तो थोड़ा सा रूमानी हुआ जाए :) ?
कम से कम इस गीत को सुनने के बाद कुछ असर तो होगा जरूर, अगर वो भी आस पास हो कहीं :p
पेश है १६ वीं पायदान पर एक बेहद ही रोमांटिक गीत जिसे अपनी आवाज से संवारा सोनू निगम और सुनिधि चौहान ने। इसकी मोहक धुन बनाई जतिन-ललित ने । फना के इस गीत को लिखा प्रसून जोशी ने और मुझे ये गीत बोल के लिहाज से सबसे प्यारा लगता है ।
बारिश की गिरती बूंदों के साथ गर बलखाती मस्त हवा हो तो दिल में पहले सी सुलगती आग को भड़कने से भला कौन रोक सकता है?
बाद में भले आप सारा इलजाम उस मुयी बेशर्म सी हवा पर लगायें .....
या आसमान से लगातार रिसती उस फुहार पर जिसकी संगत में आपके हमसफर का रूप कुछ यूँ निखर आया कि ख्वाहिशें बेलगाम हो उठीं ।
अब ऍसे ही कुछ हालातों को सोनू और सुनिधि मिल कर दिखा रहे हैं , आप भी देखिए ना ....
ये साजिश है बूंदों की , कोई ख्वाहिश है चुप-चुप सी
देखो ना, देखो ना....देखो ना, देखो ना....
हवा कुछ हौले-हौले, जुबां से क्या कुछ बोले
क्यूँ दूरी है अब दरमियांऽऽ, देखो ना देखो ना....
फिर ना हवायें होगीं इतनी बेशरम
फिर ना डगमग-डगमग होंगे ये कदम
हाऽऽ ! सावन ये सीधा नहीं खुफिया बड़ा
कुछ तो बरसते हुए कह रहा
समझो ना , समझो ना...समझो ना , समझो ना...
हवा कुछ हौले हौले.....
जुगनू जैसी चाहत देखो जले बुझे
मीठी सी मुश्किल है कोई क्या करे ?
हम्म..... होठों की अर्जी ठुकराओ ना
सासों की मर्जी को झुठलाओ ना
छू लो ना, छू लो ना....छू लो ना, छू लो
हवा कुछ हौले-हौले, जुबां से क्या कुछ बोले
ना दूरी है अब दरमियांऽऽ, देखो ना देखो ना....
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
-
आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
6 माह पहले
5 टिप्पणियाँ:
वाह! बहुत दिलकश गीत है। ख़ास तौर पर बोल बहुत अच्छे बन पड़े हैं।
वाह वाह, गीत सुनते हुये पढ़ने का आनन्द दुना हो गया, बहुत खुब.
मनीष जी, आप कुछ खास किस्म के इंसान लगते हैं मुझे. आपके गीतों की पसंद लाजवाब है. क्या मुझे आपका ई मेल आईडी मिल सकता है, क्योंकि आपके विचार भी करीब के लगते हैं... शुक्रिया.
बडा सुन्दर सा गीत है!
प्रतीक हाँ जी वो तो है :)
समीर जी शुक्रिया !
अविनाश भाई हम आम इंसान हैं । बाकी आपको मेल कर दिया है । पसंदगी का शुक्रिया !
रचना जी आपने कहा उस दिन की गीत नहीं सुन पा रहीं , तभी इस माध्यम से गीत को बाँतने का ख्याल आया ।
एक टिप्पणी भेजें