मंगलवार, फ़रवरी 08, 2022

वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो Lehra Do

जो गीत सिनेमा की पटकथा से निकल कर आते हैं वो तभी जनता तक पहुँच पाते हैं जब फिल्म सफल होती है। 1983 विश्व कप क्रिकेट में भारत की अप्रत्याशित जीत पर बनी फिल्म 83 के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। प्रीतम का संगीत और कौसर मुनीर के लिखे गीत औसत से अच्छे थे पर उतना सुने नहीं गए जितने के वे हक़दार थे। जीतेगा जीतेगा इंडिया जीतेगा तो फिल्म की कहानी का हिस्सा नहीं बन पाया पर इसी फिल्म का अरिजीत सिंह द्वारा गाया गीत लहरा दो फिल्म में था और आज मेरी इस पिछले साल के शानदार गीतों की परेड में भी शामिल हो रहा है।


ये गीत फिल्म में तब आता है जब भारत उस प्रतियोगिता में करो और मरो वाली स्थिति में आ गया था। जितनी बात फाइनल में कपिल के पीछे भागते हुए विवियन रिचर्डस का कैच लेने की जाती है उतने ही गर्व से कपिल की उस पारी को याद किया जाता है जो उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली थी। जो क्रिकेट के शौकीन नहीं हैं वो थोड़ा असमंजस में जरूर पड़ेंगे कि आख़िर जिम्बाब्वे जैसे कमज़ोर क्रिकेट खेलने वाले देश के साथ खेली गयी पारी पर इतनी वाहवाही क्यूँ? तो थोड़ा तफसील से इसकी वजह बताना चाहूँगा आपको क्यूँकि तभी आप इस गीत का और आनंद ले पाएँगे।

83 में भारत की टीम को एकदिवसीय क्रिकेट में बेहद कमज़ोर टीमों में ही शुमार किया जाता था जिसने तब तक विश्व कप कि किसी भी प्रतियोगता में सिर्फ एक मैच ही जीता था। पर उस विश्व कप में भारत पहले मैच में वेस्ट इंडीज़ जैसे देश को हराकर सनसनी फैला दी थी। वैसा ही कारनामा जिम्बाब्वे ने आस्ट्रेलिया को हरा कर रचा था। तब ग्रुप की सारी टीमें एक दूसरे से दो दो मैच खेलती थीं। दूसरे मैच में जिम्बाब्वे को हराने के बाद अपने तीसरे और चौथे मैच में भारत, आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज़ से बुरी तरह हारा था। 

कई खिलाड़ियों की चोट से जूझती भारतीय टीम जिम्बाब्वे के खिलाफ़ अपने अगले मैच में मजबूत प्रदर्शन देने के लिए उतरी थी। कपिल ने टॉस जीता और बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और तरोताजा होने के लिए गर्म पानी से स्नान का आनंद लेने चल दिए। इधर वो नहा रहे थे उधर भारतीय बल्लेबाज धड़ाधड़ आउट होते जा रहे थे। गावस्कर, श्रीकांत और संदीप पाटिल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने तो खाता खोलने की भी ज़हमत नहीं उठाई थी। नौ रन पर चार विकेट और फिर 17  के स्कोर पर जब पाँचवा विकेट गिरा कपिल तब भी नहाने में तल्लीन थे। बाहर से लगातार आवाज़ दी जा रही थी कि पाजी  निकल लो। कपिल हड़बड़ाकर भींगे बालों में ही निकले और उसके बाद उन्होने 175 रनों की नाबाद पारी खेल कर भारत को मैच में वापसी दिलायी।

फिल्म में ये गीत ठीक इस मैच के पहले आता है। उत्साह बढ़ाती भीड़ और लहराते झंडों के बीच अरिजीत सिंह की दमदार आवाज़ उभरती हुई जब कहती है

अपना है दिन यह आज का, दुनिया से जाके बोल दो...बोल दो
ऐसे जागो रे साथियों, दुनिया की आँखें खोल दो...खोल दो
लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सरजमीं का परचम लहरा दो

तो मन रोमांचित हो जाता है।  गर्दिश में पड़ी टीम को कप्तान की आतिशी पारी उस मुहाने पर ला खड़ा करती है जहाँ से विश्व विजेता बनने का ख़्वाब आकार लेने लगता है। पूड़ी टीम कपिल की इस पारी को उस विश्व कप का टर्निंग प्वाइंट मानती है। तो आइए सुनते हैं ये गीत जिसमें प्रीतम ने अंतरों को कव्वाली जैसा रूप दिया है

हो हाथ धर के बैठने से, क्या भला कुछ होता है
हो हाथ धर के बैठने से क्या भला कुछ होता है
जा लकीरों को दिखा क्या ज़ोर बाजू होता है
हिम्मत-ए-मर्दा अगर हो संग खुदा भी होता है
जा ज़माने को दिखा दे खुद में दम क्या होता है

लहरा दो लहरा दो, सरकाशी का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सर ज़मीन का परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो..


अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी  क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. हौसला बढ़ाने वाला गीत!

    जवाब देंहटाएं
  2. मैंने फिल्म देखा, हॉल में covid प्रतिबंधों के साथ

    जवाब देंहटाएं
  3. @Kavita ji मैं भी हॉल में पिछले साल सिर्फ इसी फिल्म को देख पाया। तब भीड़ नहीं के बराबर थी।

    जवाब देंहटाएं