कल का दिन मेरे लिये अपार हर्ष का था । सुबह जब मेल बॉक्स खो ला तो देखा कि पूर्णिमा जी ने सूचना भेजी है कि मेरा सिक्किम का यात्रा विवरण अभिव्यक्ति के १ अगस्त के अंक में छप रहा है। मन खुशी से फूला ना समाया और तुरंत नाते रिश्तेदारों को खबर भिजवायी कि हमें भी लेखक बनने का सौभाग्य प्राप्त हो गया है। मन ही मन उन दोस्तों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने सिक्किम चलने का सुझाव दिया था। वैसे तो सिक्किम का यात्रा विवरण सुना-सुना कर मैंने आप सबको महिनों बोर किया था पर जो मेरे इस अनर्गल प्रलाप से पतली गली से साफ बच निकले हों उनके लिये अभिव्यक्ति की ये कड़ी पुनः परोस रहा हूँ ।
सिक्किम के सफर पर....
श्रेणी : अपनी बात आपके साथ में प्रेषित
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
6 माह पहले
9 टिप्पणियाँ:
haardik badhai sweekar kareN......
भई हमारी तरफ़ से भी बहुत बहुत बधाई। अभिव्यक्ति जैसी प्रतिष्ठित वैब पत्रिका मे आपका शानदार सिक्किम यात्रा विवरण छपना बहुत ही गर्व की बात है। आशा है आपके लेख हमे लगातार दिखते रहेंगे।भैया ब्लॉग को मत भूलना।
बधाई। आगे के लिये शुभकामनायें।
हार्दिक बधाई,
हालांकि आपके लिखने के साथ ही मै उसे पढता रहा था, पर अभिव्यक्ति पर फिर से पढा, और आपके बताने के पहले ही (कुछ संपादित लगा)।
बधाई। वर्णन बहुत अच्छा है।
Congratulations! Hope, the readers get to read much more from your side! good luck!
भाई बधाई हो, अभी कुछ देर पहले औरकुट पर आपको देखा ,बस आप की साईट तक पहुंच ही गये,आगे और भी मुलकात होती रहेगी।
प्रभात
आप सब की बधाई और शुभकामनाओं का तहेदिल से शुक्रिया !
छाया संपादित तो करना ही पड़ा होगा ! सारी बकवास थोड़े ही छाप देंगे:p।
और भइये तसवीर दिखानी है तो तबियत से दिखाइए ना :)
प्रभात जी स्वागत है ! आपके ब्लॉग पर जाने में ४०४ error का कई बार सामना कर चुका हूँ माजरा क्या है?
गजलों से आपकी तरह मुझे भी बेहद लगाव है :)
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