रविवार, जून 23, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 सरताज गीत : वो तेरे मेरे इश्क़ का इक, शायराना दौर सा था....

पिछले महीने परिस्थतियाँ ऐसी रही कि वार्षिक संगीतमाला की आख़िरी पेशकश को आप तक पहुँचाने का समय टलता रहा।चलिए थोड़ी देर से ही सही पर अब वक़्त आ गया इस संगीतमाला का सरताजी बिगुल बजाने का और इस साल ये सेहरा बँधा है जुबली के गीत वो तेरे मेरे इश्क़ का इक, शायराना दौर सा था....पर। क्या शब्द , क्या धुन और क्या ही गायिकी इन तीनों मामलों में ये गीत अपने करीबी गीतों से कोसों आगे रहा और इसलिए इस वर्ष २०२३ का सर्वश्रेष्ठ गीत चुनने में मुझे कोई दुविधा नहीं हुई। यूँ तो इस सफलता के पीछे संगीतकार अमित त्रिवेदी, गीतकार कौसर मुनीर और गायिका सुनिधि चौहान बराबर की हक़दार हैं पर मैं कौसर मुनीर का विशेष रूप से नाम लेना चाहूँगा जिनके लिखे बोलों ने तमाम संगीतप्रेमियों के सीधे दिल पर असर किया।


आप सबके मन में एक प्रश्न उठता होगा कि क्या जीवन में प्रेम का स्वरूप हर समय एक जैसा हो सकता है? मुझे तो कम से कम ऐसा नहीं लगता। जिस सच्चे प्यार कि हम बात करते हैं मन की वो पवित्र अवस्था हमेशा तो नहीं रह पाती, पर उस अवस्था में हम अपने प्रेमी के लिए निस्वार्थ भावना से अपनी ज़िंदगी तक दाँव पर लगा देते हैं। कुछ ही दिनों पहले महान विचारक ओशो का सच्चे प्यार पर कही गयी ये उक्ति सुनी थी
प्रेम कोई स्थायी, शाश्वत चीज़ नहीं है। याद रखें, कवि जो कहते हैं वह सच नहीं है। उनकी कसौटी मत लो, कि सच्चा प्रेम शाश्वत है, और झूठा प्रेम क्षणिक है - नहीं! मामला ठीक इसके विपरीत है. सच्चा प्यार बहुत क्षणिक होता है - लेकिन क्या क्षण!... ऐसा कि कोई इसके लिए पूरी अनंतता खो सकता है, इसके लिए पूरी अनंतता जोखिम में डाल सकता है। कौन चाहता है कि वह क्षण स्थायी रहे? और स्थायित्व को इतना महत्व क्यों दिया जाना चाहिए?... क्योंकि जीवन परिवर्तन है, प्रवाह है; केवल मृत्यु ही स्थायी है.


संगीतकार अमित त्रिवेदी, गीतकार कौसर मुनीर के साथ

भले ही प्रेम में पड़े होने के वे अद्भुत क्षण बीत जाते हैं पर हम जब भी उन लम्हों को याद करते हैं मन निर्मल हो जाता है और अतीत की यादों से प्रेम की इसी निर्मलता को कौसर मुनीर ने इस गीत में ढूँढने की कोशिश की है वो भी पूरी आत्मीयता एवम् काव्यात्मकता के साथ। फिर वो रात में अपने चाँद से आलिंगन की बात हो या फिर किसी की एक नज़र उठने या गिरने से दिल में आते भूचाल की कसक कौसर मुनीर प्रेम करने वाले हर इंसान को अपने उस वक़्त की याद दिला देती हैं जब इन कोमल भावनाओं के चक्रवात से वो गुजरा था। गीत में उन प्यारे लम्हों के गुजर जाने को लेकर कोई कड़वाहट नहीं है। बस उन हसीन पलों को फिर से मन में उतार लेने की ख़्वाहिश भर है।

संगीतकार अमित त्रिवेदी ने भी सारंगी, सितार, हारमोनियम के साथ तबले की संगत कर इस गीत का शानदार माहौल रचा है। इस गीत में सितार वादन किया है भागीरथ भट्ट ने, सारंगी सँभाली है दिलशाद खान  ने हारमोनियम पर उँगलियाँ थिरकी हैं अख़लक वारसी की और तबले पर संगत है सत्यजीत की । 

गीत स्वरमंडल की झंकार से  बीच सुनिधि के आलाप से आरंभ होता है। आरंभिक शेर के पार्श्व में स्वरमंडल, सितार और सारंगी की मधुर तान चलती रहती है.। गीत का मुखड़ा आते ही मुजरे के माहौल को तबले और हारमोनियम की संगत जीवंत कर देती है। पहले अंतरे के बाद सितार का बजता टुकड़ा सुन कर मन से वाह वाह निकलती है। गीत में नायिका के हाव भाव उमराव जान के फिल्मांकन की याद दिला देते हैं।  सुनिधि की आवाज़ बीते कल की यादों के साथ यूँ डूबती उतराती हैं कि आँखें नम हुए बिना नहीं रह पातीं।


सुनिधि चौहान

बतौर गायिका सुनिधि चौहान के लिए पिछला साल शानदार रहा। अपने तीन दशक से भी लंबे कैरियर में बीते कुछ सालों से उन्हैं अपने हुनर के लायक काम नहीं मिल रहा था पर जुबली में बाबूजी भोले भाले, नहीं जी नहीं और वो तेरे मेरे इश्क़ का... जैसे अलग अलग प्रकृति के गीतों को जिस खूबसूरती से उन्होंने अपनी आवाज़ में ढाला उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम होगी।
क्या इश्क़ की दलील दूँ, क्या वक़्त से करूँ गिला
कि वो भी कोई और ही थी, कि वो भी कोई और ही था

वो तेरे मेरे इश्क़ का इक, शायराना दौर सा था....
वो मैं भी कोई और ही थी वो तू भी कोई और ही था
वो तेरे मेरे इश्क़ का इक, शायराना दौर सा था

वो आसमां छलांग के जो, छत पे यूँ गले से लगे
वो आसमां छलांग के जो, छत पे यूँ गले से लगे
वो रात कोई और ही थी…वो चाँद कोई और ही था
इक निगाह पे जल गए…इक निगाह पे बुझ गए
इक निगाह पे जल गए…इक निगाह पे बुझ गए
वो आग कोई और ही थी…चराग कोई और ही था
वो तेरे मेरे इश्क़ का इक शायराना दौर सा था..

जिस पे बिछ गई थी मैं…जिस पे लुट गया था तू
बहार कोई और ही थी…वो बाग कोई और ही था
जिसपे मैं बिगड़ सी गई…जिससे तू मुकर सा गया
जिसपे मैं बिगड़ सी गई…जिससे तू मुकर सा गया
वो बात कोई और ही थी…वो साथ कोई और ही था।
वो तेरे मेरे इश्क़ का इक शायराना दौर सा था..


वैसे मुझे जुबली देखते वक़्त ये जरूर लगा कि जितनी सशक्त भावनाएँ इस गीत में निहित थीं उस हिसाब से निर्देशक विक्रमादित्य उसे अपनी कहानी में इस्तेमाल नहीं कर पाए।


वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत

  • वो तेरे मेरे इश्क़ का
  • मैं परवाना तेरा नाम बताना
  • रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  • दिल झूम झूम जाए
  • बाबूजी भोले भाले
  • नौका डूबी रे
  • तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  • चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  • उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  • आ जा रे आ बरखा रे
  • तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  • बोलो भी बोलो ना
  • पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  • मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  • कैसी कहानी ज़िंदगी?
  • कल रात आया मेरे घर एक चोर
  • वे कमलेया
  • आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  • तुम क्या मिले
  • ओ माही ओ माही
  • ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  • कि रब्बा जाणदा
  • पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  • कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  • कुछ देर के लिए रह जाओ ना
तो ये थे मेरी पसंद के साल के पच्चीस बेहतरीन गीत। पहले नंबर के गीत का तो आज मैंने ऍलान कर दिया। बाकी गीतों की अपनी रैंकिंग मैं अपनी अगली पोस्ट में बताऊँगा। आप जरूर बताएँ कि इन गीतों में या इनके आलावा भी इस साल के पसंदीदा गीतों की सूची अगर आपको बनानी होती तो आप किन गीतों को रखते?
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8 टिप्पणियाँ:

Swati Gupta on जून 23, 2024 ने कहा…

जुबली का सबसे लोकप्रिय गाना। गाने के बोल वाकई बहुत खूबसूरत है इसकी व्याख्या में आपने जिस तरह से ओशो के विचार शामिल किए हैं वो काफी अच्छे है इस गाने की वजह से ही मैंने पूरी वेब सीरीज देखी थी 😊

Manish Kumar on जून 23, 2024 ने कहा…

Swati Gupta चलिए एक से बढ़ कर दो हुए। मेरी भी दिलचस्पी इस वेब सीरीज में इस गीत को सुनने के बाद ही हुई। कौसर मुनीर का जुबली के लिए किया गया काम उनके करियर में मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा मेरा मानना है। 😊

Manish on जून 23, 2024 ने कहा…

मुझे लग रहा था, सरताज गीत इसी को होना चाहिए...गीत, संगीत, गायकी तो बेहतरीन है ही, पर मुझे वमिका गब्बी की अदाकारी भी बेहद खूबसूरत लगी...इस गीत के साथ-साथ पूरी वेब सीरीज में वो छाई हुईं हैं...!👏🤗💖

Manish Kumar on जून 23, 2024 ने कहा…

Manish वामिका का कहना था कि इस गीत को करते हुए उन्हें अपने पुराने ब्वॉयफ्रेंड्स याद आ गये। ये गाना ही ऐसा है जिसे सुन कर अपने पुराने प्यार को याद करते हैं। देवदास में माधुरी के नृत्य से उनकी तुलना से वो गदगद थीं क्यूंकि देवदास में माधुरी का चरित्र उनका चहेता था।

वैसे अभी पहला रैंक घोषित किया है। बाकी गीतों की रैंक बताने के पहले तुम लोग अपनी लिस्ट तैयार रखो🙂

Kanchan Bisht Khetwal on जून 24, 2024 ने कहा…

Wah this Saratz geet is one of my favorites .👍👌 I can keep on listening again n again n again.

Manish Kumar on जून 24, 2024 ने कहा…

Kanchan Bisht Khetwal In fact it was your post that introduced me to this song and later on I watched complete series to listen to other beautiful melodies of Jubliee 😊

Arvind Mishra on जून 24, 2024 ने कहा…

Waah ye to mera fav nikala ...

Manish Kumar on जून 24, 2024 ने कहा…

Nice to know Arvind🙂

 

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