कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
6 माह पहले
3 टिप्पणियाँ:
इस वकत पुलिस का काम ही खोज लगाना है अगर कोई नही मिला तो मासूम लोगों को अंदर करदेती है ये बताने के लिए कि पुलिस भी कुछ कर रही है।
aapki pichhali link dekhate hue dhyan gaya is link par.... kisi mahila ki yaad aa gai aur un sab ke bare me.n sochna pad gaya jo chahati to nahi.n ki beta aise rasto.n par jaye jaha.n se aana mumkin hi na ho....! unka dard kaun janega jo rone me.n bhi darti hai.n kyo.nki tab log kahte hai.n ki "tere ladke ne bhi aise hi logo ko ulaya hai...."
जी समझ सकता हूँ आपकी बात...
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