कई बार फिल्मों में ऐसे गीत बनते हैं जो उस वक्त देश और समाज के हालातों को अपने शब्दों में पिरो डालते हैं और एक तरह से देश के इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं। अभी हाल ही में सदन में प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए एक गीत की चर्चा की ये कहते हुए कि विपक्ष के शासन के दौरान मँहगाई इतनी बढ़ गयी थी कि मँहगाई डायन खाए जात है जैसे गीत बनने लगे थे। पिछले साल के पच्चीस शानदार गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला में जो गीत आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद इसमें वर्णित घटनाओं की चर्चा कुछ सालों बाद कोई और करे। कोविड की महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की अपने घरों की ओर लौटने में जो बदतर हालत हुई थी ये गीत उसी का यथार्थवादी चित्रण करता है।
मशिनियो से बेसी देहिया खटवनी
हाय रे करम यही पेटवा की ख़ातिर
अब वाचमैनी के ड्यूटी बजवनी
भीड़ में ऐसे छिंटा गईनी ऐसे
बोरा से सरसों छिंटाइल बा
कवने कानूनवा में हम घिरैलीं
कवन बहेलिया बिछावे रे जाल
काहे भइल बा एतना लाचारी
सुई, दवाई एगो टिकिया मुहाल
हाकिम लोग कीड़ा मकौड़ा बूझे
कीटनाशक हमरा पे छिड़काइल बा
खेत खलिहानवा हो बाटे छिनाइल
गहना गुरिया के बतिया न पूछ
बाटे समान मोरा बनकी धराइल
धुआँ धुआँ हो गइल अल्हड़ जवनियाँ
चूल्हा में ऐसे झोंकाइल बा
जतिया धर्मवा के ऐसन अफीम हो
सुतही से केहू चटावे हो राम
हथवा में लेके नफ़रत के लाशा
धीरे से केहू सटावे हो राम
बचके जिय तनि बचके पिया
एही कुइयाँ में भाँगवा घोराइल बा
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
4 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर गीत
बिल्कुल देश के प्रवासी श्रमिकों के आकस्मिक विस्थापन का दर्द बयां करता हुआ। आपसे अनुरोध है कि अपने नाम के साथ टिप्पणी करें🙏
इस ख़ूबसूरत पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । जब काम किसी को पसंद आता है तो हौसला बुलंद हो जाता है ।स्नेह बनाए रखें ❤️
@ Sagar सागर भाई आप के काम को पिछले एक दशक से देख रहा हूं। सलीम सुलेमान से लेकर सुधीर मिश्रा तक के साथ आपको काम करते देख बेहद खुशी हो रही है।
आशा है आपको हिंदी फिल्मों के साथ साथ भोजपुरी गीतों के स्वतंत्र एल्बम में भी काम करने का अवसर मिले ताकि इस भाषा के समृद्ध रूप से हमारी युवा पीढ़ी का परिचय हो सके।
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