बुधवार, जनवरी 24, 2007

गीत # 13 :प्रसून जोशी और नरेश अय्यर हो जाएँ जब ' रूबरू '

सीढ़ी बदली तो मूड भी बदलते हैं एक उमंग और मस्ती भरे गीत से जिसे लिखा विज्ञापन गुरु प्रसून जोशी ने और गाया नरेश अय्यर ने ।

ये इस गीतमाला में प्रसून जोशी की आखिरी इन्ट्री है । प्रसून की सबसे बड़ी उपलब्धि, मैं फिर मिलेंगे के उनके लिखे हुए गीतों को मानता हूँ। बड़ा बहुआयामी व्यक्तित्व है प्रसून का ! कहने को MBA हैं पर जा पहुँचे विज्ञापनों की दुनिया में । कोका कोला के विज्ञापन अभियान में विज्ञापन की अभिकल्पना उन्हीं की थी । अपने विज्ञापनों के जिंगल वे खुद गाते हैं और उससे भी जी नहीं भरता तो कविता करने बैठ जाते हैं । ऐसे सृजक से सालों साल कुछ नया , कुछ अनूठा सुनने को मिलता रहेगा, ऍसी उम्मीदे है ।

१३ वीं पायदान के इस गीत को एक निराले अंदाज में गाने वाले नरेश अय्यर की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं। मुम्बई के नरेश भाग लेने आए थे चैनल 'V' के सुपर सिंगर कार्यक्रम में । अब सुपर सिंगर प्रतियोगिता से तो पहले ही बाहर हो गए। ए.आर.रहमान ने जाते जाते उन्हें एक मौका देने का वायदा किया। और ये मौका नरेश को मिला रंग दे वसंती में। बाकी इस गीत ने युवा मन पर कितनी अमिट छाप छोड़ी ये तो सर्वविदित ही है ।

तो आइए सुनें इस ताजगी से भरे गीत को जो शुरू होता है गिटार की एक मधुर धुन से ! इसे सुन कर शायद महसूस करें आपके अंदर भी कहीं ना कहीं जल रही है। एक बार ये आग
बाहर नकल जाए तो अपने आस पास की कितनी ही जिंदगी को रौशन कर देगी ।

ऐ साला ! अभी अभी हुआ यकीं
कि आग है मुझमें कहीं
हुई सुबह मैं जल गया
सूरज को मैं निगल गया
रूबरू रोशनी...रूबरू रोशनी है

जो गुमशुदा, सा ख्वाब था, वो मिल गया
वो खिल गया..
वो लोहा था, पिघल गया
खिंचा खिंचा मचल गया
सितार में बदल गया
रूबरू रोशनी...रूबरू रोशनी है

धुआँ, छटा खुला गगन मेरा
नई डगर, नया सफर मेरा
जो बन सके तू हमसफर मेरा, नजर मिला जरा...

आँधियों से झगड़ रही है लौ मेरी
अब मशालों सी बढ़ रही है लौ मेरी
नामो निशान रहे ना रहे
ये कारवां रहे ना रहे
उजाला मैं पी गया
रोशन हुआ, जी गया
क्यूँ सहते रहे....
रूबरू रोशनी...रूबरू रोशनी है
धुआँ, छटा खुला गगन मेरा
रूबरू रोशनी...रूबरू रोशनी है


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4 टिप्पणियाँ:

rachana on जनवरी 24, 2007 ने कहा…

ये गीत मुझे भी बेहद पसन्द है! प्रसून की रचनात्मक सोच कमाल की है,चाहे विज्ञापन हों चाहे गीत!

Udan Tashtari on जनवरी 24, 2007 ने कहा…

बहुत उमदा पेशकश. प्रसून जी और नरेश जी का परिचय भी बहुत उत्तम तरीके से पेश किया, गीत भी मेरी पसंद का. बधाई.

प्रेमलता पांडे on जनवरी 24, 2007 ने कहा…

हर पायदान नया पन लिए है!!! अगली के बारे में सोच जगाती है।

Manish Kumar on जनवरी 26, 2007 ने कहा…

शुक्रिया आप सब का ! अच्छा लगता है जानकर कि आप सब की गीत संगीत की पसंद मुझसे मेल खाती है ।

 

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