इससे पहले कि किसी के एक पुराने वादे की आपको याद दिलाऊँ, ये साफ करना चाहूँगा कि संगीत निर्देशक के रूप में हीमेश रेशमिया मुझे प्रतिभावान लगते हैं पर नैसल टोन लिये हुए उनका गायिकी का तरीका और उनके गीतों के पार्श्व में उठता शोरनुमा संगीत मुझे कभी पसंद नहीं आया । पर आज देश में उनकी लोकप्रियता का आलम ये है कि शादी-विवाह की शायद ही कोई पार्टी हो जिसमें उनके गाने ना बजते हों । इसकी वजह ये है कि ऍसी जगहों पर गीत की लय पर लोगों का ज्यादा ध्यान रहता है, आखिर शब्दों के पीछे कौन माथापच्ची करे ?
पर हीमेश का गाया ये गीत उनके अन्य गीतों से थोड़ा हट के है । इस गीत का संगीत हारमोनियम, बांसुरी और गिटार के सुंदर प्रयोग की वजह से काफी मधुर बन पड़ा है। सादगी भरे शब्दों में गीत का मुखड़ा और उसकी सुरीली धुन देर तक हृदय में बनी रहती है ।
गीतमाला की २४ वीं सीढ़ी पर खड़े इस गीत को मैं समर्पित करना चाहूँगा अपने साथी चिट्ठाकार ई-छाया को जो नये शहर में शिफ्ट होने के बाद जल्द ही वापस आने का वायदा कर के तो गए पर अभी तक लौटे नहीं...आशा करता हूँ कि इस गीत की आवाज उन तक अवश्य पहुँचेगी ।
वादा तैनू याद राखियो
वादा तैनू याद राखियो ऽऽ
दूर जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना दूर
तेरे बिन दिल नहीं लागे
टूटे ना वफा के धागे
मैनू नहीं झूठ बोलिया ऽऽ
दूर जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना दूर...
'आप का सुरूर' एलबम के इस गीत को आप यहाँ सुन सकते हैं ।
कुन्नूर : धुंध से उठती धुन
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आज से करीब दो सौ साल पहले कुन्नूर में इंसानों की कोई बस्ती नहीं थी। अंग्रेज
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पहु...
6 माह पहले
2 टिप्पणियाँ:
२४ वीं पायदान की तो बनती है. सही है. :)
समीर जी सहमति जताने का शुक्रिया !
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