शुक्रवार, मार्च 19, 2021

वार्षिक संगीतमाला 2020 : गीत #3 शायद कभी ना कह सकूँ मैं तुमको Shayad

ढाई महीने का ये सफ़र हमें ले आया है वार्षिक संगीतमाला की तीसरी पायदान पर जहाँ गाना वो जो पिछले साल की शुरुआत में आया और आते ही संगीतप्रेमियों के दिलो दिमाग पर छा गया। अब तक ये पन्द्रह करोड़ से भी ज्यादा बार इंटरनेट पर सुना जा चुका है। जी हाँ ये गाना था लव आज कल 2  से शायद

प्रीतम, इरशाद कामिल और अरिजीत सिंह जब साथ आ जाएँ तो कमाल तो होना ही है। तीन साल पहले भी एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला में यही तिकड़ी तीसरे स्थान पर थी जब हैरी मेट सेजल के गीत हवाएँ के साथ। एक बार फिर वैसा ही  जादू जगाने में सफल हुए हैं ये तीनों इस नग्मे में ।

प्रीतम अपनी धुनों को तब तक माँजते हैं जब तक उन्हें यकीन नहीं हो जाता कि श्रोता उसे हाथों हाथ लेंगे। उनके गीतों में सिग्नेचर ट्यून का इस्तेमाल बारहा होता है और ये ट्यून इतनी आकर्षक होती है कि सुनने वाला दूर से ही सुन के पहचान जाता है कि ये वही गीत है। यहाँ भी मुखड़े के बाद जो धुन बजती है वो तन मन प्रफुल्लित कर देती है। 



इरशाद कामिल ने प्रेम के इकतरफे स्वरूप को इतने सहज शब्दों में इस गीत में उतारा है कि शायद ही कोई हो जो इस गीत की भावनाओं के मर्म से अछूता रह पाए । हर प्रेमी की ये इच्छा होती है कि सामने वाला बिना कहे उसकी बात समझ सके। अब ये इच्छा भगवान पूरी भी कर दें तो भी उस 'शायद' की गुंजाइश बनी रहती है क्यूँकि सामने वाला भी तो कई बार समझ के नासमझ बना रहता है। इसीलिए गीत के मुखड़े में इरशाद लिखते हैं.. शायद कभी ना कह सकूँ मैं तुमको...कहे बिना समझ लो तुम शायद...शायद मेरे ख्याल में तुम एक दिन...मिलो मुझे कहीं पे गुम शायद । देखिए कितना सुंदर और अनूठा प्रयोग है शायद शब्द का कि वो पहली और तीसरी पंक्ति की शुरु में आता है तो दूसरी और चौथी की आख़िर में। आँखों को ख्वाब देना खुद ही सवाल करके..खुद ही जवाब देना तेरी तरफ से वाली पंक्ति भी बड़ी खूबसूरत बन पड़ी है।

अरिजीत की गायिकी के लिए युवाओं में एक जुमला खासा मशहूर है और वो ये कि अरिजीत के गाने और मम्मी के ताने सीधे दिल पे लगते हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि अगर ये गाना अरिजीत के आलावा किसी और से गवाया गया होता तो उसका प्रभाव तीन चौथाई रह जाता। ऊंचे व नीचे सुरों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें आजकल के अपने समकालीन पुरुष गायकों से कहीं ऊपर ले जाती  है। 

प्रीतम के संगीत संयोजन में गिटार का प्रमुखता से इस्तेमाल होता है। मजे की बात ये है कि इस गीत की प्रोग्रामिंग से लेकर एकास्टिक गिटार पर अरिजीत की उँगलियाँ ही थिरकी हैं। वुडविंड वाद्य यंत्रों से बनी मनमोहक सिग्नेचर धुन बजाने वाले हैं निर्मल्य डे। तो आइए सुनते हैं एक बार फिर इस गीत को जो शुरुआत तो एक मायूसी से होता है पर अंतरे तक पहुँचते पहुँचते आपको गीत की धुन में डुबाते हुए एक धनात्मक उर्जा से सराबोर कर देता है

शायद कभी ना कह सकूँ मैं तुमको 
कहे बिना समझ लो तुम शायद 
शायद मेरे ख्याल में तुम एक दिन 
मिलो मुझे कहीं पे गुम शायद 

जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं 
जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं 
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा 
तुमसे कम नहीं 
जो तुम ना हो तो हम भी हम नहीं ..कम नहीं 

आँखों को ख्वाब देना खुद ही सवाल करके
खुद ही जवाब देना तेरी तरफ से 

बिन काम काम करना जाना कहीं हो चाहे 
हर बार ही गुज़रना तेरी तरफ से 
ये कोशिशें तो होंगी कम नहीं 
ये कोशिशें तो होंगी कम नहीं 
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा ...जो तुम ना हो


 

लव आज कल 2 तो लॉकडाउन के पहले आई पर इसके गाने कोविड काल में भी लोगों को सुहाते रहे। आप में से बहुत लोगों को पता ना हो कि लॉकडाउन में प्रीतम ने अरिजीत और इरशाद कामिल के साथ मिलकर गीत का एक और अंतरा रचा था जिसके बोल कुछ यूँ थे.. 

चाहत कसम नहीं है, कोई रसम नहीं है
दिल का वहम नहीं है, पाना है तुमको
ख़्वाबों में गाँव जिसका, रस्ता ना आम जिसका
चाहत है नाम जिसका ,पाना है तुमको
हो तुम जहाँ मिलेंगे हम वहीं
ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा 
तुमसे कम नहीं 
जो तुम ना हो तो हम भी हम नहीं ..कम नहीं 

चलिए चलते चलते उस वर्जन को भी सुन लिया जाए :)



वार्षिक संगीतमाला 2020

7 टिप्‍पणियां:

  1. ना चाहिए कुछ तुमसे ज्यादा...तुमसे कम नहीं
    जो तुम ना हो... तो हम भी हम नहीं. ..कम नहीं.....इस गीत से मेरी मेरी प्रिय पंक्तियाँ!! साल के सबसे कर्णप्रिय गीतों में एक!😊

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  2. पूरी लिस्ट खत्म हो जाने के बाद पूछेंगे कि तुम्हारा इस साल का स्कोर क्या रहा 😃

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