तो भाई इससे पहले कि इससे पहले कि इस साल के अपने सबसे प्रिय गीत का खुलासा करूँ एक नजर मारी जाए कि इस साल कौन से कलाकार छाए रहे गीत संगीत की दुनिया में । पिछले साल के हीरो सोनू निगम इस बार बहुत कम चर्चित गीतों के खेवैया रहे। यही हाल पिछले साल की जबरदस्त जोड़ी शान्तनु मोएत्रा और स्वानंद किरकिरे का रहा । मुन्ना भाई को छोड़ दें तो ये परिणिता और हजारों ख्वाहिशें ऐसी में दिये गए अपने उत्कृष्ट संगीत के पास भी नहीं फटक पाए ।
गीतकारों में गुलजार ओंकारा, गुरु, ब्लू अम्बरैला, जानेमन जैसी फिल्मों मे अपनी फार्म में दिखे। वही प्रसून जोशी ने रंग दे बसंती और फना के लिए और जावेद अख्तर ने कभी अलविदा ना कहना के लिए कुछ अच्छे गीत लिखे ।
संगीतकारों में विशाल भारद्वाज, शंकर अहसान लॉय और मिथुन चर्चित रहे । वैसे तो प्रीतम का गैंगस्टर का दिया संगीत हिट रहा पर संगीत की चोरी के आरोपों ने उनकी प्रतिष्ठा धूमिल कर दी।
श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, अभिजीत, केके,शान जैसे स्थापित गायकों के साथ शफकत अमानत अली खाँ, आतिफ असलम, अमानत अली खाँ, चिन्मयी श्रीपदा और जुबीन गर्ग जैसे नवोदित पर प्रतिभावान गायक कंधे से कंधा मिलाता दिखे ।
संगीत संयोजन की,विविधता और बेहतरीन काव्यात्मक अभिव्यक्ति के चलते ओंकारा को इस साल का श्रेष्ठ एलबम कहने में मुझे कोई हिचक नहीं होगी । सहयोगी चिट्ठाकार जगदीश भाटिया जी का भी यही मत है ।
तो पहले नम्बर का गीत तो अगली पोस्ट में आएगा पर देखें आप सब क्या गेस करते हैं । क्या कहा मुश्किल है तो चलिए कुछ क्लू दे देते हैं आपको
पहला क्लू : ये गीत मेरे चहेते गीतकार गुलजार का लिखा नहीं है ।
दूसरा क्लू : इस गीत के गायक गायिका का सरनेम हमारे हिंदी चिट्ठा जगत के एक जाने माने चिट्ठाकार से मेल खाता है
तीसरा क्लू : इस गीत के भाव और बेजी जी की हाल की पोस्ट में काफी कुछ समानता है ।
खैर अगर आपने गेस कर लिया तो बतायें और नहीँ भी किया तो इस साल का अपना सबसे पसंदीदा नग्मा जरूर बताएँ । मुझे आपकी पसंद जानकर खुशी होगी । और जब तक आप ये सब सोचें ले चलें आपको मेरी पसंदीदा नग्मों के एक पुनरावलोकन (Recap) पर !
- अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो (उमराव जान)
- मितवा... ( कभी अलविदा ना कहना )
- ओ साथी रे दिन डूबे ना... (ओंकारा)
- जागे हैं देर तक हमें कुछ देर सोने दो (गुरू)
- तेरे बिन मैं यूँ कैसे जिया... (बस एक पल )
- बीड़ी जलइ ले, जिगर से पिया.... (ओंकारा)
- अजनबी शहर है, अजनबी शाम है.... ( जानेमन )
- तेरे बिना बेसुवादी रतिया...(गुरू)
- मैं रहूँ ना रहूँ ....( लमहे-अभिजीत )
- लमहा लमहा दूरी यूँ पिघलती है...(गैंगस्टर)
- नैना ठग लेंगे...... (ओंकारा)
- तेरी दीवानी.... ( कलसा- कैलाश खेर)
- रूबरू रौशनी है...... (रंग दे बसंती)
- क्या बताएँ कि जां गई कैसे...(कोई बात चले)
- ये हौसला कैसे झुके.. ( डोर )
- ये साजिश है बूंदों की.....( फना )
- सुबह सुबह ये क्या हुआ....( I See You.)
- मोहे मोहे तू रंग दे बसन्ती....( रंग दे बसंती )
- चाँद सिफारिश जो करता.... ( फना )
- बस यही सोच कर खामोश मैं......( उन्स )
4 टिप्पणियाँ:
मुझे तो या अली रहम अली ही लगता है टॉप पर!! गैंगस्टर का जुबीन का गाया :)
मनीष भाई,
बढिया संकलन है आपका, बधाई!
और २००६ का सरताज गीत है
रिचा शर्माजी का गाया हुआ उमराव जान फिल्म से "अगला जनम मोहे बिटिया"!
सही है ना?
हम रेडियो के पास कान लगाये बैठे हैं, जल्दी से "गाना नम्बर वन" बजाया जाये - गीत माला को ससपेंस थ्रिलर ना बनायें.....
समीर भाई और नितिन जी तो आपने अतुल गर्ग और श्रीश शर्मा पर अपनी गोटियाँ खेली हैं । :p
नितिन भाई मैंने बेजी जी की हाल की पोस्ट के बारे में कहा था कल की नहीं ! ;) खैर अभी तो सही गलत नहीं बताने वाले बाकियों की भी राय जान लें
अनुराग अरे काहे का सस्पेंस थ्रिलर भाई हा हा !
अच्छा आप सब से फिर अनुरोध हे कि मेरे थोपे हुए नग्मे तो आप दो महिने से सुन रहे हैं। कम से कम अगर गेस नही भी करें तो अपनी पसंद का इस साल का सबसे बेहतरीन गीत तो बताएँ ।
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