22 वीं सीढ़ी पर चढ़ने के पहले मैं उन साथियों का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मेरे इस चिट्ठे पर अपने प्यार की मुहर लगाई है। आशा है आपका ये प्रेम इस चिट्ठे के प्रति आगे भी बना रहेगा । मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आने वाले वक्त में भी अपने लेखन के जरिये आपके इस विश्वास पर खरा उतरूँ ।
अब गीत की बात करूँ तो 22 वीं पायदान पर गाना वो जिसे गाया उस गायक ने जिन्हें लोग किशोर दा के initials से ज्यादा और 'कृष्ण कुमार मेनन' के नाम से कम जानते हैं । पिछले साल टी.वी. के पर्दे पर ये फेम गुरुकुल की जूरी पर भी नजर आए थे । अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये और कोई नहीं बल्कि 'केके' हैं । पहली बार केके के 'हम दिल दे चुके सनम के गीत' तड़प - तड़प के इस दिल से आह निकलती रही ...
को जब सुना तभी इस गायक की काबिलियत पर भरोसा हो गया था । पर इन्हें अभी भी पर्याप्त मौके नहीं मिले हैं अपने हुनर को दिखाने के और मुझे तो इनसे बहुत उम्मीदें हैं आगे के लिए ।
बस एक पल के इस गीत की धुन बनाई है 21 वर्षीय युवा संगीतकार मिथुन ने और बोल लिखे हैं अमिताभ वर्मा ने ! केके की गूँजती आवाज में ये पंक्तियाँ सुनिए.........
सुना है मोहब्बत की तकदीर में, लिखे हैं अँधेरे घने
तभी आज शायद सितारे सभी जरा सा ही रौशन हुए
मेरे हाथ की इन लकीरों में लिखे अभी और कितने सितम
खफा हो गई है खुशी, वक्त से हो रहे हैं मेहरबान गम
तेरे प्यार में ऐसे जिए हम, जला है ये दिल
ये आखें हुईं नम, बस एक पल...
अब गीत की बात करूँ तो 22 वीं पायदान पर गाना वो जिसे गाया उस गायक ने जिन्हें लोग किशोर दा के initials से ज्यादा और 'कृष्ण कुमार मेनन' के नाम से कम जानते हैं । पिछले साल टी.वी. के पर्दे पर ये फेम गुरुकुल की जूरी पर भी नजर आए थे । अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये और कोई नहीं बल्कि 'केके' हैं । पहली बार केके के 'हम दिल दे चुके सनम के गीत' तड़प - तड़प के इस दिल से आह निकलती रही ...
को जब सुना तभी इस गायक की काबिलियत पर भरोसा हो गया था । पर इन्हें अभी भी पर्याप्त मौके नहीं मिले हैं अपने हुनर को दिखाने के और मुझे तो इनसे बहुत उम्मीदें हैं आगे के लिए ।
बस एक पल के इस गीत की धुन बनाई है 21 वर्षीय युवा संगीतकार मिथुन ने और बोल लिखे हैं अमिताभ वर्मा ने ! केके की गूँजती आवाज में ये पंक्तियाँ सुनिए.........
सुना है मोहब्बत की तकदीर में, लिखे हैं अँधेरे घने
तभी आज शायद सितारे सभी जरा सा ही रौशन हुए
मेरे हाथ की इन लकीरों में लिखे अभी और कितने सितम
खफा हो गई है खुशी, वक्त से हो रहे हैं मेहरबान गम
तेरे प्यार में ऐसे जिए हम, जला है ये दिल
ये आखें हुईं नम, बस एक पल...
5 टिप्पणियाँ:
मनीष भाई
वो २० साथी नहीं, २०% हैं.
वैसे तो आप ऐसे ही लिखते रहें, हम तो क्या १००% आपके साथ हैं.
शुभकामनायें.
मनीषजी! आप तो माधुर्य गुण पगी सृजना के
विशेषज्ञ समान हैं। लिखते रहें।
शुभकामनाएँ।
शुभकामनाएं
समीर जी भूल की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया !
प्रेमलता जी बाबा रे इतना कुछ नहीं हूँ मैं ! पूरे साल भर अपने विचारों से मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद
पंकज भाई शुक्रिया !
20 V SADI K UBHARTE GAYAK KK KI JANKARI EKDAM SAHO OR PEFECT HE KYUKI UNHE WO MOUKE NHI MILE JINKE WO HAKDAAR HAI...
YHNX MANISHJI
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