बुधवार, अगस्त 09, 2006

आँखों की कहानी : शायरों की जुबानी (भागः2)

पिछली बार बात कर रहे थे कि किस तरह जब कोई हमारी आँखें पढ़ लेता है तो मन पुलकित हो उठता है। पर बात यहीं खत्म हो जाती तो फिर लुत्फ किस बात का था। अरे, आँखों या नजरों का इक इशारा प्यार की खुशबू बिखेरने के लिए काफी है। इसीलिये तो निदा फॉजली साहब कहते हैं

उनसे नजरें क्या मिलीं रौशन फिजाएँ हो गयीं
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज है

खुलती जुल्फों ने सिखाई मौसमों को शायरी
झुकती आँखों ने बताया महकशीं क्या चीज है

पर क्या आँखों का मोल सिर्फ इशारों तक है? नहीं जी, किसी की खूबसूरत आँखों को एक आशिक की नजरों से देखें तो आप भी शायद ये गीत गाने पर मजबूर हो जाएँ

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढ़लें
मेरा जीना, मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले...


और अमजद इस्लाम अमजद तो महबूब की आँखों के सामने ही रात दिन एक करने पर तुले हैं

सोएँगे तेरी आँख की खिलवत में किसी रात
साये में तेरी जुल्फ के जागेंगे किसी दिन


पर शुरु शुरु में अपने महबूब की ओर आँख उठा कर देखना आसान है क्या ?
अब इन्हें ही देखिये दिल में प्यार की शमा जल चुकी है पर ये हैं कि अभी भी निगाहें मिलाने से कतरा रहे हैं
हसरत है कि उनको कभी नजदीक से देखें
नजदीक हो तो आँख उठायी नहीं जाती
चाहत पे कभी बस नहीं चलता है किसी का
लग जाती है ये आग लगाई नहीं जाती


पर हुजूर एक बार अगर किसी से आँखों ही आँखों में बात हो भी जाये तो भी क्या कम मुसीबतें हैं। कभी तो उनकी बड़ी बड़ी आँखों का काजल दिल की धड़कनों को बढ़ाता है तो कभी आँखों आँखों में हुई वो मुलाकातें दिल में घबराहट पैदा करती हैं। बरसों पहले डॉयरी के पन्नों पे लिखी अपनी एक तुकबन्दी याद आती है

उसकी आँखों का वो काजल
जैसे गगन में काले बादल
उमड़ें घुमड़ें हाय ! मन मेरा घबराए

आँखों आँखों की वो बातें
वो नन्ही छोटी मुलाकातें
बरबस याद आ जाएँ, मन मेरा घबराए


पर ये आतुरता भरी घबराहट भी ऐसा जादू बिखेरती है कि अपनी आँखें भी किसी और की हो जाती हैं! यकीन नहीं आता तो इस नज्म की इन पंक्तियों पर गौर फरमाएँ ।

कहो वो दश्त कैसा था?
जिधर सब कुछ लुटा आये
जिधर आँखें गँवा आये
कहा सैलाब जैसा था, बहुत चाहा कि बच निकलें, मगर सब कुछ बहा आए !

कहो वो चाँद कैसा था?
फलक से जो उतर आया तुम्हारी आँख में बसने
कहा वो ख्वाब जैसा था, नहीं ताबीर थी उसकी, उसे इक शब सुला आए.. !

पर क्या आँखों से सिर्फ प्रेम की धारा बहती है?
नहीं हरगिज नहीं ! आँखें जितना दिखाती हैं उतना ही छुपा भी सकती हैं। और फिर आँसुओं की जननी भी तो ये आँखें ही हैं ना !
अगली कड़ी में देखेंगे की कैसे करती हैं आखें भावों की लुकाछिपी और क्या होता है जब उन पर चढ़ता है उदासी का रंग.....

इस श्रृंखला की पिछली कड़ी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Related Posts with Thumbnails

11 टिप्पणियाँ:

ई-छाया on अगस्त 10, 2006 ने कहा…

मनीष जी,
पठनीय लेख, धन्यवाद। मन्ना डे का गाया गाना याद आया
"हम तेरी आंखों के दीवाने हैं"

Pratyaksha on अगस्त 10, 2006 ने कहा…

एक मुझे भी याद आया , पता नहीं किसकी लिखी है पर पीनाज़ मसानी ने गाया है

"ये है मज़े की लडाई ,ये है मज़े का मिलाप
कि तुझसे आँख लडी और फिर निगाह मिली "

प्रेमलता पांडे on अगस्त 10, 2006 ने कहा…

ये देखें-

'चमचमात चंचल नयन बिच घूँघट पट झीन,
मानहु सुरसरिता विमल जल उछरत जुग मीन।।'
-प्रेषक
प्रेमलता

प्रेमलता पांडे on अगस्त 10, 2006 ने कहा…

उपरोक्त कवि बिहारी लाल रचित दोहा है।
-प्रेमलता

Manish Kumar on अगस्त 11, 2006 ने कहा…

हमसफर शुक्रिया इस बलॉग पर पधारने का । आते रहें !

Manish Kumar on अगस्त 11, 2006 ने कहा…

छाया अरे आपके जैसे पढ़ने वाले भी तो होने चाहिए

Manish Kumar on अगस्त 11, 2006 ने कहा…

प्रत्यक्षा मैंने भी सुनी है शायद वो कैसेट ! उसमें की एक गजल कुछ यूँ थी
कहाँ थे रात भर उनसे जरा निगाह मिले...............हिसाब मिले

Manish Kumar on अगस्त 11, 2006 ने कहा…

प्रेमलता जी अच्छा किया कवि का नाम बता दिया नहीं तो फिर उलते पुलटे गेस मारने पड़ते हमको :)!
आपके तो इन सार्वकालिक कवियों कि इतनी रचनाएँ याद हैं. परिचर्चा में हम सबके साथ बांटे तो मजा भी आएगा और हमारा ज्ञानवर्धन भी होगा

Pratyaksha on अगस्त 11, 2006 ने कहा…

मनीष , बस यही तो उस गज़ल का एक शेर है जिसे मैंने लिखा. बडे साल बीते उस कैसेट को सुने हुये

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown on नवंबर 09, 2014 ने कहा…

हसरत है कि उनको कभी नजदीक से देखें
नजदीक हो तो आँख उठायी नहीं जाती
चाहत पे कभी बस नहीं चलता है किसी का
लग जाती है ये आग लगाई नहीं जाती ... वाह बहुत खुब

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie