कुछ गीत ऐसे होते हैं जिनके बारे में अलग से कुछ कहने को दिल नहीं करता क्यूँकि उन्हें सुनकर मन में एक गहरी शांति और शून्यता सी आ जाती है।
पोन्नियिन सेल्वन 2 का ये गीत मुक्ति दो ऐसा ही एक गीत है । फर्ज कीजिए आपने अपने जीवन में जो भी करने को सोचा हो सब पूरा हो जाए। आपके रहने का ध्येय ही खत्म हो जाए तो फिर आप इस नश्वर शरीर से मुक्ति की कामना ही तो करेंगे। गुलज़ार लिखते हैं
मुक्ति दो मुक्ति दो, माटी से माटी को
मुक्ति दो मुक्ति दो, माटी से माटी को
मिट्टी से निकल कर मिट्टी में मिलने की ये जीवन यात्रा तो तभी शुरू हो जाती है जब हम इस संसार में आते हैं। अंतिम अरण्य में निर्मल वर्मा की लिखी वो पंक्तियां याद आ जाती हैं जिसमें एक किरदार कहता है..
आपको लगता है सब कुछ नॉर्मल है और यह सबसे बड़ी छलना है... क्योंकि सच बात यह है कि नॉर्मल कुछ भी नहीं होता... पैदा होने के बाद के क्षण से ही मनुष्य उस अवस्था से दूर होता जाता है, जिसे हम नॉर्मल कहते हैं.. नॉर्मल होना देह की आकांक्षा है, असलियत नहीं। देह का अंतिम संदेश सिर्फ मृत्यु के सामने खुलता है जिसे वह बिल्ली की तरह जबड़े में दबाकर शून्य में अंतर्ध्यान हो जाती है।
वस्त्र से शरीर को, शरीर से आत्मा को
वस्त्र से शरीर को, शरीर से आत्मा को
मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
मुक्ति दो मुक्ति दो
रोशनी को रोशनी में, समा जाने दो
रोशनी को रोशनी में, समा जाने दो
सूर्य से ही आई थी, सूर्य ही में जाने दो
सूर्य से ही आई थी, सूर्य ही में जाने दो
नाममात्र के संगीत के बावज़ूद ए आर रहमान की बनाई ये धुन नवोदित गायिका पूजा तिवारी की सुरीली आवाज़ में दिल में गहरे पैठ कर जाती है। पूजा ने इससे पहले भी रहमान की फिल्मों में चंद नग्मे गाए हैं पर शास्त्रीय संगीत में निपुण लखनऊ की इस गायिका के शुरुआती कैरियर का ये निसंदेह एक अहम नग्मा होगा जिसको लोग सालों साल सुनेंगे।
पूजा तिवारी
भातखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ और प्राचीन संगीत महाविद्यालय चंडीगढ़ से संगीत में दो बार विशारद करने वाली पूजा के सांगीतिक जीवन में नया मोड़ तब आया जब उन्होंने चेन्नई की KM Conservatory से आडियो इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरु की। यहीं वो नामी संगीतकार ए आर रहमान के संपर्क में आईं। पूजा ने अपनी गायिकी से उन्हें इतना प्रभावित किया कि जिनके संगीत निर्देशन में एक गीत गाना भी कई गायकों का सपना होता है, उन्हीं रहमान ने उनसे अपनी फिल्मों के तीन गीत गवाए।
इस संगीतमाला की शुरुवात में मैंने पिप्पा के झुमाने वाले गीत मैं परवाना आपको सुनवाया था। उस गीत के महिला स्वरों में मुख्य आवाज़ पूजा तिवारी की ही थी। मतलब ये कि इतने अलग प्रकृति के गीतों को भी वो सहजता से निभा ले जाती हैं। भारतीय वायु सेना से रिटायर हुए पिता और संगीतप्रेमी माँ की ये बिटिया अपने इस कौशल को यूँ ही और माँजे ऐसी आशा है।
जैसा कि मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ प्राचीन तमिल साहित्य में पोन्नी,कावेरी नदी को कहा जाता था। इसी नदी के आसपास चोल साम्राज्य फला फूला। पोन्नियिन सेल्वन फिल्म इसी नाम के ऐतिहासिक उपन्यास पर आधारित है। चोल शासक अपने आप को सूर्य का प्रतिनिधि मानते थे इसीलिए गीत में सूर्य से आने और उसी में विलीन होने की बात कही गई है।
वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
- वो तेरे मेरे इश्क़ का
- तुम क्या मिले
- पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
- कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
- आ जा रे आ बरखा रे
- बोलो भी बोलो ना
- रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
- नौका डूबी रे
- मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
- कल रात आया मेरे घर एक चोर
- वे कमलेया
- उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
- पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
- कुछ देर के लिए रह जाओ ना
- आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
- बाबूजी भोले भाले
- तू है तो मुझे और क्या चाहिए
- कैसी कहानी ज़िंदगी?
- तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
- ओ माही ओ माही
- ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
- मैं परवाना तेरा नाम बताना
- चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
- दिल झूम झूम जाए
- कि रब्बा जाणदा
Nice song and very nice post.. apne Nirmal verma wali Jo lines share ki hai wo bahut achhi hai.
जवाब देंहटाएंSwati Gupta हां, इस गीत को सुनते हुए उस पुस्तक की याद हो आई।
हटाएंमन को स्थिरचित्त करने वाला गीत है ये। सामान्यतः ऐसी आध्यात्मिक प्रकृति के गीत सुनने को आजकल कम ही मिलते हैं।
My favourite song of all time ❤️
जवाब देंहटाएंNice to know😊
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