आखिर कौन है इन जागती आँखों का कुसूरवार?
अरे वही मुए ख्वाब जो उनकी नींद के साथ एक अर्से से कबड्डी खेलते आए हैं। याद है आपको घर फिल्म का किशोर दा का गाया वो गीत जिसने हॉस्टल के बन्द कमरे में हमारी कितनी ही रातों की नींद चुराई थीं ।
फिर वही रात है...
फिर वही रात है, ख्वाबों की
रात भर ख्वाब में, देखा करेंगे तुम्हें...
मासूम सी नींद में, जब कोई सपना चले
हमको बुला लेना तुम पलकों के पर्दे तले
ये रात है ख्वाब की, ख्वाब की रात है...
और फिर इंतजार की उन घड़ियों को गिनती ( फिल्म -खामोशी) की पुकार तो कभी मंद नहीं पड़ी..
ख्वाब चुन रही है रात बेकरार है, तुम्हारा इंतजार है....पुकार लो..!
या फिर जीवा में आशा जी का गाया ये गीत हो
रोज-रोज आँखों तले, एक ही सपना चले
रात भर काजल जले, आँख मे जिस तरह
ख्वाब का दीया जले...
नींद..रात ..ख्वाब..चाँद गुलजार के प्रिय विषय रहे हैं। शायद ये उनकी निजी जिंदगी में भी कुछ खास मायने रखते हों । यही वजह है कि इन शब्दों को पिरोकर निकला उनका हर गीत एक नए आयाम देता प्रतीत हुआ है । चौथी पायदान की ये छोटी सी नज्म इन शब्दों को जोड़ती हुई दिल को करीब से छूते हुए गुजर जाती हैं । गुरु फिल्म में इस नज्म की आरंभिक चार पंक्तियों का प्रयोग हुआ है क्योंकि वो कथानक पर दुरुस्त बैठती हैं।
जागे हैं देर तक हमें कुछ देर सोने दो
थोड़ी सी रात और है सुबह तो होने दो
आधे अधूरे ख्वाब जो पूरे ना हो सके
इक बार फिर से नींद में वो ख्वाब बोने दो
और अगर कोई ख्बाब देखते-देखते आपकी नींद टूट जाए तो भी हिम्मत ना हारें क्योंकि
इक ख्वाब टूट जाने का अहसास ही तो है
थोड़ी सी रात और सहर पास ही तो है !
गुरु की इस नज्म को अपना स्वर दिया है के. एस. चित्रा और ए.आर. रहमान ने । वैसे रहमान ने किसी दूसरे गायक को मौका दिया होता तो नतीजा और बेहतर होता ।
4 टिप्पणियाँ:
वाह भई, सिरियल मेकर जी, फिर से एक दम सही पायदान पर एकदम सही गीत. अब तो एक रेडियो स्टेशन चालू कर ही दो. इसी तरह कहानी के साथ गाने सुनवा करो, शुभकामनायें. :)
अधिकतर जब सुबह सुबह काम पर जाने से पहले चिट्ठे पढ़ता हूँ तो क्मप्यूटर की ध्वनि बिल्कुल कम होती है, पर आज जाने कैसे कुछ ऊँची थी, तभी मालूम चला कि चिट्ठे के साथ साथ गीत भी था, बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद
समीर जी रेडियो स्टेशन अरे आपनी इतनी औकात कहाँ ! आप जैसा विशाल हृदय वाला एक स्पान्सर चाहिए बस !:)
सुनील जी गीत आपको पसंद आया जानकर खुशी हुई !
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