झारखंड में ब्लागरों की बढ़ती क्रियाशीलता पर गत शनिवार ४ नवम्बर को अंग्रेजी दैनिक दि टेलीग्राफ में एक लेख छापा गया । लेख में हिन्दी चिट्ठाजगत से मेरे और शैलेश भारतवासी के चिट्ठों का जिक्र हुआ ।
इसके चार-पाँच दिन पहले टेलीग्राफ की एक संवाददाता ने ई-मेल के माध्यम से संपर्क साधा था तथा कुछ प्रश्न किये थे। हालांकि उनके प्रश्नों के जवाब में मैंने कहा था कि मूलतः मैं अपने चिट्ठे में अपनी पसंदीदा कविता, शायरी, गीत, किताबें और यात्रा संस्मरण के बारे में लिखता हूँ पर छापा गया थोड़ा अलग । जो थोड़ा मोड़ा छपा है वो खुद यहाँ इस जालपृष्ठ पर देख लीजिए।
आज का अपडेट (७.११.०६) टेलीग्राफ ने आज फिर ब्लागिंग पर एक लेख छापा है जिसमें हिन्दी चिट्ठाकारों में जया झा,शैलेश और मेरे से पूछे गए प्रश्नों के कुछ जवाब सम्मिलित किये गए हैं । लिक इस जालपृष्ठ पर है ।
शैलेश भाई मुझे नहीं पता था कि आप झारखंड से हैं । इस बारे में अपना इनपुट दीजिएगा ।
झारखंड में ब्लागिंग अभी भी शुरुआती चरण में है । इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। और ज्यादातर ब्लॉगरों ने प्रदेश के बाहर जाकर ही चिट्ठा लेखन शुरु किया । कम से कम एक अंग्रेजी अखबार ने हमारे राज्य के ब्लॉगरों का हौसला बढ़ाया और बाकियों को इसके लिए प्रेरित किया ये अपने आप में सराहनीय प्रयास है । काश हिन्दी मीडिया भी इतना जागरूक होता !
श्रेणी : अपनी बात आपके साथ में प्रेषित
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6 माह पहले
17 टिप्पणियाँ:
बढ़िया है. बकअप, बधाई.
बधाई
बहुत बहुत बधाई.
बहुत अच्छे
बधाई.
अधिकतर हिन्दी अखबारो में जागरूगता की कमी है, तथा उनका (अधिकतर) पाठकवर्ग भी इन सब मामलो में रूचि नहीं रखता.
बहुत बहुत बधाई.
मनीष जी बधाई हो बधाई,
शैलेश जी आप लगे रहो।
इसी प्रकार सदा ख्याति प्राप्त करते रहे।
बधाई हो मनीषभाई, अब हम झारखंडी भी लोगों को भाने लगे हैं
शशि सिंह
लिट्टीचोखा.com
बहुत बधाई!
बधाई।
बहुत बधाई तथा शुभ कामनायें।
बधाई
आप सब की शुभकामनाओं का तहेदिल से शुक्रिया !
मैं टेलीग्राफ समाचारपत्र का भी आभारी हूँ कि उन्होंने अंग्रेजी समाचार पत्र होते हुये भी झारखंड में चिट्ठाकारिता में हिन्दी चिट्ठाकारों के योगदान को बराबर की अहमियत दी ।
आशा है भारत और विदेशों के विभिन्न हिस्सों में बसे हिन्दी चिट्ठाकारों की लेखनी मीडिया का ध्यान समय-समय पर अपनी ओर आकर्षित करती रहेगी ।
वाह आप तो सेलेब्रिटी हो गये
बधाई
जहाँ तक मेरे झारखंड से सम्बन्ध की बात है तो वो भी बहुत पुराना है। मेरा जन्म मेरे ननिहाल जो कि झारखण्ड राज्य के गढ़वा जनपद के छोटे से क़स्बे नगर उँटारी में हुआ। मेरी कक्षा तीन तक की पढ़ाई भी नगर उँटारी से ही हुयी। चूँकि मेरे पिताजी उ॰प्र॰ के सोनभद्र जनपद के निवासी हैं इसलिए बाद की पढ़ाई के लिए यहीं आ गया। वैसे मेरे पिताजी ने भविष्य के लिए एक घर नगर उँटारी में ही बनवा रखा है। मेरी बोली, हाव-भाव, रहन-सहन, व्यवहार पर झारखंड का ही प्रभाव है। फिलहाल मैं नई दिल्ली में रहकर IES परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ।
आपने लिखा है कि आपका विचार था कि लोग विदेश जाकर ही ब्लॉगिंग जैसी चीज़ सीख पाते हैं मगर ऐसी बात नहीं है, मैं एक गाँव (डोमा, कोन, सोनभद्र) का हूँ और आज तक विदेश भी नहीं गया हूँ।
हाँ यह बात सत्य है कि हिन्दी मीडिया ब्लॉगरों के लिए कुछ नहीं कर रहा है (बीबीसी हिंदी) को छोड़कर। मैं ज़ल्द ही इस बावत हिन्दी के प्रमुख अखबारों से सम्पर्क करने वाला हूँ।
मनीष जी, आप अकेले नहीं हैं। अब मैं आ गया हूव ना!
शैलेश जी आप ने थोड़ा गलत समझ लिया । मैंने विदेश नहीं बल्कि प्रदेश लिखा था । कृपया गौर करें
"झारखंड में ब्लागिंग अभी भी शुरुआती चरण में है । इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। और ज्यादातर ब्लॉगरों ने प्रदेश के बाहर जाकर ही चिट्ठा लेखन शुरु किया ।"
यानि झारखंड के बाहर जाकर यहाँ के लोगों ने चिट्ठालेखन शुरु किया ना कि भारत के बाहर जाकर जैसा की आपने समझा ।
बहरहाल पहले तो मेरी हार्दिक शुभकामना कि आप IES की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करें और फिर हिन्दी चिट्ठाकारिता के क्षेत्र में अपने काव्यलेखन से एक अलग पहचान बनायें ।
हाँ मैंने गलत लिख दिया। मैंने पढ़ते वक़्त ध्यान नहीं दिया।
माफी चाहूँगा।
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