इंसान की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं...
अपने जीवन में हम कितने सपने बुनते हैं...
आने वाले कल से कितनी आशाएँ रखते हैं...
और उन्हें पाने की कोशिश भी करते हैं...
पर क्या हमारे सारे प्रयास क्या सफल हो पाते हैं ? नहीं..
और फिर आता है असफलता से उत्पन्न निराशा और हताशा का दौर
इतिहास गवाह है कि जो लोग इस मुश्किल वक्त में अपनी नाकामियों को जेहन से दूर रख अपने प्रयास उसी जोश ओ खरोश के साथ जारी रखते हैं सफलता उनका कदम चूमती है ।
१५ वीं पायदान का ये गीत इंसान की इसी Never Say Die वाली भावना को पुख्ता करता है। इसे बेहद खूबसूरती से गाया है पाकिस्तान के उदीयमान गायक शफकत अमानत अली खाँ ने। वैसे तो इनकी चर्चा इस गीतमाला में आगे भी होनी है पर जो लोग इन्हें नहीं जानते उनके लिए इतना बताना मुनासिब होगा कि वे उस्ताद अमानत अली खाँ के सुपुत्र हें और शास्त्रीय संगीत के पटियाला घराने से ताल्लुक रखते हैं।
डोर के इस गीत की धुन बनाई है, सलीम सुलेमान मर्चेंट की युगल जोड़ी ने और गीत के बेहतरीन बोलों का श्रेय जाता है जनाब मीर अली हुसैन को !
तो मेरी सलाह यही है दोस्तों कि जब भी दिल में मायूसियाँ अपना डेरा डालने लगें ये गीत आप अवश्य सुनें । आपके दिल की आवाज आपको उत्साहित करेगी उस लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए जिसे हासिल करने का स्वप्न आपने दिल में संजोया हुआ है ।
ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके ?
मंजिल मुश्किल तो क्या,
धुंधला साहिल तो क्या
तनहा ये दिल तो क्या होऽऽ
राह पे काँटे बिखरे अगर
उसपे तो फिर भी चलना ही है
शाम छुपा ले, सूरज मगर
रात को इक दिन ढलना ही है
रुत ये टल जाएगी, हिम्मत रंग लाएगी
सुबह फिर आएगी होऽऽ
ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके ?
होगी हमें जो रहमत अदा
धूप कटेगी साये तले
अपनी खुदा से है ये दुआ
मंजिल लगा ले हमको गले
जुर्रत सौ बार रहे,
ऊँचा इकरार रहे,
जिंदा हर प्यार रहे होऽऽ
ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके ?
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5 वर्ष पहले
10 टिप्पणियाँ:
गीत तो वाकई खूबसूरत है
साथ ही नागेशजी की फ़िल्म भी.......
बहुत सही चुनाव, आप अपना एक रेडियो स्टेशन भी चालू करें नेट पर, अपने पसंदिदा नगमों का. :) साथ में बीच में कहानी इसी तरह जोड़ें, खुब चलेगा.. :)
बहुत सही चुनाव, आप अपना एक रेडियो स्टेशन भी चालू करें नेट पर, अपने पसंदिदा नगमों का. :) साथ में बीच में कहानी इसी तरह जोड़ें, खुब चलेगा.. :)
सुंदर गीत, सुंदर अभिव्यक्ति!
समीर भाई के सुझाव से हम भी सहमत हैं।
शुभकामनाएँ।
bahut achha geet hai.. shabad sach me inspiring hain..
बहुत ही सुन्दर गीत है, मेरे मनपसन्द गीतों मे से एक है। जैसे जैसे आपकी गीत श्रृंखला आगे बढ रही है वैसे वैसे बेकरारी भी बढ रही है, जब १५ नम्बर पर यह गीत है तो सोचिए, कि आगे और कितने अच्छे गीत आएंगे।
मुझे इन्तज़ार है अगले गीत का। बेसब्री से।
शब्द बहुत अच्छे है गीत के!! और जो समीर जी ने कहा वो मै भी कह चुकी हूँ.
भुवनेश हाँ , बिलकुल !
समीर जी पहले चिट्ठा तो चला लूँ :)
प्रेमलता जी शुक्रिया !
मान्या जी स्वागत है आपका ! सही कहा आपने, ये गीत दिल में जोश सा भरता है ।
जीतू भाई मुझे याद है कि डोर की समीक्षा के दौरान आपने इस गीत का जिक्र किया था । गीत तो अब सारे ही स्तरीय ही रहेंगे । सच कहिये तो १५ से १ तक के गीतों में सारे ही मुझे बेहद प्यारे लगते हैं और उनमें मेरे लिए ज्यादा फर्क नहीं है । इस गीतमाला के साथ बने रहने का शुक्रिया । अब मैं पोस्ट के साथ वो गीत भी अपलोड कर रहा हूँ ताकि आप साथ ही साथ उसे सुन सकें ।
रचना जी शब्द अच्छे लगे जानकर खुशी हुई । आशा है आगे के गीत भी आपको पसंद आएँगे !
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