कभी परेशान तो कभी हैरान करती जिंदगी ...
रोज रोज की वही चिर परिचित आपा - धापी ...
जी नहीं करता आपका कि निकल पड़ें कभी उस अनजान राह की ओर...
चिन्ताओं को दिलो दिमाग से दूर झटकते हुए..
क्या कहा ? कैसी बात करता हूँ !
पहले तो आफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी...और अगर मिल भी गई तो कौन सी हवा और फिजा साथ होगी... लटक जाएगी घरवाली हमारे नमूनों के साथ ...हम्मम..आपकी बात तो गौर करने की है..कोई नहीं जी हम आपको दूसरा आसान सा नुस्खा बताए देते हैं। बस झटपट अच्छे मन से ये स्फूर्तिदायक गीत सुनिए, आप शर्तिया मन को तरो -ताजा और हल्का महसूस करेंगे ।
वार्षिक संगीतमाला की १७ वीं पायदान के इस गीत को गाया है एक नवोदित गायक ने । इनका ताल्लुक एक ऐसे राज्य से है जिस राज्य ने भूपेन हजारिका जैसे महारथी भारतीय फिल्म जगत को दिए हैं यानि असम से । जी, मैं बात कर रहा हूँ जुबीन गर्ग साहब की जो इस साल पहली बार चर्चा में आए गैंगस्टर के अपने हिट गीत या अली..... के साथ ! इनकी आवाज का जादू ये है कि इस गीत को आप तक पहुँचाते पहुँचाते मैं खुद इसे गुनगुना उठा हूँ..अरे तो फिर आप चुप क्यूँ हैं ? शुरू हो जाइए ना....
सुबह सुबह ये क्या हुआ
ना जाने क्यूँ अब मैं हवाओं में, चल रहा हूँ
नई सुबह, नई जगह,नई तरह से नयी दिशाओं में चल रहा हूँ
नई -नई हैं मेरी नजर, या हैं नजारे नए
या देखते ख्वाब मैं, चल रहा हूँ
सुबह-सुबह ये क्या हुआ
ना जाने क्यूँ अब मैं हवाओं में, चल रहा हूँ
नई सुबह, नई जगह, नई नजर से नजारे मैं देखता हूँ
ये गुनगुनाता हुआ समां, ये मुसकुराती फिजा
जहान के साथ मैं चल रहा हूँ
सुबह-सुबह ये क्या हुआ....
जो अभी है उसी को जी लें, जो जिया वो जी लिया
वो नशा पी लिया
कल नशा है इक नया जो, ना किया तो क्या जिया
हर पल को पी के अगर दिल ना भर दिया
सुबह-सुबह ये क्या हुआ....
ना जाने क्यूँ अब मैं हवाओं में, चल रहा हूँ
चलचित्र I See You ! के इस गीत की कर्णप्रिय धुन बनाई विशाल- शेखर की जोड़ी ने और बोल लिखे खुद विशाल ने ।
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
-
आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
सेना के कुछ अधिकारी वहां 1834 के करीब पहुंचे। चंद कोठियां भी बनी, वहां तक
पहु...
6 माह पहले
4 टिप्पणियाँ:
सुबह सुबह ये क्या हुआ
ना जाने क्यूँ अब मैं हवाओं में, चल रहा हूँ
नई सुबह, नई जगह,नई तरह से नयी दिशाओं में चल रहा हूँ
नई -नई हैं मेरी नजर, या हैं नजारे नए
या देखते ख्वाब मैं, चल रहा हूँ
---कभी तो उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि आप पर गुस्सा आ जाता है कि सारे एक साथ काहे नहीं बता देते. मगर यह तरीका ही ठीक है, इंतजार का मजा अलग है. सही जा रहे हैं. :)
भई ये तो बहुउत हीई अच्छी बाआत हुईई है...हुम्म्म्म भाइयों आओर बहनोंओं कि अब पढ़ने के साआथ साआथ सुनने को भीई मिल रहा है...हुम्म्म्म.
चलिये मनीष अब आप सुनाएयेए अगली पाआयदाआन का सुपत हिट गाना....अपने दोस्त अमीन सयानी की तरह.
समीर जी नाराज मत होइए :) ! २५ गीतों को एक साथ परोस देना में ना मुझे मजा आएगा ना अलग अलग गीतों को सुनने का आनन्द आप लोगों को मिलेगा !
अनुराग शुक्रिया हुजूर !
winderful blog ...[:)] bahut hi accha laga yahan aana
shukriya
ranju
एक टिप्पणी भेजें