबूजी, दुनिया ये फ़ानी है जी
ले-ले जवानी का मज़ा...
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
8 टिप्पणियाँ:
I think maine sabse jyada baar isi album ko suna hai last year
@Sajeev बिल्कुल बार बार सुनने लायक है इसका पूरा एल्बम।
आशा है- वो तेरे मेरे इश्क़ का ये शायराना .. भी लिस्ट में होगा
इस एल्बम के चार गीत इस गीतमाला का हिस्सा हैं। वैसे अपना नाम ज़ाहिर करते तो बेहतर होता।
गाने का संगीत और सुनिधि चौहान का अंदाज दोनों ही बहुत अच्छे हैं पूरी एल्बम ही लाजवाब है और उम्मीद है कि आगे इस एल्बम के और भी गाने श्रृंखला में आप साझा करेंगे
जी बिल्कुल। दिक्कत ये हो रही थी कि किसे चुनें और किसे छोड़ें🙂
सभी गाने चुनिए.. ऐसी एल्बम बार-बार कहां आती है 😊
फिर तो किसी दूसरे गीत के साथ अन्याय हो जायेगा😀
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