शनिवार, अगस्त 16, 2008

मोहब्बतों का शायर क़तील शिफ़ाई भाग ४ - सुनिए बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई Barsaat ki bheegi raton mein

इससे पहले कि क़तील के गीतों और गीतनुमा ग़ज़लों का जिक्र किया जाए, आज की शाम का आग़ाज क़तील की इस लोकप्रिय ग़ज़ल के चंद अशआरों से करते है्

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं

शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिये
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं

जब भी आता है मेरा नाम तेरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मेरे नाम से जल जाते हैं

रब्ता बाहम पे हमें क्या न कहेंगे दुश्मन
आशना जब तेरे पैग़ाम से जल जाते हैं


क़तील ने एक शायर के रूप में तो प्रसिद्धि पाई ही, साथ ही साथ तमाम पाकिस्तानी और हिंदी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। जनवरी 1947 में क़तील को लाहौर के एक फिल्‍म प्रोड्यूसर ने गाने लिखने की दावत दी, उन्‍होंने जिस पहली फिल्‍म में गाने लिखे उसका नाम था ‘तेरी याद’ । वैसे तो हिंदी फिल्मों में 'गुमनाम' और फिर 'तेरी कहानी याद आई' में लिखे उनके गीत बेहद कर्णप्रिय हैं पर क़तील के लिखे गीतों में जो सबसे अधिक चर्चित हुआ वो था "मोहे आई न जग से लाज ....के घुँघरू टूट गए।" हम लोगों ने तो पहली बार इसे अनूप जलोटा के स्वर में सुना था पर बाद में पता चला कि इसे तो कितने ही गायकों ने अपनी आवाज़ से संवारा है। क़तील मज़ाहिया लहजे में कहते थे कि "जब तक भारत और पाकिस्तान का कोई भी गायक इस गीत को नहीं गा लेता वो गवैया नहीं कहलाता"।

अक्सर फिल्मों के गीत लिखने और साथ साथ शायर करने वालों को ठेठ साहित्यिक वर्ग हेय दृष्टि से देखता है। क़तील को भी इस वज़ह से अपने आलोचकों का सामना करना पड़ा। इसलिए इस गीत को मुशायरे में पढ़ते वक़्त क़तील ने इस बात पर जोर दिया कि उनके गीत सिर्फ फिल्मी नहीं बल्कि इल्मी भी होते हैं। देखिए इस मुशायरे में वो ये गीत किस अदा से पढ़ रहे हैं।






मोहे आई न जग से लाज
मैं इतना ज़ोर से नाची आज
के घुंघरू टूट गए
कुछ मुझ पे नया जोबन भी था
कुछ प्यार का पागलपन भी था
हर पलक मेरी तीर बनी
और ज़ुल्फ़ मेरी ज़ंजीर बनी
लिया दिल साजन का जीत
वो छेड़े पायलिया ने गीत
के घुंघरू टूट गए

धरती पे न मेरे पैर लगे
बिन पिया मुझे सब ग़ैर लगे
मुझे अंग मिले अरमानों के
मुझे पंख मिले परवानों के
जब मिला पिया का गाँव
तो ऐसा लचका मेरा पाँव
के घुंघरू टूट गए


मेहंदी हसन साहब का गाया हुआ "जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ..." जैसा अजर अमर गीत भी क़तील शिफ़ाई ने ही लिखा था।

तलत अज़ीज ने भी क़तील की कई गीतनुमा ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी है। उम्मीद है कि बरसात के इस मौसम में इस ग़ज़ल को सुनकर तलत अज़ीज की आवाज़ आपको अपनी कुछ पुरानी यादों तक पहुँचने में मदद करेगी। वैसे भी इस ग़ज़ल के मक़ते में जिसे तलत अज़ीज ने गाया नहीं है क़तील खुद भी कहते हैं

हम चाक - ए-गिरेबाँ आप भी थे, क्या कहते क़तील जमाने से
छेड़ा जो पराया अफ़साना, अपनी भी कहानी याद आई


वैसे इस ग़ज़ल को शुरु करने के पहले तलत अज़ीज साहव ये क़ता जरूर पढ़ते थे जिससे ग़ज़ल का लुत्फ कुछ और बढ़ जाया करता था।

आयी जो रुत सुहानी तेरी याद आ गयी
महकी जो रातरानी तेरी याद आ गयी
खुद को सँभाले रखा था यादों की भीड़ में
कल ऐसा बरसा पानी तेरी याद आ गयी




बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई
कुछ अपना ज़माना याद आया, कुछ उनकी जवानी याद आई

हम भूल चुके थे, किस ने हमें, दुनिया में अकेला छोड़ दिया
जब गौर किया तो इक सूरत जानी पहचानी याद आई

कुछ पाँव के छाले, कुछ आँसू, कुछ गर्द-ए-सफ़र, कुछ तनहाई
उस बिछड़े हुए हमराही की एक-एक निशानी याद आई

फिर सब्र का दामन छूट गया, शीशे की तरह दिल टूट गया
तनहाई के लमहों में शायद फिर कोई पुरानी याद आई


क़तील शिफाई पर इस श्रृंखला की आखिरी कड़ी में पेश करूँगा क़तील शिफ़ाई की लिखी और तलत अजीज की गाई एक और ग़ज़ल जिसे गुनगुनाना मुझे बेहद प्रिय है...

इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ

मोहब्बतों का शायर क़तील शिफ़ाई : भाग:१, भाग: २, भाग: ३, भाग: ४, भाग: ५

अगर आपकों कलम के इन सिपाहियों के बारे में पढ़ना पसंद है तो आपको इन प्रविष्टियों को पढ़ना भी रुचिकर लगेगा
  1. क़तील शिफ़ाई भाग:१, भाग: २, भाग: ३
  2. मज़ाज लखनवी भाग:१, भाग: २
  3. फैज़ अहमद फ़ैज भाग:१, भाग: २, भाग: ३
  4. परवीन शाकिर भाग:१, भाग: २
  5. सुदर्शन फ़ाकिर

7 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीअगस्त 16, 2008

    कतील साहब को सुनकर मजा आ गया।

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  2. कुछ पाँव के छाले, कुछ आँसू, कुछ गर्द-ए-सफ़र, कुछ तनहाई
    उस बिछड़े हुए हमराही की एक-एक निशानी याद आई

    waaah

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  3. कतील साहब की इतनी सुन्दर रचनाएं सुनवाने का शुक्रिया।

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  4. ह्म्म्म.... आज पिछली ३ पोस्ट पढ़ी. ये रचनाये आप ही सुनवा सकते हैं.. छुट्टी में कहाँ गए हैं ये नहीं बताया आपने?

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  5. kateel saahab ki to main fan hoon..shukrya unke baare mein charcha karne ke liye...

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  6. अभिषेक बस घर तक यानि पटना गया था।

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  7. barish ho aur kateel sahab ki ghazal kya baat hai

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