भगवान है या नहीं इसकी चर्चा परिचर्चा में तो छिड़ी हुई थी ही और उधर रचना जी ने भी भगवान से कुछ ऐसे सवाल पूछ रखे हैं कि प्रभु चिंतामग्न हैं कि क्या जवाब दें ? प्रभु का चित्त स्थिर हुआ ही था कि समीर भाई ने नारद और चिट्ठा चर्चा का प्रसंग छेड़ उन्हें फिर उलझन में डाल दिया ।
और अब लीजिए एक हिन्दी पत्रिका का पुराना अंक उलट रहा था तो गुलजार की ये पाजी नज्म दिखी कुछ और सवाल करते हुए। सच भक्तों ने जीना दूभर कर रखा है भगवन का !
चिपचिपे दूध से नहलाते हैं
आंगन में खड़ा कर के तुम्हें ।
शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या
घोल के सर पे लुंढाते हैं गिलसियां भर के
औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर
पांव पर पांव लगाये खड़े रहते हो
इक पथरायी सी मुस्कान लिये
बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी ।
जब धुआं देता, लगातार पुजारी
घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर
इक जरा छींक ही दो तुम,
तो यकीं आए कि सब देख रहे हो ।
श्रेणी मेरी प्रिय कविताएँ में प्रेषित
इस चिट्ठे के सभी पाठकों को दीपावली की अग्रिम शुभकामनायें । अगले १० दिनों तक नागपुर और पंचमढी की यात्रा पर रहूँगा इसलिए आप सब से दीपावली के बाद ही मुलाकात होगी ।
और अब लीजिए एक हिन्दी पत्रिका का पुराना अंक उलट रहा था तो गुलजार की ये पाजी नज्म दिखी कुछ और सवाल करते हुए। सच भक्तों ने जीना दूभर कर रखा है भगवन का !
चिपचिपे दूध से नहलाते हैं
आंगन में खड़ा कर के तुम्हें ।
शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या
घोल के सर पे लुंढाते हैं गिलसियां भर के
औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर
पांव पर पांव लगाये खड़े रहते हो
इक पथरायी सी मुस्कान लिये
बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी ।
जब धुआं देता, लगातार पुजारी
घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर
इक जरा छींक ही दो तुम,
तो यकीं आए कि सब देख रहे हो ।
श्रेणी मेरी प्रिय कविताएँ में प्रेषित
इस चिट्ठे के सभी पाठकों को दीपावली की अग्रिम शुभकामनायें । अगले १० दिनों तक नागपुर और पंचमढी की यात्रा पर रहूँगा इसलिए आप सब से दीपावली के बाद ही मुलाकात होगी ।
9 टिप्पणियाँ:
अच्छा है. आपकी यात्रा मंगलकारी रहे,मध्य प्रदेश है ही बहुत बेहतरीन...आपको पचमढी में मजा आयेगा. मौसम भी वहां के लायक है. यात्रा वृतांत फोटो के साथ दिजियेगा.
आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें.
--समीर लाल
कविता अच्छी लगी । पँचमढी की यत्रा वृतांत पढने को मिलेगी , मय फोटो
bahut khoob.
-- Punit
http://www.HindiBlogs.com
मनीष जी, बडी अच्छी कविता आपने ढूंढ निकाली.शुक्रिया.पुरानी किताबें यूँ ही देखा किजीयेगा!! उम्मीद है आप हमारे प्रदेश से अच्छी यादें लेकर लौटेंगे.आपकी यात्रा आनन्दमय हो.दीवाली की शुभकामनाएँ आपको भी.
आपको यात्रा तथा पर्व दोनो की शुभ कामनाऐ, आशा है विशेष स्थानो के बारे अधिक जानने को मिलेगा।
आपको भी दिवाली की हार्दिक बधाई।
समीर जी, रचना जी, प्रमेन्द्र, प्रत्यक्षा, इदन्नम्म और पुनीत, आशा है आप सब की दीपावली अच्छी बीती होगी । नागपुर और पंचमढ़ी की अपनी यात्रा का विवरण लेकर शीघ्र ही उपस्थित हूँगा ।
वाह मनीष जी.. इस नज़्म को यहा पढ़कर भी खुशी हुई.. वाकई लाजवाब नज़्म है.. और आपका ब्लॉग भी...
guljar sahab ke images ke dayre se bhagwan ka bhi bachna mushkil hai.........wakai bahut achhi nazm hai.
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