वार्षिक संगीतमाला में आज का गीत फिल्म मिमी से। फिल्म का संगीत एक बार फिर ए आर रहमान ने दिया था। इस फिल्म में कई गीत हैं। खासकर डांस नंबर पसंद करने वाले गीत परम सुंदरी पर कई बार झूम चुके होंगे। पर 2021 के 15 उल्लेखनीय गीतों की मेरी सूची में इस फिल्म का वो गाना शामिल हो रहा है जिसमें आवाज़ है कैलाश खेर की और शब्द अमिताभ भट्टाचार्य के।
पिछले साल सरोगेसी जैसे विषय पर बनी ये फिल्म काफी सराही गयी थी। जिस बच्चे को आप अपने गर्भ में नौ महीने तक पालते हैं उससे एक भावानात्मक लगाव हो जाना स्वाभाविक सा है खासकर तब जब जन्म के बाद भी उसका कुछ सालों तक लालन पालन आपने किया हो। सच्ची बात तो ये है कि शिशु के लिए तो माँ वही है जिसने उसे पाला पोसा हो। उसे क्या पता खून या गर्भ के रिश्ते के बारे में। संसार में आने के बाद जहाँ से ममता की छाँव मिली उसी को उसने माँ का सच्चा रूप मान लिया।
नायिका मिमी की आपबीती भी कुछ ऐसी ही है। मिमी ने पैसे लेकर गर्भ धारण किया पर बच्चे के जन्म के पहले ही उसे उसके वास्तविक माता पिता ने त्याग दिया और फिर सालों बाद जब उनकी मति फिरी तो मिमी और उसके परिवार के लिए उस बच्चे को छोड़ना असहनीय हो उठा।
परिवार की इसी पीड़ा को अमिताभ भट्टाचार्य ने इस गीत में अपने शब्द दिए हैं। गीतों के बोल और रहमान द्वारा दिया संगीत एक लोकगीत सा माहौल रचता है। कैलाश खेर की धारदार आवाज़ इस दुख को और गहरा कर देती है। कैलाश एक कमाल के गायक हैं। विगत कुछ वर्षों से निजी जीवन में अपने आचार व्यवहार की वज़ह से कई विवादों से घिरे रहे हैं। यही कारण है कि उनकी रुहानी आवाज़ श्रोताओं को पिछले एक दो सालों में कम सुनने को मिली है।
अमिताभ वैसे गीतकारों में हैं जिन्हें साल दर साल अपने गीतों का स्तर बनाए रखा है और उनकी लेखनी फिल्म की कहानी के अनुरूप गीत के मूड को अपने बोलों से ढालने में सफल रही है। इसी गीत में देखिए कितने प्यारे बोल लिखे हैं उन्होंने ...
छोटी सी चिरैया छोटी सी चिरैया
उड़के चली किस गाँव
रह गया दाना रह गया पानी
सूनी भई अमवा की छाँव
मुनिया मोरी सूनी भई अमवा की छाँव
छोटी सी चिरैया ... गाँव
उड़के चली किस गाँव
रह गया दाना रह गया पानी
सूनी भई अमवा की छाँव
मुनिया मोरी सूनी भई अमवा की छाँव
छोटी सी चिरैया ... गाँव
अजब निराली मोह की माया, समझे समझ नहीं आए
अंगना से तोरी चहक तो जाए, तोहरी महक नहीं जाए
नैन समंदर सात भरे पर , भरे ना करेजवा के घाव
मुनिया मोरी भरे ना करेजवा के घाव
छोटी सी चिरैया छोटी सी चिरैया ..
दे विदाई में तुझे क्या कीमती समान
दे जा निंदिया रैन की सुबहों की ले मुस्कान
भरके अपनी चोंच में ले जा हमरे प्राण आ
छोटी सी चिरैया ...की छाँव
दे जा निंदिया रैन की सुबहों की ले मुस्कान
भरके अपनी चोंच में ले जा हमरे प्राण आ
छोटी सी चिरैया ...की छाँव
रहमान ने संगीत संयोजन में मुखड़े और पहले अंतरे के बीच विश्व मोहन भट्ट द्वारा बजाई मोहन वीणा पर सबसे पहले ध्यान जाता है। मुखड़े और दूसरे अंतरे में वीणा के साथ सारंगी का छोटा सा टुकड़ा भी आपको सुनने को मिलेगा। कैलाश खैर की बुलंद आवाज़ के साथ वैसे भी ज्यादा साज़ों की आवश्यकता नहीं होती। बस संगत में घटम, तबले व हारमोनियम का धीमा मधुर स्वर कानों को सहलाता चलता है। पर ये सब सुनने के लिए आपको गीत का ऑडियो सुनना होगा। वीडियो वर्जन में गीत का पहला अंतरा नहीं है।
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक
अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी।
अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी।
इस साल के बेहतरीन गीतों में एक!��
जवाब देंहटाएंManish पसंद आया तुमको। वैसे साल भर तो इस फिल्म का सिर्फ एक ही गीत बजता रहा।🙂
हटाएंजी सर, इस एलबम कम से कम एक गीत और संगीतमाला में शामिल होना चाहिए
हटाएंबहुत प्यारा गीत ! जितनी देर गीत सुना माँ याद आती रहीं। ऐसा लगा 2001 के दिसम्बर के दिन हैं और अम्मा ही गा रही हैं यह गीत मेरे घर से चले जाने के बाद।
जवाब देंहटाएं@Kanchan गीत के भाव हैं ही कुछ ऐसे।
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