वार्षिक संगीतमाला में अब शीर्ष के सात नग्मे रह गए हैं और उनमें से आज का गीत है फिल्म एनिमल का जिसकी मधुर धुन बनाई व गाया विशाल मिश्रा ने और बोल लिखे राजशेखर ने। यूपी बिहार की इस संगीतकार गीतकार की जोड़ी ने अपने इस गीत के माध्यम से देश विदेश में अपनी सफलता का परचम लहराया। वैसे क्या आपको पता है कि ये पूरा गीत मात्र डेढ घंटे में ही बन कर तैयार हो गया था :) ।
संदीप वांगा ने एनिमल के पहले विशाल के साथ कबीर सिंह में काम किया था। विशाल एक अर्से से संगीत जगत में काम कर रहे थे पर कबीर सिंह के गीत कैसे हुआ कैसे हुआ..इतना जरूरी तू कैसे हुआ को युवाओं ने हाथों हाथ लिया। एक तरह से इस गीत ने विशाल की पहचान फिल्म उद्योग में बना दी।
तीन साल बाद जब विशाल को संदीप ने अपनी नई फिल्म के लिए गाना लिखने के लिए बुलाया तो विशाल ने गीतकार के लिए राजशेखर का नाम सुझाया। राजशेखर का नाम सुझाने के पीछे विशाल के पास दो वज़हें थी। एक तो राजशेखर लिखते बहुत बढ़िया हैं और दूसरी विशेष बात ये कि कभी साथ काम करते हुए राजशेखर ने विशाल से ये कहा था कि अगर मेरा कोई गाना रणवीर पर फिल्माया गया तो कैसा दिखेगा? यानी राजशेखर की दिली तमन्ना थी कि उनका लिखा हुआ कोई गीत रणवीर पर शूट हो। विशाल के ज़ेहन में ये बात रह गई और इस तरह पहली बार राजशेखर की मुलाकात संदीप वांगा से हुई।
पहली सिटिंग में जैसे ही विशाल ने पियानो पर आरंभिक धुन बजाई, संदीप ने गाना अनुमोदित कर दिया और उस धुन पर डेढ़ घंटे के भीतर विशाल ने राजशेखर के साथ मिलकर पूरा गीत तैयार कर लिया।
संदीप वांगा की फिल्में, उनकी चुनी कहानियाँ मुझे नहीं रुचतीं इसलिए ना मैंने कबीर सिंह देखी और न ही एनिमल। पर ये जरूर है कि उनकी फिल्मों का संगीत अलहदा होता है। सतरंगा और पहले भी मैं के अलावा जिस तरह उन्होंने इस फिल्म में रहमान के सदाबहार गीत दिल है छोटा सा छोटी सी आशा की धुन का इस्तेमाल किया वो काबिलेतारीफ़ था।
अगर किसी ने फिल्म ना देखी हो तो उन्हें ये गीत एक एक रूमानी गीत ही लगेगा पर फिल्म में दोनों ही चरित्र के बीच का लगाव सच्चे सहज प्रेम से कोसों दूर है। यही वज़ह है कि नायक राजशेखर के शब्दों में ख़ुद को टटोलता हुआ अपनी भावनाओं को लेकर थोड़ा भ्रमित नज़र आता है।
पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ, पहली दफा ही मिलके लगा
तूने छुआ जख्मों को मेरे, मरहम मरहम दिल पे लगा
पागल पागल हैं थोड़े, बादल बादल हैं दोनों
खुल के बरसे भीगे आ ज़रा
मैं अरसे से खुद से ज़रा लापता हूँ
तुम्हें अगर मिलूँ तो पता देना
खो ना जाना मुझे देखते देखते
तू ही ज़रिया, तू ही मंज़िल है
या के दिल है, इतना बता
तूने छुआ जख्मों को मेरे, मरहम मरहम दिल पे लगा
पागल पागल हैं थोड़े, बादल बादल हैं दोनों
खुल के बरसे भीगे आ ज़रा
मैं अरसे से खुद से ज़रा लापता हूँ
तुम्हें अगर मिलूँ तो पता देना
खो ना जाना मुझे देखते देखते
तू ही ज़रिया, तू ही मंज़िल है
या के दिल है, इतना बता
विशाल का मुखड़े के पहले पियानो का टुकड़ा गीत की जान है। बाकी गिटार और ड्रम्स आवाज़ के उतार चढ़ाव के अनुरूप अपनी संगत देते हैं। विशाल संगीतकार तो अच्छे हैं ही, रूमानी गीतों को बहुत डूब कर गाते हैं।
फिल्म संगीत में ऐसा कई बार होता है कि आपके कई बेहतरीन काम नज़रअंदाज़ हो जाते हैं और अचानक ही कोई गीत ऐसा चमक उठता है जिसकी कल्पना भी बनाने वाले ने नहीं की होगी। नेट पर इस गीत को इतना सुना गया कि ये एक समय ये देश विदेश के Music Charts पर ट्रेंड करने लगा था।
राजशेखर तनु वेड्स मनु के ज़माने से ही मेरे मेरे प्रिय गीतकार रहे हैं। तनु वेड्स मनु का रंगरेज़ और कितने दफ़े दिल ने कहा, करीब करीब सिंगल का जाने दे और हाल फिलहाल में उनका मिसमैच्ड में लिखा गीत ऐसे क्यूँ.... कुछ ऐसे नग्मे लगते हैं जिसमें उन्होंने इंसानी रिश्तों की बारीक पड़ताल की है। तनु वेड्स मनु हिट भी हुई पर कमाल देखिए कि उसके तीन साल बाद तक राजशेखर को ढंग का काम नहीं मिला। इसीलिए विशाल कहते हैं कि अपने आप को साबित करने के लिए आपको निरंतर लगे रहना पड़ता है और जब सफलता हाथ लगती है तो पीछे की हुई सारी मेहनत, सारे अच्छे बुरे तजुर्बे काम आते हैं।
राजशेखर ने इस गीत का एक अंतरा और लिखा था जो कि नायिका के मनोभावों को व्यक्त करता है। इसे अपने एक साक्षात्कार में विशाल ने गा के सुनाया था।
तुम्हारे बदन की महक ख़्वाब सी है
मैं चाहूँ कि इसमें ही खोई रहूँ
मैं सुबहों को बाहों में अपनी छुपा के
तेरे साथ यूँ ही मैं सोई रहूँ
पूरे दिन बस तुझे देखते-देखते
पहले भी मैं तुमसे मिली हूँ, पहली दफा ही मिलके लगा
तूने छुआ जख्मों को मेरे, मरहम मरहम दिल पे लगा
पागल पागल हैं थोड़े, बादल बादल हैं दोनों
खुल के बरसे भीगे आ ज़रा
तूने छुआ जख्मों को मेरे, मरहम मरहम दिल पे लगा
पागल पागल हैं थोड़े, बादल बादल हैं दोनों
खुल के बरसे भीगे आ ज़रा
बिना किसी संगीत के भी विशाल की आवाज़ मन को छू जाती है। वैसे बतौर गायक आपको विशाल मिश्रा कैसे लगते हैं?
वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
4 टिप्पणियाँ:
विशाल को पहली बार मैंने “वो चाँद कहाँ से” में नोटिस किया था। बहुत ही रूमानी आवाज़ है। कुछ कुछ अदनान सामी की तरह।
आवाज़ भी रूमानी है और जैसा वे बताते हैं कि दिल भी टूटा है कई बार। मनोज मुंतशिर और राजशेखर के साथ मिलकर कुछ अच्छे नग्मे बनाए हैं उन्होंने।
अरे यही गीत रफ़ी साहब की आवाज़ में AI की मदद से बनाया है अभी किसी ने.
अपर्णा जी, सुना था मैंने भी इंस्टाग्राम पे। अब तो लगता है कि किसी भी गाने को AI की टाइम मशीन में डालकर अपने पसंदीदा गायक की आवाज़ में सुना जा सकेगा।
एक टिप्पणी भेजें