शनिवार, मार्च 23, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 : उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे

जुबली वेब सीरीज उस ज़माने की कहानी कहती है जब मुंबई में बांबे टाकीज़ की तूती बोलती थी। संगीतकार अमित त्रिवेदी को जब इस सीरीज के लिए संगीत रचने का मौका दिया गया तो उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी। एक ओर तो उन्हें चालीस और पचास के दशक में प्रचलित संगीत के तौर तरीकों को समझना और अपने संगीत को ढालना था तो दूसरी ओर तेज़ गति का संगीत पसंद करने वाली आज की इस पीढ़ी में उसकी स्वीकार्यता उनके मन में प्रश्नचिन्ह पैदा कर रही थी। 

अमित अपने मिशन में कितने सफल हुए हैं वो इसी बात से स्पष्ट है कि जुबली के गीत संगीत की भूरि  भूरि प्रशंसा हुई और इस गीतमाला में इसके चार गीत शामिल हैं और बाकी गीत भी सुनने लायक हैं। बाबूजी भोले भाले तो मैं पहले ही आपको सुना चुका हूँ। आज बारी है इसी फिल्म के एक दूसरे गीत "उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे.."की। 


जुबली का आप कोई भी गीत सुनेंगे तो आपको एक साथ कई पुराने नग्मे याद आ जाएँगे। संगीत संयोजन, गीत में बजने वाले वाद्य, गीत के बोल, गायक के गाने का अंदाज़ और उच्चारण..सब मिलकर आपकी आंखों के सामने ऐसा दृश्य उपस्थित करेंगे कि लगेगा कि पर्दे पर उसी ज़माने की श्वेत श्याम फिल्म चल रही हो।

उड़नखटोले के इस गीत के लिए अमित त्रिवेदी ने मोहम्मद इरफान और वैशाली माडे को चुना। इरफान को मैंने सा रे गा मा पा 2005 में पहली बार सुना था और उस वक्त भी में उनकी आवाज़ का कायल हुआ था। बंजारा, फिर मोहब्बत करने चला है तू, बारिश उनके कुछ लोकप्रिय गीतों में से हैं। वैशाली ने भी सा रे गा मा पा के ज़रिए गायिकी की दुनिया में कदम रखा है। मराठी गीतों के अलावा कभी कभार उन्हें हिंदी फिल्मों में भी मौका मिलता रहा है।

अमित त्रिवेदी ने इरफान को जुबली में मुकेश की आवाज़ के लिए चुना। इरफान को कहा गया कि आपकी आवाज़ पचास प्रतिशत मुकेश जैसी और बाकी इरफान जैसी लगनी चाहिए। यानी टोनल क्वालिटी मुकेश जैसी रखते हुए भी उन्हें अपनी पहचान बनाए रखनी थी। उड़नखटोले में परिदृश्य चालीस के दशक का था जब सारे गायकों पर के एल सहगल की गायिकी की छाप स्पष्ट दिखती थी। इरफान ने इस बात को बखूबी पकड़ा। इरफान ने इस सीरीज में इठलाती चली, इतनी सी है दास्तां को अलग अंदाज़ में गाया है क्योंकि वो पचास के दशक के गीतों को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। इरफान से ये सब करवाने के लिए अमित को उनके साथ सात आठ सेशन करने पड़ गए।

वैशाली की भी तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने ज़माना, हिरदय (हृदय), कईसे (कैसे) जैसे शब्दों को उस दौर की गायिकाओं की तरह हूबहू उच्चारित किया।

संगीत में कैसा आयोजन रखा जाए उसके लिए अमित ने सनी सुब्रमणियन की मदद ली। सनी के पिता ने पचास और साठ के दशक में अरेंजर की भूमिका निभाई थी। वायलिन प्रधान इस गीत में बांसुरी, मंडोलिन, वुडविंड और ढोलक की थाप सुनाई देती है। गीत में कौसर मुनीर के शब्दों का चयन भी उस दौर के अनुरूप है। प्रेम हिंडोले, अधर, हृदय जैसे शब्द तब के गीतों में ही मिलते थे।

उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
उड़े उड़नखटोले नयनों के मेरे
अँखियाँ मले ज़माना ज़माना

डोले प्रेम हिंडोले तन मन में मेरे
डोले प्रेम हिंडोले तन मन में तेरे
कैसे हिले ज़माना ज़माना ?

बन की तू चिड़िया, बन के चंदनिया
गगन से करती हैं बतियाँ मेरी
तू भी तो है रसिया, गाए भीमपलसिया
तेरी दीवानी सारी सखियाँ मेरी

बोले प्रेम पपीहे अधरों से तेरे
बोले प्रेम पपीहे अधरों से मेरे
कैसे ना सुने ज़माना ज़माना

डोले प्रेम हिंडोले तन मन में मेरे
डोले प्रेम हिंडोले तन मन में तेरे
कैसे हिले ज़माना ज़माना

टुकू टुकू टाँके, झरोखे से झाँके
नज़र लगावे जल टुकड़ा ज़हां
जिगर को वार दूँ, नज़र उतार दूँ
सर अपने ले लूँ मैं तेरी बला
जले प्रेम के दीये हृदय में मेरे
जले प्रेम के दीये हृदय में तेरे
उड़े उड़नखटोले 

तो आइए सुनें ये युगल गीत जो आपको चालीस के दशक के संगीत की सुरीली झलक दिखला जाएगा।

वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
  1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
  2. तुम क्या मिले
  3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  5. आ जा रे आ बरखा रे
  6. बोलो भी बोलो ना
  7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  8. नौका डूबी रे
  9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
  11. वे कमलेया
  12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
  15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  16. बाबूजी भोले भाले
  17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
  19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  20. ओ माही ओ माही
  21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
  23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  24. दिल झूम झूम जाए
  25. कि रब्बा जाणदा

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