आप सोच रहे होंगे कि हर साल की तरह एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला क्यूँ नहीं शुरु हुई। दरअसल कोविड के इस दौर में पिछले साल से कई बहुप्रतीक्षित फिल्में रिलीज़ ही नहीं हो पायीं। ज्यादातर फिल्में OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुईं। इन फिल्मों में कई बार गीत होते ही नहीं या होते भी हैं तो प्रचारित नहीं किये जाते। ऐसे हालातों में साल की सारी फिल्मों के गीतों को ढूँढना और सुनकर एक क्रम में सजाना एक बड़ा ही दुरूह कार्य हो गया है।
वैसे भी पिछले साल का फिल्म संगीत भी कुछ खास उल्लेखनीय नहीं रहा है। आधा दर्जन फिल्मों को छोड़ दें तो बाकी कुछ ऐसा खास नहीं कि पच्चीस की गिनती भी पूरी की जा सके। सच तो ये है कि कई सिंगल्स फिल्मी गीतों से बेहद प्रभावी बने हैं इसलिए इस साल उनका जिक्र करना अब जरूरी सा लगने लगा है। इसलिए हर साल की तरह जैसे मेरी संगीतमाला एक एक कर पच्चीस सीढ़ियाँ चढ़ती थी वैसा इस साल नहीं होगा। 2021 में कुछ फिल्मों के गीत श्रवणीय बन पड़े हैं जिनमें शेरशाह, अतरंगी रे, मीनाक्षी सुंदरेश्वर, पगलेट और तिरासी का विशेष उल्लेख करना चाहूँगा। ऐसे हालातों में हो सकता है कि मेरी गीतमाला दस गीतों तक ही सिमट जाए।
वैसे आपकी नज़र में इन फिल्मों के आलावा कोई ऐसा एल्बम हो जिसे शायद मैं ना सुन पाया हूँ तो जरूर बताएँ।
इस साल #मिमी फ़िल्म का अल्बम भी पसन्द आया! कुछ और याद आता है तो बताते हैं!
जवाब देंहटाएंManish इसे लिखने के बाद कल रात को उसके और रूही के गाने सुने।
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